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गोरखपुर पुलिस का कारनामा, जिंदा लुटेरे को नहीं पकड़ सकी तो मरे को बना दिया गैंगेस्टर

गोरखपुर
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर पुलिस एक बार फिर चर्चा में है। यहां की पुलिस का कारनामा देख हर कोई हैरान है। अपराधियों पर शिकंजा कस पाने में नाकाम पुलिस जिंदा लुटेरों पर कार्रवाई नहीं कर सकी तो उसने मृतक लुटेरे को गैंगेस्टर बना डाला। यानी जिस व्यक्ति की डेढ़ साल पहले हत्या हो चुकी है। उसके संगठित अपराध पर लगाम लगाने के लिए गोरखपुर की गोला पुलिस ने जिलाधिकारी से उसके खिलाफ गैंगेस्टर का अनुमोदन करा लिया। जब पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की तब पता चला कि उसकी डेढ़ साल पहले ही हत्या हो चुकी है।

क्या होता है गैंगेस्टर
दरअसल, जो गैंग बनाकर क्राइम करते हैं। उनके गैंग से इलाके में न सिर्फ वारदात के बढ़ने या अशांति फैलने की भी आशंका होती है तो उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश गिरोह अधिनियम यानी गैंगेस्टर की कार्रवाई के तहत उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाता है। गैंगेस्टर एक्ट की कार्रवाई पर किसी तरह का चैलेंज न हो इस लिए यह एक लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरती है। जिनके ऊपर गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करनी है। उनके सक्रिय होने के साथ ही उनके अपराध को लेकर स्थानीय पुलिस एक पूरी रिपोर्ट तैयार करती है।

थाने में बैठे तैयार कर दी रिपोर्ट
इसकी कापी सीओ, एडिशनल एसपी से होते हुए एसएसपी तक जाती है। वहां से डीएम के यहां भेजी जाती है। पुलिस की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद डीएम जब गैंगेस्टर का अनुमोदन करते हैं, तब इस मामले में थाने में गैंगेस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है और आरोपित को पकड़ कर जेल भेजा जाता है। गोला पुलिस ने यह सारी कार्रवाई की तो लेकिन जांच कर नहीं, बल्कि थाने में बैठे ही उसने अपनी पूरी रिपोर्ट उस व्यक्ति के खिलाफ तैयार कर दी। जिसकी नंवबर 2019 में हत्या हो चुकी थी।

इन थानेदारों ने किया कारनामा
मई 2021 में गोला थाने के तत्कालीन थानेदार संतोष सिंह ने अपने इलाके के लुटेरों पर गैंगेस्टर लगाने की तैयारी की। जिसके तहत 2016 में लूट के मामले में जेल जा चुके राजेश यादव, मनीष यादव और राहुल यादव का नाम उनके जेहन में आया। बिना जांच किए ही उन्होंने गैंगेस्टर के लिए इन तीनों के खिलाफ मई 2021 के अन्तिम सप्ताह में एसएसपी के यहां रिपोर्ट भेज दी। वहां से फाइल डीएम के यहां भेजी गई और फिर गैंगेस्टर की अनुमति मिलने के बाद पांच जुलाई को तीनों खिलाफ गैंगेस्टर के तहत गोला थाने में केस दर्ज किया गया। वर्तमान में तीसरे इंस्पेक्टर इसकी विवेचना कर रहे हैं।

मनीष यादव के पकड़े जाने के बाद एक्टिव हुई पुलिस
पुलिस ने तीन आरोपियों में से एक उरूवा थाना क्षेत्र के प्रतापीपुर निवासी मनीष यादव को 24 जुलाई को दबोच लिया। इसी के साथ उसके दो अन्य साथियों के फरार होने की जानकारी दी। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में मनीष यादव को गैंग का लीडर बताया था। वहीं, फरार लोगों में उरूवा थाना के चौरा गांव निवासी राहुल पुत्र रामतीर्थ और बड़हलगंज थाना क्षेत्र के फड़साड़ गांव निवासी राजेश यादव पुत्र रामनाथ, जिसकी 2019 में ही हत्या हो चुकी है, वह भी शामिल था। पिछले सप्ताह जब पुलिस टीम राजेश यादव की तलाश में उसके घर दबिश देने पहुंची तो राजेश के भाई अवधेश यादव ने बताया कि उसके भाई की दो साल पहले हत्या हो चुकी है। यह सुनकर पुलिसवाले सन्न रह गए। राजेश यादव का मृत प्रमाणपत्र, पीएम रिपोर्ट और फोटो लेकर लौट आए।
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26 नवंबर 2019 में हुई थी राजेश यादव की हत्या
बड़हलगंज थाना क्षेत्र के फड़सा गांव निवासी राजेश यादव की 26 नवंबर 2019 की रात में दो बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। देवरिया जिले के बनकटा थाना क्षेत्र स्थित ताली मठिया में वह देसी शराब की दुकान के मुनीम की नौकरी करता था। शराब की दुकान पर ही बदमाशों ने उसकी हत्या की थी।