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यूपी चुनाव 2022: मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को भी सपा में मिल सकता है प्रवेश, अटकलें तेज

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सार
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सिबगतुल्लाह के सपा में आने के बाद मुख्तार को छोड़कर उनके परिवार के अन्य सदस्यों को पार्टी में प्रवेश मिल सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो संभव है पार्टी मुख्तार के बेटे अब्बास को घोसी से टिकट भी दे दे। 

मुख्तार अंसारी, अब्बास अंसारी
– फोटो : सोशल मीडिया

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मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में आने के राजनीतिक धुरंधर मायने निकालने लगे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या मुख्तार अंसारी को भी सपा मुखिया पार्टी में लेंगे। हालांकि इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है। लेकिन, अंसारी परिवार अब तक एक ही दल के प्रति निष्ठावान रहा है।  

इस समय मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी बसपा में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को देखते हुए सपा में उनकी इंट्री संभव नहीं लगती, लेकिन मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को सपा में प्रवेश मिल सकता है।

चूंकि अफजाल अंसारी का कार्यकाल अभी लगभग तीन साल है, इसलिए अभी उनके सपा में आने की संभावना नहीं दिखती।  पिछली बार बसपा से ही घोसी विधानसभा के चुनाव में सपा के वरिष्ठ और जमीनी नेता सुधाकर सिंह को कड़ी टक्कर देने वाले अब्बास अंसारी की युवाओं में पैठ देखने को मिली थी।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सिबगतुल्लाह के सपा में आने के बाद मुख्तार को छोड़कर उनके परिवार के अन्य सदस्यों को पार्टी में प्रवेश मिल सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो संभव है पार्टी मुख्तार के बेटे अब्बास को घोसी से टिकट भी दे दे। अगर ऐसी स्थिति बनती है तो सपा के कई धुरंधरों को झटका लगेगा। 

सदर विधानसभा क्षेत्र में कई साल से सपा के अल्ताफ अंसारी काफी सक्रिय हैं। उन्होंने पिछली बार भी बसपा के मुख्तार अंसारी और भाजपा-सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि अल्ताफ तीसरे स्थान पर चले गए थे, लेकिन उन्हें अपेक्षाकृत ठीक वोट मिले थे।

उधर, घोसी विधानसभा के उपचुनाव में सत्ताधारी भाजपा प्रत्याशी विजय राजभर को कड़ी टक्कर देने वाले  सुधाकर सिंह के लिए भी मुश्किल हो सकती है। हालांकि सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष धर्म प्रकाश यादव का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो भी निर्णय होगा, उसे कार्यकर्ता मानेंगे।

 मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में शामिल होने के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। सिबगतुल्लाह गाजीपुर के मुहम्मदाबाद सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछली बार यानी 2017 में कौमी एकता दल से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। उससे पहले सपा से चुनाव जीतकर आए थे।  

सिबगतुल्लाह के सपा में शामिल होने से किसको कितना फायदा पहुंचेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन यह तो तय है कि अब मुहम्मदाबाद सीट का समीकरण भी बदल गया है।  अंसारी परिवार का मुहम्मदाबाद क्षेत्र की छोटी बिरादरियों के बीच अपनी मजबूत पैठ है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अंसारी परिवार का छोटी जातियों के 25 से 30 फीसदी वोटों पर प्रभाव है। ऐसे ही करीब 30 हजार मुसलिम, पांच हजार यादव और करीब दस हजार भूमिहार वोट भी इनके व्यक्तिगत संबंधों से जुड़े हैं। सपा में आ जाने से पार्टी के परंपरागत 40 हजार यादव वोट भी सिबागतुल्लाह को मिल सकते हैं।

 सपा में आकर सिबगतुल्लाह की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।  वहीं मुहम्मदाबाद सीट पर बसपा को लेकर चर्चा है कि पार्टी की ओर से किसी भूमिहार को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। मऊ से बसपा सांसद अतुल राय के परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। बहरहाल, अभी की राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक, इस सीट पर सपा और भाजपा में ही टक्कर होने की उम्मीद है। 

योगी सरकार में मुख्तार अंसारी परिवार और करीबियों के कुल 84 लाइसेंस निलंबित हुए हैं। इसमें सिबगतुल्लाह अंसारी और उनके बेटे का भी लाइसेंस निरस्त हुआ है। गाजीपुर एसपी डॉ. ओम प्रकाश सिंह के मुताबिक, सिबगतुल्लाह के पास तीन लाइसेंस थे और इनके बेटे सोहेब उर्फ मन्नू के पास एक लाइसेंस था।

ये चारों लाइसेंस कारतूस सत्यापन में अनियमितता और आपराधिक मुकदमों की संजीदगी को देखते हुए निरस्त कर थाने में जमा करा लिया गया है। वहीं, शहर कोतवाल विमल मिश्रा के मुताबिक, सिबगतुल्लाह अंसारी पर गाजीपुर कोतवाली में तीन मुकदमा दर्ज है। उन पर हत्या का प्रयास, मारपीट, धमकाना एवं अन्य धाराएं लगी हुई हैं। 

विस्तार

मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में आने के राजनीतिक धुरंधर मायने निकालने लगे हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या मुख्तार अंसारी को भी सपा मुखिया पार्टी में लेंगे। हालांकि इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है। लेकिन, अंसारी परिवार अब तक एक ही दल के प्रति निष्ठावान रहा है।  

इस समय मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी बसपा में हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को देखते हुए सपा में उनकी इंट्री संभव नहीं लगती, लेकिन मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को सपा में प्रवेश मिल सकता है।

चूंकि अफजाल अंसारी का कार्यकाल अभी लगभग तीन साल है, इसलिए अभी उनके सपा में आने की संभावना नहीं दिखती।  पिछली बार बसपा से ही घोसी विधानसभा के चुनाव में सपा के वरिष्ठ और जमीनी नेता सुधाकर सिंह को कड़ी टक्कर देने वाले अब्बास अंसारी की युवाओं में पैठ देखने को मिली थी।

सपा के कई धुरंधरों को झटका लगेगा

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सिबगतुल्लाह के सपा में आने के बाद मुख्तार को छोड़कर उनके परिवार के अन्य सदस्यों को पार्टी में प्रवेश मिल सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो संभव है पार्टी मुख्तार के बेटे अब्बास को घोसी से टिकट भी दे दे। अगर ऐसी स्थिति बनती है तो सपा के कई धुरंधरों को झटका लगेगा। 

सदर विधानसभा क्षेत्र में कई साल से सपा के अल्ताफ अंसारी काफी सक्रिय हैं। उन्होंने पिछली बार भी बसपा के मुख्तार अंसारी और भाजपा-सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि अल्ताफ तीसरे स्थान पर चले गए थे, लेकिन उन्हें अपेक्षाकृत ठीक वोट मिले थे।

उधर, घोसी विधानसभा के उपचुनाव में सत्ताधारी भाजपा प्रत्याशी विजय राजभर को कड़ी टक्कर देने वाले  सुधाकर सिंह के लिए भी मुश्किल हो सकती है। हालांकि सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष धर्म प्रकाश यादव का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का जो भी निर्णय होगा, उसे कार्यकर्ता मानेंगे।

सिबगतुल्लाह के सपा में आने से बदलेगा सियासी समीकरण

 मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में शामिल होने के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। सिबगतुल्लाह गाजीपुर के मुहम्मदाबाद सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। पिछली बार यानी 2017 में कौमी एकता दल से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। उससे पहले सपा से चुनाव जीतकर आए थे।  

सिबगतुल्लाह के सपा में शामिल होने से किसको कितना फायदा पहुंचेगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन यह तो तय है कि अब मुहम्मदाबाद सीट का समीकरण भी बदल गया है।  अंसारी परिवार का मुहम्मदाबाद क्षेत्र की छोटी बिरादरियों के बीच अपनी मजबूत पैठ है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अंसारी परिवार का छोटी जातियों के 25 से 30 फीसदी वोटों पर प्रभाव है। ऐसे ही करीब 30 हजार मुसलिम, पांच हजार यादव और करीब दस हजार भूमिहार वोट भी इनके व्यक्तिगत संबंधों से जुड़े हैं। सपा में आ जाने से पार्टी के परंपरागत 40 हजार यादव वोट भी सिबागतुल्लाह को मिल सकते हैं।

 सपा में आकर सिबगतुल्लाह की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।  वहीं मुहम्मदाबाद सीट पर बसपा को लेकर चर्चा है कि पार्टी की ओर से किसी भूमिहार को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। मऊ से बसपा सांसद अतुल राय के परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। बहरहाल, अभी की राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक, इस सीट पर सपा और भाजपा में ही टक्कर होने की उम्मीद है। 

सिबगतुल्लाह के तीन लाइसेंस हुए निरस्त

योगी सरकार में मुख्तार अंसारी परिवार और करीबियों के कुल 84 लाइसेंस निलंबित हुए हैं। इसमें सिबगतुल्लाह अंसारी और उनके बेटे का भी लाइसेंस निरस्त हुआ है। गाजीपुर एसपी डॉ. ओम प्रकाश सिंह के मुताबिक, सिबगतुल्लाह के पास तीन लाइसेंस थे और इनके बेटे सोहेब उर्फ मन्नू के पास एक लाइसेंस था।

ये चारों लाइसेंस कारतूस सत्यापन में अनियमितता और आपराधिक मुकदमों की संजीदगी को देखते हुए निरस्त कर थाने में जमा करा लिया गया है। वहीं, शहर कोतवाल विमल मिश्रा के मुताबिक, सिबगतुल्लाह अंसारी पर गाजीपुर कोतवाली में तीन मुकदमा दर्ज है। उन पर हत्या का प्रयास, मारपीट, धमकाना एवं अन्य धाराएं लगी हुई हैं। 

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सपा के कई धुरंधरों को झटका लगेगा