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किसान आंदोलन के कारण गरीबों को दो वक्त की रोटी मिलना मुश्किल, करोड़ों का नुकसान क्या ये उचित है?

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28-aug-2021

किसान आंदोलने ने रेलवे, आम आदमी से लेकर उद्यमियों को आर्थिक चोट दी है। इसके अलावा गरीब मजदूरों को भी रोटी का संकट भेंट किया। रोटी का संकट गरीब मजदूरो और कामगारों पर आया क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से आम आदमी और व्यापारी परेशान हो चुके हैं। हालात ये हैं कि ऐसे में दिल्ली की टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन से बंद पड़े रास्तों के चलते पिछले 9 महीनों में बहादुरगढ़ के उद्यमी अबतक 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठा चुके हैं।
उघोगों में काम करने वाले गरीब वर्ग के लोगों को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा और इन्हें दो वक्त की रोटी का भी संकट आन पड़ा।
परेशान होकर अब बहादुरगढ़ के उद्यमी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। हालांकि इससे पहले उन्होंने इस बारे में आंदोलन कर रहे किसानों से भी बात की थी लेकिन उन्होंने रास्ता बंद होने को लेकर कहा कि यह दिल्ली पुलिस की तरफ से किया गया है। ऐसे में उन्होंने अपनी तरफ से पल्ला झाड़ लिया। अब उद्यमी आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले उद्यमी केंद्र व राज्य सरकार दोनों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद अब वो सर्वोच्च अदालत का सहारा लेंगे।
बता दें कि इस आंदोलन के चलते बहादुरगढ़ उद्यमियों के संगठन चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में इनकी तरफ से केंद्र और राज्य सरकार से टीकरी बार्डर पर एक तरफ का रास्ता खुलवाने की मांग की गई थी लेकिन उससे पहले उद्यमियों ने किसानों से भी रास्ता खोले जाने की अपील की। मगर किसानों ने अपना पल्ला ये कहकर झाड़ लिया कि ये बार्डर उनके द्वारा नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस की ओर से बंद किया गया है।
ऐसे में अब हर जगह से निराश होने के बाद उद्यमियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं सूझ रहा। वो चाहते हैं कि अबतक हुए नुकसान के बाद अब और ज्यादा उन्हें नुकसान ना हो। वहीं बहादुरगढ़ के उद्यमियों का कहना है कि एक तो कोरोना की वजह से मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने से कामकाज ठप पड़ गया। हालांकि जब पाबंदियां हटीं तो आंदोलन चालू हो गया। इसके कारण बार्डर बंद होने से माल नहीं आ पा रहा है। इसका असर ऐसा है कि दो हजार से ज्यादा उद्योग तो पूरी तरह ठप हैं। बाकी में उत्पादन में भी कमी आई है। बता दें कि इस तरीके से भारी संख्या में कामगारों का रोजगार छूट चुका है। लोग रोजगार की तलाश में हैं। आंदोलन की वजह से हर महीने दो हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो रहा है।