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भ्रष्टाचार के सुपरटेक ट्विन टावर की नींव खोदने में जुटी एसआईटी, नोएडा के अधिकारियों पर गिरेगी गाज!

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले की जांच के लिए सोमवार को एसआईटी नोएडा पहुंचीएसआईटी के अध्यक्ष संजीव मित्तल सुबह 11 बजे ही नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर पहुंचेकोर्ट के आदेश के मद्देनजर इस मसले से जुड़ी फाइलें सामने रखकर बातचीत शुरूनोएडा
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले की जांच के लिए सोमवार को स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) नोएडा पहुंची। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। नोएडा अथॉरिटी के चेयरमैन और एसआईटी के अध्यक्ष संजीव मित्तल सुबह 11 बजे ही नोएडा अथॉरिटी के सेक्टर-6 स्थित कार्यालय में पहुंच गए। इसके बाद कोर्ट के आदेश के मद्देनजर नोएडा अथॉरिटी में इस मसले से जुड़ी फाइलें सामने रखकर बातचीत शुरू हुई।

नोएडा अथॉरिटी की सीईओ से लेकर प्लानिंग विभाग के अधिकारी, एसीईओ और ओएसडी स्तर के अधिकारी दिनभर बोर्ड रूम में चली मीटिंग में व्यस्त रहे। सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में बने 40 मंजिला दो टॉवर को अवैध करार देते हुए 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने गिराने का आदेश जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इन 40 मंजिला टॉवर का नक्शा पास करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए अथॉरिटी को आदेश दिया था। इसके बाद से अथॉरिटी में हड़कंप है। सीएम योगी ने 2 सितंबर को इस मामले की जांच एसआईटी से कराने का फैसला लिया। सप्ताह भर में एसआईटी को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी है। सोमवार से एसआईटी ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अब देखना यह है एसआईटी की रिपोर्ट के बाद किन-किन अधिकारियों पर गाज गिरती है।

पूर्व आईएएस अधिकारियों तक आ सकती है जांच की आंच
2004 में सुपरटेक एमराल्ड के लिए प्लॉट का आवंटन हुआ था। इसके बाद 3 बार नक्शे में बदलाव हुआ है और इसकी मंजूरी बोर्ड बैठक में ली गई थी। नक्शे में बदलाव का फैसला लेने के लिए उन दिनों नक्शा समिति जिम्मेदार होती थी, जिसके प्रस्ताव को बोर्ड में रखकर मंजूरी देने की प्रक्रिया थी। फिलहाल अथॉरिटी की ओर से शासन स्तर को प्लानिंग विभाग और अन्य संबंधित विभागों में पूर्व में कार्यरत जिन 8 लोगों के नाम भेजे गए हैं उनमें आला अधिकारी नहीं है।

इस मामले की जांच में यदि शासन अभी के जैसी गंभीरता बनाए रखता है तो जांच की आंच पूर्व में अथॉरिटी में तैनात रहे बड़े अधिकारियों तक आ सकती है क्योंकि बोर्ड बैठक में मंजूर की गई पॉलिसी के बाद ही बिल्डर के नक्शे में तीन बार संशोधन कर उसे एफएआर बेचा गया। 2011 में बिल्डर ने अथॉरिटी को करीब 15 करोड़ रुपये की सरकारी फीस देकर एफएआर खरीदा था।

2006 में पहली बार नक्शे में बदलाव किया गया उस समय पूर्व आईएएस संजीव सरन अथॉरिटी के सीईओ थे। 2009 में जब दूसरी बार बदलाव किया गया तो पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह अथॉरिटी के सीईओ थे। 2012 में जब तीसरी बार नक्शे में बदलाव कर 40 मंजिला टावर खड़ा करने की मंजूरी दी गई तो उस समय कैप्टन एस के द्विवेदी अथॉरिटी के सीईओ थे।

समय के साथ बदलते रहे हैं अन्य एरिया के भी नक्शे
पॉलिसी को आधार बनाकर बिल्डर को एफएआर बेचा गया था। डीएनडी के बगल में दिल्ली-6 एरिया में इस समय बड़े-बड़े टावर खड़े हुए हैं या एरिया 2001 के मास्टर प्लान के अनुसार ग्रीन बेल्ट एरिया के रूप में इंगित है। सेक्टर-15ए के लोगों ने दिल्ली-6 एरिया का लैंड यूज बदलने पर उस समय खासा विरोध किया था लेकिन बोर्ड बैठक में पॉलिसी लाकर इसके लैंडयूज में बदलाव किया गया।

नोएडा ट्विन टावर