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185 सालों से रावण बना रहा मुस्लिम परिवार: जौनपुर में इस बार 75 फीट का पुतला बनाने में जुटे सुब्बन खां, दूर से मेला देखने आते हैं लोग

जौनपुर जिले के शाहगंज में ऐतिहासिक विजयादशमी मेले में रावण के पुतले के निर्माण में भादी निवासी सुब्बन खां का कुनबा जुट गया है। इनकी तीन पीढ़ियां इस कार्य में लगी रही हैं। इस परिवार के लोग रावण के पुतले के अलावा राजा दशरथ के दीवान व अशोक वाटिका आदि सहित अन्य पुतले बनाते हैं। इस साल 75 फीट ऊंचे रावण का पुतला मेले में आकर्षण का केंद्र होगा।

क्षेत्र में 185 वर्ष पूर्व रामलीला और विजयादशमी मेले की शुरुआत हुई। तभी से रावण के पुतले के अलावा राजा दशरथ के दीवान, अशोक वाटिका, मेघनाथ, जटायु, हिरन आदि के पुतले बनाने का काम सुब्बन खां का परिवार करता चला आ रहा है। सुब्बन खां बताते हैं कि इससे पहले उनके पिता कौसर खां रावण का पुतला बनाने की जिम्मेदारी निभाते रहे। अब इस काम को वे करते हैं।

दशहरा पर्व पर परिवार देता है सहयोग
सहयोग में पत्नी महजबी, पुत्री अफरीन, गुलसबा व पुत्र शाहनवाज, आकिब लगे रहते हैं। सुब्बन खां का परिवार पीढ़ियों से बगैर किसी हिचक के विजयादशमी के पर्व में अपना सहयोग देता चला आया है। उनका यह सहयोग आपसी भाईचारे की जीती जागती मिसाल है।

सुब्बन बताते हैं कि इस वर्ष 75 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया जा रहा है। रावण का पुतला पिछले वर्ष 70 फीट का बना था। इस साल पुतला बनाने में लोहे के रिंग का भी उपयोग किया जा रहा है। जो पुतले को मजबूती देगा और उसे खड़ा करने में भी मददगार होगा। शाहगंज के विजयादशमी का मेला पूर्वांचल में अलग स्थान रखता है। यहां क्षेत्र के अलावा आजमगढ़, सुल्तानपुर, आंबेडकर नगर जिलों से भी लोग आते हैं।

मेले में बैलगाड़ी और ट्रैक्टर से महिलाओं के पहुंचने की एक अनोखी परंपरा रही है। हालांकि बदले दौर में अब इक्का-दुक्का बैलगाड़ी ही दिखाई पड़ती हैं। इनकी जगह ट्रैक्टर और ट्रकों ने ले लिया है। गाड़ियों में चारपाई और चौकी आदि रख कर उस पर बैठकर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग मेले में पहुंचते हैं।

मेला स्थल पर व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस प्रशासन के साथ ही रामलीला समिति के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। आयोजन स्थल में बने पंडाल में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी मेले के महत्व को दर्शाती है।