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गजब : हाईस्कूल के छात्र को भी चाहिए लाइसेंसी असलहा, बताया जान-माल का खतरा

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सार
दोआबा में सिर चढ़कर बोल रही असलहों के प्रति लोगों की दीवानगी, पुलिस जब आवेदन की जांच करने पहुंची तो उसे सारी बातें गलत मिलीं और आवेदन को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद छात्र ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर आवेदन कर दिया। इससे महकमे में हड़कंप मच गया है।

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सदर कोतवाली इलाके के एक गांव में रहने वाले हाईस्कूल के छात्र पीयूष मिश्रा को शस्त्र लेने का भूत सवार है। छात्र के मुताबकि उसे जान का खतरा है। आवेदन पत्र की पुलिस ने जांच की तो सारी बातें झूठी साबित हुईं। अफसरों ने इसकी रिपोर्ट भेजी तो पीयूष ने जन सुनवाई पोर्टल में शिकायत दर्ज करा दी।

दरअसल कोतवाली इलाके का एक छात्र इन दिनों बीए कर कर रहा है। हाईस्कूल के दौरान ही उसकी उम्र 18 वर्ष पूरी हो चुकी थी। घर में शान-शौकत की कोई कमी नहीं थी। बस, कमी थी तो असलहे की। इस वजह से उसने अध्यनरत रहते हुए शस्त्र लेने के लिए आवेदन कर दिया। आवेदन में लिखा कि उसे जान से मारे जाने का खतरा है। आवेदन पत्र की पुलिस ने जांच कराई तो स्थानीय दरोगा ने लिखा कि पीयूष को किसी से खतरा नहीं है। वह शौकिया असलहा लेना चाहता है।

इसी रिपोर्ट पर इंस्पेक्टर, सीओ, एएसपी और एसपी ने भी अपनी मुहर लगाकर जिलाधिकारी को प्रेषित कर दी। फाइल दाखिल दफ्तर होेने के कगार पर पहुंची ही थी कि पीयूष ने जन सूचना में शिकायत कर अपने आवेदन पत्र को गायब किए जाने के बाबत जानकारी मांग ली। इसे लेकर पुलिस महकमें हड़कंप मच गया। पुराने दस्तावेज खंगाले गए तो हकीकत का पता चला कि इसकी रिपोर्ट तो पहले ही भेजी जा चुकी है।

सैकड़ों प्रार्थना पत्र हैं लंबित
मंझनपुर। जिले में असलहा का लाइलेंस कराने के पीछे सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी भी है। लोग लाइसेंस कराने के बाद बड़े शहरों में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने चले जाते हैं। इस कारण असलहा कराने के नाम पर एक लाख तक की रिश्वत देने तक को लोग तैयार हो जाते हैं। शस्त्र अनुभाग के सूत्रों की माने तो जिले में सैकड़ों की तादात में फाइलें लंबित पड़ी है।

दुकानों में सड़ रही है बंदूकें
मंझनपुर। जिले में बड़ी संख्या में वरासत के लाइसेंस की पत्रावलिया लंबित हैं। इन पर विचार नहीं हो रहा है। नतीजतन यह असलहे पुलिस के मालखाने या असलहों की दुकानों में जमा रहकर खराब होने के करीब पहुंच रहे हैं?

इनका कहना है
वरासत के मामलों का निस्तारण किया जा रहा है। नए आवेदनों मे जरूरतमंदों को शस्त्र दिए जा रहे हैं। प्रयास है कि वरासत से जुड़ी फाइलों का जल्द निस्तारण कराया जाए। कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण काम में देरी हो ही है। – सदाशिव, वरिष्ठ सहायक, शस्त्र अनुभाग कलक्ट्रेट

विस्तार

सदर कोतवाली इलाके के एक गांव में रहने वाले हाईस्कूल के छात्र पीयूष मिश्रा को शस्त्र लेने का भूत सवार है। छात्र के मुताबकि उसे जान का खतरा है। आवेदन पत्र की पुलिस ने जांच की तो सारी बातें झूठी साबित हुईं। अफसरों ने इसकी रिपोर्ट भेजी तो पीयूष ने जन सुनवाई पोर्टल में शिकायत दर्ज करा दी।

दरअसल कोतवाली इलाके का एक छात्र इन दिनों बीए कर कर रहा है। हाईस्कूल के दौरान ही उसकी उम्र 18 वर्ष पूरी हो चुकी थी। घर में शान-शौकत की कोई कमी नहीं थी। बस, कमी थी तो असलहे की। इस वजह से उसने अध्यनरत रहते हुए शस्त्र लेने के लिए आवेदन कर दिया। आवेदन में लिखा कि उसे जान से मारे जाने का खतरा है। आवेदन पत्र की पुलिस ने जांच कराई तो स्थानीय दरोगा ने लिखा कि पीयूष को किसी से खतरा नहीं है। वह शौकिया असलहा लेना चाहता है।

इसी रिपोर्ट पर इंस्पेक्टर, सीओ, एएसपी और एसपी ने भी अपनी मुहर लगाकर जिलाधिकारी को प्रेषित कर दी। फाइल दाखिल दफ्तर होेने के कगार पर पहुंची ही थी कि पीयूष ने जन सूचना में शिकायत कर अपने आवेदन पत्र को गायब किए जाने के बाबत जानकारी मांग ली। इसे लेकर पुलिस महकमें हड़कंप मच गया। पुराने दस्तावेज खंगाले गए तो हकीकत का पता चला कि इसकी रिपोर्ट तो पहले ही भेजी जा चुकी है।

सैकड़ों प्रार्थना पत्र हैं लंबित
मंझनपुर। जिले में असलहा का लाइलेंस कराने के पीछे सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी भी है। लोग लाइसेंस कराने के बाद बड़े शहरों में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने चले जाते हैं। इस कारण असलहा कराने के नाम पर एक लाख तक की रिश्वत देने तक को लोग तैयार हो जाते हैं। शस्त्र अनुभाग के सूत्रों की माने तो जिले में सैकड़ों की तादात में फाइलें लंबित पड़ी है।

दुकानों में सड़ रही है बंदूकें
मंझनपुर। जिले में बड़ी संख्या में वरासत के लाइसेंस की पत्रावलिया लंबित हैं। इन पर विचार नहीं हो रहा है। नतीजतन यह असलहे पुलिस के मालखाने या असलहों की दुकानों में जमा रहकर खराब होने के करीब पहुंच रहे हैं?

इनका कहना है
वरासत के मामलों का निस्तारण किया जा रहा है। नए आवेदनों मे जरूरतमंदों को शस्त्र दिए जा रहे हैं। प्रयास है कि वरासत से जुड़ी फाइलों का जल्द निस्तारण कराया जाए। कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण काम में देरी हो ही है। – सदाशिव, वरिष्ठ सहायक, शस्त्र अनुभाग कलक्ट्रेट