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छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ ने किया जनसम्पर्क अधिकारी संघ की मांगों का किया पुरजोर समर्थन

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जनसम्पर्क विभाग सहित अन्य विभाग में पदस्थ राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को तत्काल हटाने तथा अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को राज्य प्रशासनिक सेवा के पदों पर पदस्थ करने की मांग

छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रातांध्यक्ष श्री कमल वर्मा ने जनसम्पर्क विभाग राजपत्रित अधिकारी संघ की मांगों का समर्थन करते हुए जनसम्पर्क विभाग में पदस्थ राज्य प्रशासनिक सेवा के कनिष्ठ अधिकारी को संचालक पद से तत्काल हटाते हुए अन्य विभागों में पदस्थ राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को हटाने की मांग की है। उन्होंने यह भी मांग की है कि अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को उनके स्तर के आधार पर राज्य प्रशासनिक सेवा के पदों पर पदस्थ किया जाए।
प्रांताध्यक्ष श्री कमल वर्मा ने मुख्य सचिव को सम्बोधित ज्ञापन में लिखा है कि जनसम्पर्क संचालनालय में संचालक पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की पदस्थापना से राज्य के समस्त जनसम्पर्क अधिकारी निराश है, क्षुब्ध है और अपमानित महसूस कर रहे हैं। इसी तरह महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य विभिन्न विभागों में भी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियम विरूद्ध पदस्थ है। विभिन्न विभागों में पदस्थ विभागीय अधिकारी समान सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करके शासकीय सेवा में आते हैं तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के समकक्ष होते है। विभागीय अधिकारी अपने विभाग की योजनाओं के विशेषज्ञ अधिकारी होते हैं किन्तु राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को विभागीय योजनाओं के बारें में पर्याप्त ज्ञान एवं अनुभव नहीं होता है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की विभिन्न विभागों में पदस्थापना से विभागीय योजनाओं को उन्हें समझने में लंबा समय लगता है, जिससे शासकीय योजनाएं एवं गतिविधियां प्रभावित होती है। इतना ही नहीं इससे विभिन्न अवसरों पर विरोधाभास और गतिरोध की स्थिति उत्पन्न होती है, जबकि विभागीय अधिकारी लम्बे अनुभव एवं योग्यता के पश्चात् भी विभाग के उच्च पदों पर कार्य करने का अवसर नहीं मिलने से कुंठित, क्षुुब्ध एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस करते हैं।
राज्य शासन के विभिन्न विभागों के विभागीय सेट-अप में राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न पदों पर पदस्थापना का कोई प्रावधान नहीं है। इस तरह की पदस्थापना पूर्णतः गलत एवं नियम विरूद्ध है। इससे विभागीय अधिकारियों की पदोन्नति प्रभावित होती है और लम्बे समय तक पदोन्नति प्रभावित होने से विभागीय अधिकारियों की कार्यक्षमता कम होती है और मनोबल टूटता है।
छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ ने मांग की है कि संचालक, जनसंपर्क विभाग के पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की नियुक्ति के स्थान पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों में से किसी एक को संचालक, जनसंपर्क के पद पर पदस्थ किया जाए और छत्तीसगढ़ संवाद में जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की प्रतिनियुक्तियों के पदों पर राज्य प्रशासनिक सेवा एवं अन्य संवर्ग के अधिकारियों के स्थान पर पूर्व में लिए गए मंत्रिपरिषद के फैसले के अनुरूप जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की ही पदस्थापना की जाए। इसी तरह विभिन्न विभागों में विभागाध्यक्ष के पद पर स्वीकृत सेटअप के अनुसार अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी को ही पदस्थ किया जाए। यदि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी को विभागाध्यक्ष पदस्थ न किया जा सके तो ऐसी स्थिति में वरिष्ठतम विभागीय अधिकारी को विभागाध्यक्ष का प्रभार अनिवार्य रूप से दिया जाए।
श्री वर्मा ने मांग की है कि विभिन्न विभागों में पदस्थ राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को तत्काल वापस बुलाते हुए विभागीय अधिकारियों की पदोन्नति की जाए। ज्ञापन में मांग करते हुए यह भी लिखा गया है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को विभिन्न विभागों में पदस्थ करने से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की संख्या अधिक हो चुकी है एवं इन अधिकारियों को विभिन्न विभागों में समायोजन किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। अतः छत्तीसगढ़ प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ मांग करता है कि राज्य प्रशासनिक सेवा का कैडर रिविजन किया जाए तथा अधिक संख्या पाए जाने पर पद समाप्त किए जाये। छत्तीसगढ़ प्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ ने यह भी मांग की है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की तरह ही अन्य विभागों के प्रथम श्रेणी अधिकारियों को भी प्रतिनियुक्ति पर राज्य प्रशासनिक सेवा के पदों पर पदस्थ किया जाए। छत्तीसगढ़ शासन, मंत्रालय में शासन के निर्देश के परिपालन में राजपत्रित अधिकारियों को वरिष्ठता के आधार पर प्रशासकीय विभाग में संयुक्त सचिव, उप सचिव, अवर सचिव के पद पर पदस्थ किया जाए।
छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ ने मांग की है कि यदि राज्य शासन संघ की मांगों को संज्ञान में लेते हुए तत्काल कार्यवाही नहीं करती है, तो राजपत्रित अधिकारी संघ भविष्य में राज्य स्तर पर उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।