निशानेबाज अवनि लेखरा ने पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने से पहले अपने गुरु का भरोसा जीता। उनके कोच चंद्रशेखर कहते हैं कि उन्हें अपनी शिष्या पर यकीन था। तभी वह जब एयरपोर्ट से उसे विदा करके लौटे तो नेट से पैरालंपिक के गोल्ड मेडल की फोटो निकाली और उस पर अवनि का नाम लिखकर उनके पिता को भेज दिया। उन्होंने बताया कि नई तकनीक को सीखने में अवनि का कोई जवाब नहीं।
अवनि को चार साल में गढ़कर विश्व की सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज बनाने वाले चंद्रशेखर मूलत: बदायूं के ही रहने वाले हैं। अब वह जयपुर में रहते हैं और वहां के एसएमएस स्टेडियम में निशानेबाजी के कोच हैं। मंगलवार को से फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने अवनि के हौसले की दाद दी। बताया कि वर्ष 2016 से वह अवनि को लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं। शासन से उन्हीं का नाम बतौर कोच टोक्यो जाने के लिए चयनित हुआ था। पर स्वास्थ्य कारणों से वह नहीं जा सके। तब सूमा शिरूर को उसके कोच के रूप में भेजा गया।
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