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यूपी : लापता नाबालिग की जांच दिल्ली पुलिस के हवाले, निगरानी करने का भी निर्देश

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राजीव सिन्हा, नई दिल्ली
Published by: विक्रांत चतुर्वेदी
Updated Wed, 01 Sep 2021 05:46 PM IST

सार
लापता बेटी की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने बेटी के दिल्ली में होने और यहीं पर आरोपी के होने का अंदेशा जताया है। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए ये निर्णय दिया है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस अब इस जांच को दिल्ली पुलिस के हवाले करेगी।

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गोरखपुर की 13 साल की बच्ची के अपहरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को जांच रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को गुरूवार तक सौंपने को कहा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच की निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने यह निर्णय लापता लड़की की मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर लिया है। लड़की की मां को दिल्ली के एक व्यक्ति के अपहरणकर्ता होने का संदेह है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अमित पई ने पीठ के समक्ष कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक लड़की का पता नहीं चला है। याचिकाकर्ता दिल्ली में एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही है और संदिग्ध लंबे समय से उसकी नाबालिग बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा था। इस संबंध में उसने दिल्ली के मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई थी। गत जुलाई में जब याचिकाकर्ता अपनी बेटियों के साथ गोरखपुर में अपने पति के परिवार के साथ थी। उसी दौरान उसकी सबसे बड़ी बेटी लापता हो गई।

बातचीत सुनी थी जिसमें संदिग्ध व्यक्ति उसकी बेटी को धमकी दे रहा था
याचिका के अनुसार छोटी बेटी ने संदिग्ध और उसकी बहन के बीच फोन पर बातचीत सुनी थी जिसमें संदिग्ध व्यक्ति उसकी बेटी को धमकी दे रहा था कि अगर वह दिल्ली में उसके फ्लैट में नहीं आई तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस बातचीत के तुरंत बाद लड़की लापता हो गई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने जल्द ही गोरखपुर पुलिस के समक्ष शिकायत की थी लेकिन पुलिस के कोई त्वरित कदम नहीं उठाया। सुप्रीम कोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आशंका जताई गई है कि लड़की का यौन शोषण किया जा सकता है या देह व्यापार में धंधे में धकेला जा सकता है।

वकील ने कहा कि लड़की के अब पश्चिम बंगाल में होने का संदेह
सुप्रीम कोर्ट ने लड़की का पता लगाने में यूपी पुलिस की नाकामी पर नाखुशी जाहिर की। वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य के वकील अनुव्रत शर्मा ने पीठ को बताया कि राज्य पुलिस कठोर कदम उठा रही है और अंतर-राज्यीय प्रभाव के कारण जांच की गति प्रभावित हुई है। वकील ने कहा कि लड़की के अब पश्चिम बंगाल में होने का संदेह है और पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) एकत्र कर लिया है। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में हम जांच सीबीआई या दिल्ली पुलिस को सौंप देंगे। जिसके बाद पीठ ने गोरखपुर पुलिस को बृहस्पतिवार तक संपूर्ण जांच रिकॉर्ड मालवीयनगर पुलिस (दिल्ली) को देने का निर्देश दिया। पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को लापता लड़की का पता लगाने के लिए आगे की जांच सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

विस्तार

गोरखपुर की 13 साल की बच्ची के अपहरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को जांच रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को गुरूवार तक सौंपने को कहा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच की निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने यह निर्णय लापता लड़की की मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर लिया है। लड़की की मां को दिल्ली के एक व्यक्ति के अपहरणकर्ता होने का संदेह है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अमित पई ने पीठ के समक्ष कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक लड़की का पता नहीं चला है। याचिकाकर्ता दिल्ली में एक घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही है और संदिग्ध लंबे समय से उसकी नाबालिग बेटी को बहकाने की कोशिश कर रहा था। इस संबंध में उसने दिल्ली के मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई थी। गत जुलाई में जब याचिकाकर्ता अपनी बेटियों के साथ गोरखपुर में अपने पति के परिवार के साथ थी। उसी दौरान उसकी सबसे बड़ी बेटी लापता हो गई।

बातचीत सुनी थी जिसमें संदिग्ध व्यक्ति उसकी बेटी को धमकी दे रहा था

याचिका के अनुसार छोटी बेटी ने संदिग्ध और उसकी बहन के बीच फोन पर बातचीत सुनी थी जिसमें संदिग्ध व्यक्ति उसकी बेटी को धमकी दे रहा था कि अगर वह दिल्ली में उसके फ्लैट में नहीं आई तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस बातचीत के तुरंत बाद लड़की लापता हो गई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने जल्द ही गोरखपुर पुलिस के समक्ष शिकायत की थी लेकिन पुलिस के कोई त्वरित कदम नहीं उठाया। सुप्रीम कोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में आशंका जताई गई है कि लड़की का यौन शोषण किया जा सकता है या देह व्यापार में धंधे में धकेला जा सकता है।

वकील ने कहा कि लड़की के अब पश्चिम बंगाल में होने का संदेह

सुप्रीम कोर्ट ने लड़की का पता लगाने में यूपी पुलिस की नाकामी पर नाखुशी जाहिर की। वहीं, उत्तर प्रदेश राज्य के वकील अनुव्रत शर्मा ने पीठ को बताया कि राज्य पुलिस कठोर कदम उठा रही है और अंतर-राज्यीय प्रभाव के कारण जांच की गति प्रभावित हुई है। वकील ने कहा कि लड़की के अब पश्चिम बंगाल में होने का संदेह है और पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) एकत्र कर लिया है। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में हम जांच सीबीआई या दिल्ली पुलिस को सौंप देंगे। जिसके बाद पीठ ने गोरखपुर पुलिस को बृहस्पतिवार तक संपूर्ण जांच रिकॉर्ड मालवीयनगर पुलिस (दिल्ली) को देने का निर्देश दिया। पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को लापता लड़की का पता लगाने के लिए आगे की जांच सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है। अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।