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Supertech Twin Tower Case: ग्रीन बेल्ट की जमीन पर नोएडा अथॉरिटी का कब्जा, ट्विन टावर के फ्लैट बायर्स से धोखा! SIT जांच में उठे नए सवाल

हाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराने का दिया है आदेशमामले की एसआईटी जांच में नोएडा अथॉरिटी के कई विभाग कठघरे मेंतीन महीने के अंदर ही सुपरटेक के दोनों टावरों को गिराया जाना हैग्रीन बेल्ट पर अथॉरिटी का कब्जा, प्लानिंग विभाग से रिपोर्ट तलबनोएडा
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट सेक्टर-93 ए प्रॉजेक्ट में मिली जमीन जांच के दायरे में है। नोएडा अथॉरिटी की 7 हजार वर्ग मीटर ग्रीन बेल्ट की जमीन प्रकरण में जांच शुरू हो गई है। अथॉरिटी को एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आए शासन के निर्देश के मुताबिक सोमवार 18 अक्टूबर तक ग्रीन बेल्ट अपने कब्जे में लेनी थी। साथ ही ग्रीन बेल्ट को बिल्डर प्रॉजेक्ट में छोड़ने के जिम्मेदारों पर कार्रवाई को भी कहा गया था। इस बीच फ्लोर और फ्लैट रेट बढ़ने को लेकर भी एसआईटी ने सवाल उठाए हैं।

नोएडा अथॉरिटी ने ग्रीन बेल्ट पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही कार्रवाई के लिए जांच भी शुरू हो गई है। एसीईओ स्तर से इसके जिम्मेदारों के नाम उद्यान विभाग के प्रभारी ओएसडी से मांगे गए हैं। ओएसडी ने इस पर प्लानिंग विभाग और वर्क सर्कल से रिपोर्ट मांगी है।

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इंजीनियरिंग और प्लानिंग विभाग से नए नाम भी जद में!
सूत्रों की मानें तो पूछा गया कि क्या यह ग्रीन बेल्ट प्लानिंग और वर्क सर्कल ने चिह्नित कर उद्यान विभाग को सौंप दिया था। इस सेक्टर में कितनी ग्रीन बेल्ट है इसका कब्जा लेने का पत्र उद्यान विभाग ने नक्शे के साथ कब जारी किया। वहीं दूसरी तरफ बात अगर उद्यान विभाग के तत्कालीन अधिकारियों की करें तो उनमें कुछ के नाम लापरवाही पर एसआईटी जांच के दौरान ही सामने आ गए थे। अब शुरू हुई जांच में इंजीनियरिंग और प्लानिंग विभाग से नए नाम भी कार्रवाई की जद में आने की चर्चा है। माना जा रहा है कि शासन के निर्देश के मुताबिक अथॉरिटी इस प्रकरण में सोमवार तक कार्रवाई कर देगी।

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ग्रीन बेल्ट के नीचे से गुजरी हुई है गैस पाइप लाइन
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट और एटीएस सोसायटी के बीच जो 7 हजार वर्ग मीटर ग्रीन बेल्ट जमीन निकली है उसको अथॉरिटी ने अपने कब्जे में ले लिया है। लेकिन इस ग्रीन बेल्ट पर कोई पार्क नुमा निर्माण या बड़े पौधे लगाने का काम नहीं हो पाएगा। कारण इस ग्रीन बेल्ट के नीचे से हाईप्रेशर गैस पाइप लाइन निकली हुई है। यह बात अथॉरिटी की पड़ताल में सामने आई है।

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फ्लैट बॉयर्स से नहीं ली गई थी एफएआर बढ़ाने की मंजूरी
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट टि्वन टावर के लिए नोएडा अथॉरिटी से एफएआर बढ़ाने से पहले नोएडा अथॉरिटी में स्ट्रक्चरल कैलकुलेशन नहीं की गई थी। इस गुणा-गणित में पहले से फ्लैट ले चुके फ्लैट बॉयर्स भी शामिल होते हैं। हर फ्लैट बॉयर का जिस जमीन पर इमारत खड़ी होती है उसमें मालिकाना हक होता है। एफएआर बढ़ने पर फ्लोर और फ्लैट बढ़ते चले गए। ऐसे में यहां पहले से फ्लैट खरीदने वालों से भी एफएआर बढ़ाने की मंजूरी ली जानी चाहिए थी। एसआईटी ने अपनी जांच में इस गड़बड़ी पर भी सवाल उठाया है। अब जांच रिपोर्ट के बिंदु जैसे-जैसे बाहर निकल रहे हैं अथॉरिटी में सुगबुगाहट बढ़ जा रही है। सूत्रों की माने तो कई और ऐसे प्रॉजेक्ट भी हैं जिनमें उस समय स्ट्रक्चरल कैलकुलेशन नोएडा अथॉरिटी की तरफ से नहीं गई है।

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सुपरटेक ने चुनी टि्वन टावर तोड़ने के लिए एजेंसी
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट में अवैध रूप से बनाए गए टि्वन टावर तोड़ने के लिए सुपरटेक बिल्डर ने एक एजेंसी को चुना है। यह एक प्राइवेट एजेंसी है। सोमवार को यह एजेंसी सीबीआरआई के अधिकारी व उनकी तरफ से बनाई गई कमिटी, जिसमें एनबीसीसी के पूर्व अधिकारी व नैशनल डिमॉलेशन असोसिएशन के सदस्य शामिल हैं, और नोएडा अथॉरिटी के सामने दोनों टावर तोड़ने का प्रजेंटेशन देगी। इसके बाद वह तय करेंगे कि सुपरटेक की चुनी गई एजेंसी इसमें सक्षम है या नहीं। अगर नहीं तो फिर दूसरी एजेंसी पर विचार होगा। एजेंसी तय होने पर डिजिटल ट्रायल सहित आगे की कवायद कर संयुक्त रिपोर्ट बनेगी।

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नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दोनों टावर टूटने में आने वाले खर्च का वहन बिल्डर को ही करना है। नोएडा अथॉरिटी की यह जिम्मेदारी है कि आदेश की तारीख से 3 महीने में यह टावर तोड़े जाएं। सुझाव के लिए सीबीआरआई की टीम है।

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट