यूपी के मैनपुरी में दो साल पहले वर्ष 2019 में 16 वर्षीय एक छात्रा की रहस्यमय मौत हो गई थी। किशोरी अपने स्कूल में संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी पर लटकी मिली थी। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के दखल के बाद डीजीपी मुकुल गोयल ने इस मामले की जांच के लिए नई विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है। अदालत ने पुलिस अधिकारियों से एक महीने के बाद जांच रिपोर्ट मांगी है। मृतक लड़की के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया और फिर हत्या कर दी गई।
अदालत ने गुरुवार को एक निर्देश भी जारी किया कि राज्य सरकार को अपने अधिकारियों को दो महीने के भीतर या आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के संशोधित प्रावधानों के अनुसार समय सीमा के भीतर दुष्कर्म मामलों की जांच पूरी करने का निर्देश देना चाहिए। अदालत ने पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि संबंधित लड़की के परिवार के सदस्यों पर जांच के दौरान दबाव न डाला जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
‘पुलिस आरोपियों को बचाने का काम कर रही’
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा की खंडपीठ ने महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पुलिस इस घटना की निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है और वास्तविक आरोपियों को बचा रही है। सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत को सूचित किया कि संबंधित जांच अधिकारी, एएसपी और डीएसपी, जो शुरू में मामले की जांच कर रहे थे, को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। साथ ही मामले की नए सिरे से जांच के लिए नई एसआईटी का गठन किया गया है।
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