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‘भीड़ से बचने के लिए ड्राइवर ने बढ़ाई थी स्पीड, हो सकता है कुछ लोग नीचे आ गए हों’

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लखीमपुर खीरी। तिकुनिया में भाजपा कार्यकर्ताओं की मौत के मामले में हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सभासद सुमित जायसवाल ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा है कि हमलावरों ने उनकी कार को चारों ओर से घेर रखा था। ऐसे में वहां से निकलने को ड्राइवर ने कार की स्पीड बढ़ाई, हो सकता है कि कुछ लोग उसके नीचे आ गए हों।
सुमित ने कहा कि वे लोग कार्यक्रम स्थल पर थे, जहां उपमुख्यमंत्री आने वाले थे। इसी दौरान सूचना मिली कि वह सिंघाई पहुंचने वाले हैं तो वे लोग उनके स्वागत के लिए कालीचरन मोड़ जा         रहे थे।
तिकुनिया के आगे जहां पर ये लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी कार थोड़ा सा प्रदर्शन के अंदर पहुंच गई तो लाठी-डंडों से प्रहार कर दिया, मारो-मारो की नारेबाजी होती है।
भीड़ में हमारे जिले के लोग नहीं थे, उनका पहनावा हमारे यहां की तरह नहीं था। वे आक्रामक थे और गाड़ी पर हमला करना चाहते थे। पथराव से गाड़ी के शीशे टूट गए तो ड्राइवर हरिओम की आंख या सिर में जाकर लग गया। इससे गाड़ी अनियंत्रित होकर किनारे जाकर लग गई। जैसे ही गाड़ी रुकी हरिओम को उतार लिया और मारने लगे। सब मारो-मारो चिल्ला रहे थे, सबके हाथ में धारदार हथियार थे।
माहौल देखकर लग रहा था कि वे बहुत बड़ी घटना अंजाम देना चाहते थे। मैं किसी तरह वहां से भाग निकला। मेरे मित्र शुभम मिश्रा को उन्होंने मार दिया। उसके सिर पर बहुत प्रहार किए गए। मैंने उसका शव देखा है, किसान ऐसा नहीं कर सकते। इसके पीछे बड़ी ताकतें थीं जो बड़ी वारदात अंजाम देना  चाहती थीं।
सुमित ने बताया कि वह उसे देख नहीं पाए हैं। बताया कि गाड़ी पर उन लोगों ने सीधे डंडे से मारना शुरू कर दिया। ड्राइवर से गाड़ी अनियंत्रित हो गई। एक-दो लोगों को ठोकर लगी भी या शायद नहीं लगी लेकिन वे लोग गाड़ी पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे।
कोई तलवार लेकर था तो कोई नुकीले हथियार लिए था। मैं भागा लेकिन शुभम नहीं भाग सका। उसे पीछे से उतारकर पकड़ लिया फिर मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि उसे मार दिया गया है। मैं काफी दूर तक भागता रहा तो वहां कोई गाड़ी आई, वे मुझे बैठाकर ले गए। शायद वे भी कार्यक्रम में जा रहे थे।

तिकुनिया के आगे जहां पर ये लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी कार थोड़ा सा प्रदर्शन के अंदर पहुंच गई तो लाठी-डंडों से प्रहार कर दिया, मारो-मारो की नारेबाजी होती है।

भीड़ में हमारे जिले के लोग नहीं थे, उनका पहनावा हमारे यहां की तरह नहीं था। वे आक्रामक थे और गाड़ी पर हमला करना चाहते थे। पथराव से गाड़ी के शीशे टूट गए तो ड्राइवर हरिओम की आंख या सिर में जाकर लग गया। इससे गाड़ी अनियंत्रित होकर किनारे जाकर लग गई। जैसे ही गाड़ी रुकी हरिओम को उतार लिया और मारने लगे। सब मारो-मारो चिल्ला रहे थे, सबके हाथ में धारदार हथियार थे।