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Ashish mishra: ‘मैं वहां होता तो जिंदा न होता…’, जानें लखीमपुर खीरी की घटना पर क्या बोले अजय टेनी के बेटे आशीष मिश्रा

हाइलाइट्सलखीमपुर-खीरी में हुई घटना में अब तक नौ लोगों की हो चुकी है मौतघटना में रोज नए वीडियो आ रहे सामने, किसानों को भड़काने का भी लगा है आरोपअजय मिश्रा टेनी के बेटी आशीष मिश्रा पर है किसानों को गाड़ी से रौंदने का आरोपआशीष मिश्रा उर्फ मोनी ने किया बचाव, कहा वह घटनास्थल पर थे ही नहींलखीमपुर-खीरी
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को किसानों के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में 9 लोगों को जान चली गई। मामले ने बड़ा राजनीतिक रंग ले ले लिया। आरोप है कि मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। सवाल उठ रहे हैं कि आशीष मिश्रा उर्फ मोनू कहां हैं। इस मामले में आशीष मिश्रा ने हमारे सहयोगी टाइम्स नाउ नवभारत से बात की।

घटनाक्रम क्या रहा? आरोप लगाया जा रहा है कि किसानों को कुचलने का प्रयास किया गया?
मेरे गांव बंघेरपुर गांव में 35 सालों से मेरे बाबाजी के नाम से एक कुश्ती प्रतियोगिता चल रही है। मेरे पिता इसके अध्यक्ष थे। 10-12 सालों से इसे मैं देख रहा हूं। उप-मुख्यमंत्री (केशव प्रसाद मौर्य) को चीफ गेस्ट बनने का अनुरोध किया था। तीन वाहन उनको रिसीव करने के लिए जा रहे थे। रास्ते में किसान लोग ने हमारी गाड़ी पर हमला बोला। सबसे पहले जिस महिंद्रा थार गाड़ी से मैं चलता था, उसमें कार्यकर्ता बैठे हुए थे, जैसा सुनने में आया है पर पथराव किया। उसमें से एक दो लड़के (जो घायल हैं) ने बताया कि ड्राइवर को पत्थर मारा गया और ड्राइवर अचेत हो गया। गाड़ी डिसबैलंस हो गई और उसमें हमारे चार कार्यकर्ताओं को, जिसमें मेरा ड्राइवर भी था कि पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

किसानों और राकेश टिकैत का आरोप है कि आप भी मौजूद थे गाड़ी में। आपने भागने से पहले फायर किए और उससे भी एक किसान की मौत हुई?
मैं कार्यक्रम का अध्यक्ष था। डेप्युटी सीएम को आना था। प्रशासनिक अमला मौजूद था। पुलिस-प्रशासन और लगभग ढाई हजार लोग वहां मौजूद थे। लखनऊ, वाराणसी और तमाम जगहों से पहलवान आए थे। डेप्युटी सीएम का कार्यक्रम था, इसलिए मंच को सब कवर किए थे। मैं सुबह 9 बजे से शाम को कार्यक्रम समापन तक अपने गांव में ही मौजूद रहा। मैं तिकुनिया गया ही नहीं। यह स्पष्ट हो जाएगा, इसके प्रमाण उपलब्ध हो जाएंगे।

इस तरह के आरोप लग रहे हैं। आप निघासन विधानसभा सीट से चुनाव से लड़ना चाह रहे हैं। आपके पिता को मंत्री बनाया गया। क्या राजनीतिक रसूख के कारण आपको और आपके परिवार को टारगेट किया गया?
हो सकता है। अभी हमारे पिता को किसानों ने कई कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया। हम लोग कृषि कानून के समर्थन में किसानों को बता रहे थे। कुछ लोगों को यह नागवार गुजर रहा था। ऐसे लोगों ने सोचा की मोनू को मार दें। बड़ी घटना कर दें। इनके परिवार में किसी को चोट कर दें या झूठे आरोपों में फंसाएं। ईश्वर की कृपा है कि मैं जिंदा हूं, क्योंकि मैं वहां नहीं था। जितने लोग थे सबको मार डाला गया। अगर मैं वहां होता तो क्या बच पाता? मुझे भी मार दिया जाता। मुझे खरोंच तक नहीं आई है।

कहा जा रहा है कि कुछ प्रतिबंधित संगठन इस साजिश में शामिल थे। किसानों को भड़काने आए थे।
मैंने न्यूज और तस्वीरों में ही देखा कि बब्बर खालसा वाले वहां थे। लोग गड़ासे भाले लेकर आए थे। खालिस्तान की टीशर्ट पहनकर आए थे। जिस तरह से हमारे लोगों की पीट-पीटकर हत्या की गई, वह गंभीर है। हिंदुस्तान का किसान ऐसा नहीं कर सकता। हिंदू ऐसा नहीं कर सकता।

इस घटना में आपसे जुड़े ड्राइवर, बीजेपी कार्यकर्ता और एक पत्रकार की भी मौत हुई लेकिन उनका मुद्दा नहीं उठ रहा। टारगेट करके मॉब लिंचिंग की गई। इस पर क्या कहना है?
दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम लोग कभी हिंसा के पक्ष में नहीं रहे हैं। जो हुआ वह नहीं होना चाहिए थे। तीन बूथ स्तर के कार्यकर्ता थे। एक हमारा ड्राइवर था। लोगों को पीट-पीटकर कह रहे हैं कि गाड़ी से कुचलने के लिए भेजा था। वीडियो वायरल है। मैंने भविष्य में कभी नहीं सोचा था कि कथित खुद को किसान कहने वाले इस तरह की घटना को अंजाम देंगे। जो भी खत्म हुए हैं नहीं होना चाहिए था। जिन्होंने कार्यकर्ताओं को मारा या जो अन्य लोग मारे गए हैं, सभी की निष्पक्ष जांच हो।

तेजेंदर सिंह का नाम आ रहा है कि वह दिल्ली-एनसीआर में भर्ती हैं। वह भी यहां मौजूद थे। क्या किसान आंदोलन की आड़ में रूलिंग पार्टी के खिलाफ साजिश की जा रही थी?
मैं पूरा समय दंगल में ही मौजूद था। मुझे नहीं पता है। मुझे न्यूज और वीडियो देखकर ही घटना की जानकारी हो रही है।

विपक्ष के सभी नेता यहां आ रहे हैं। आने का प्रयास कर रहे थे। क्या विपक्ष अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए आ रहे हैं या किसानों के लिए आ रहे हैं?
जो आना चाहें आएं। किसान क्या कोई भी आंदोलन कर सकता है क्योंकि यह लोकतंत्र है। हमारे लोग तो चीफ गेस्ट को रिसीव करने जा रहे थे। उन्हें पीट-पीटकर मार दिया गया। मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि जो भी दल के लोग यहां आ रहे हैं आएं लेकिन राजनीति न करें क्योंकि दुर्घटना बहुत दुखद है। इस पर राजनीति करना ठीक बात नहीं है।