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AK 203: टेक्नॉलजी ट्रांसफर के लिए अब रॉयल्टी नहीं, अमेठी में एके 203 राइफल के निर्माण का रास्‍ता साफ, चुनाव से पहले मिल सकती है सौगात

हाइलाइट्सदुनिया की सबसे घातक राइफलों में शुमार एके-203 का निर्माण जल्द शुरू होगाअमेठी राइफल फैक्‍ट्री में 6.7 लाख क्‍लाशनिकोव राइफलों का निर्माण किया जाएगायह राइफल एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती हैदो साल पहले अमेठी में फैक्ट्री खुली थी लेकिन रूस के साथ नहीं बन पाई थी बातअब रॉयल्टी और उत्पादन का रास्ता हुआ साफ, जल्द ही शुरू हो सकेगा प्रॉडक्शनअमेठी
रूस के टेक्नॉलजी ट्रांसफर के पक्ष में रॉयल्टी क्लॉज माफ कर दिया है। इसके साथ ही अब अमेठी कारखाने में एके 203 असॉल्ट राइफलों के निर्माण को हरी झंडी मिल गई है। आने वाले महीनों में 5,124 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इसके साथ ही उत्पादन अगले साल शुरू हो सकता है।

सूत्रों ने कहा कि लागत और स्वदेशीकरण सामग्री से संबंधित मुद्दों के चलते इस परियोजना पर अब तक रोक लगी हुई थी। अब इन सारे मुद्दों को सुलझा लिया गया है। इसके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इसे हरी झंडी दे दी है।

यह बनी सहमति
पहले रूस ने टेक्नॉलजी ट्रांसफर के बाद भारत में उत्पादित होने वाली प्रत्येक राइफल पर रॉयल्टी मांगी थी। इसे अब माफ कर दिया गया है। भारत अब रूस को टेक्नॉलजी ट्रांसफर के लिए भुगतान करेगा न कि रॉयल्टी देगा।

200 करोड़ से ज्यादा की होगी बचत
सूत्रों ने कहा कि इस कदम से आने वाले वर्षों में कम से कम 200 करोड़ रुपये की बचत होगी और यह सुनिश्चित होगा कि भारत को आधुनिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन करने का ज्ञान हो। कॉन्ट्रैक्ट हुआ है कि फिलहाल 70,000 राइफलें सीधे रूस से आयात की जाएंगी, जबकि 6,01,427 राइफलें ओएफबी-क्‍लाशनिकोव के जॉइंट वेंचर के साथ यहां बनेंगी। 32 महीनों के भीतर टेक्नॉलजी पूरी तरह से ट्रांसफर हो जाएगी।

बेहद खास है एके-203
रूस निर्मित एके-203 राइफल दुनिया की सबसे आधुनिक और घातक राइफलों में से एक है। इसके आने पर सेना को अक्‍सर जाम होने वाली इंसास राइफलों से मुक्ति मिल जाएगी। एके-203 बेहद हल्‍की और छोटी है जिससे इसे ले जाना आसान है। इसमें 7.62 एमएम की गोलियों का इस्‍तेमाल किया जाता है। यह राइफल एक मिनट में 600 गोलियां या एक सेकंड में 10 गोलियां दाग सकती है। इसे ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों ही मोड पर इस्‍तेमाल किया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता 400 मीटर है। सुरक्षाबलों को दी जाने वाली इस राइफल को पूरी तरह से लोड किए जाने के बाद कुल वजन 4 किलोग्राम के आसपास होगा।

रूस की एके 203