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महिला विरोधी तालिबान को सता रहा क्रांति का डर

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30 aug 2021

तालिबान कट्टरपंथ का दूसरा रूप है। अब तालिबान जिस प्रकार से एक-एक करके अपने किये वादों को भूला रहा है उससे यह भी सिद्ध हो चुका है कि तालिबान एक आतंकी संगठन होने के बावजूद इस बात से घबराया हुआ है कि उसका शासन अफगानिस्तान मे सुरक्षित रहेगा या नहीं। इसीलिये उसने आर्थिक मोर्चे पर मजबूत होने के लिये अब सरकारी संपत्ति को सौंपने का भी अनुरोध किया है।

धार्मिक पाबंदियों व महिला विरोधी कृत्यों के लिये पहचान बनाने वाले तालीबान अमेरिका और भारत जैसे देशों से घबराया हुआ है  साथ ही अब उसे अफगानिस्तान के लोगों के  विरोध और विद्रोह और अफगानी क्रांति का सामना करना पड़ सकता है उसे यह अंदाजा हो चुका है।

तालिबान यह जान चुका है कि अगर अफगानिस्तान में रह रहे नागरिकों के हाथ खोल दिये गये यानी उन्हें तमाम चीजें पहली जैसी दे दी गई तो तालिबान की कश्ती डूब जायेगी।

तालिबान ऐसा इसलिये सोच रहा है क्योंकि वह जानता है कि लोकतंत्र और तानाशाह में फर्क क्या है। मतलब साफ है कि अब तालीबान अपने असली रंग दिखाने को आम नागरिकों की हथियार रखने वाली सुविधा को भी बंद कर रहा है।

आने वाले दिनों में तालिबान  के नागरिक कहीं बगावत और विद्रोह न कर बैठे इसी डर में  अफगान के नागरिकों को यह खासकर काबुल के निवासियों से सरकारी वाहन, हथियार और गोला-बारूद उनके पास सौंपने का निर्देश दिया है.

यह जानकारी तालिबान के प्रवक्ता जैबिदुल्लाह मुजाहिद कहा कि काबुल में रहने वाले सभी लोगों को ‘वाहन, हथियार और गोला-बारूद या किसी भी अन्य चीजों सहित सभी सरकारी संपत्ति वापस करने के लिएÓ सूचित किया जाता है.

तालिबान की सरकारी संपत्ति वापस करने के आह्वान का समर्थन करने के लिए, नेताओं ने अपने उपदेशों में लोगों से सरकारी संपत्ति को सौंपने का भी अनुरोध किया है, अगर उन्होंने संपत्ति अपने पास रखी है। तालिबान के नेताओं ने सरकारी कर्मचारियों से अपने कार्यालयों में लौटने और सामान्य रूप से अपना काम फिर से शुरू करने का भी अनुरोध किया है.

अफगानिस्तान  में तालिबान का कब्जा होने के बाद से ही कई देश अपने नागरिकों और अफगान लोगों को काबुल से निकालने की कोशिशें कर रहे हैं. भारत भी उनमें से एक है. अफगानिस्तान से हिंदू-सिख लगभग निकल चुके हैं।

 अब यह देखना बाकी है कि क्यों तालिबान के  तानाशाह को वहॉ के नागरिक किस तरीके से निपटने की योजना बनायेंगे। क्यों वहॉ पर वापस लोकतंत्र शासन की मांग उठेगी?