इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद खान को फिलहाल राहत दे दी है। कोर्ट ने सरकार से अभियोजन चलाने की अनुमति लिए बगैर चार्जशीट पर सीजेएम अलीगढ़ द्वारा संज्ञान लेने की कार्यवाही रद्द कर दी है और सरकार की अभियोजन चलाने की अनुमति के बाद ही सीजेएम को नियमानुसार कार्यवाही के लिए पत्रावली वापस भेज दी है। इस मामले में सरकार से अनुमति मिलने के बाद मुकदमा चल सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने डा. कफील खान की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार, अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह व शांभवी शुक्ला, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र ने पक्ष रखा। याची के खिलाफ सीएए के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित सभा में भड़काऊ, देश विरोधी भाषण देने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई और पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। सीजेएम ने रिपोर्ट पर संज्ञान भी ले लिया। जिसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। याची अधिवक्ता का कहना था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत लोक सेवक के विरुद्ध बिना सरकार की अनुमति लिए आपराधिक केस नहीं चलाया जा सकता। मजिस्ट्रेट का आदेश सुप्रीम कोर्ट व कानूनी उपबंधों के खिलाफ होने के कारण रद्द किया जाए।
सरकार की तरफ से कहा गया कि आरोप निर्मित करते समय पर यदि अभियोजन चलाने की अनुमति न मिलती तो कार्यवाही रद्द की जा सकती है। अभी संज्ञान लेने के आदेश के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है। किंतु कोर्ट ने बिना सरकार की अनुमति लिए मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेने के आदेश को रद्द कर दिया है।
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