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किसान बोले- अन्ना पशु इस बार बुंदेलखंड में बन सकते हैं बड़ा चुनावी मुद्दा

राकेश कुमार अग्रवाल, महोबा
बुंदेलखंड में खेती घाटे का सौदा मानी जाती है। यहां सिंचाई जितनी बड़ी समस्या है, उससे भी विकट समस्या यहां के अन्ना (आवारा) पशु हैं, जो खेतों में खड़ी किसान की फसल को चट कर जाते हैं। योगी सरकार ने बुंदेलखंड में गोशालाएं तो खुलवाईं, लेकिन इसके बावजूद अन्ना पशुओं पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया जा सका है। अन्ना पशुओं से किसान आज भी हलकान हैं। बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अन्ना पशु एक बार फिर चुनावी मुद्दा बन सकते हैं।

रातभर खेतों में जाग रहे हैं किसान
महोबा जिले के जैतपुर विकास खंड के महेवा समेत दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां के किसानों की पूरी रात अन्ना पशुओं को डंडा लेकर हांकने में निकल जाती है। किसान अगर रातभर जागकर चौकीदारी न करें तो अन्ना पशु उनकी सारी फसल चट कर जाएं। ऐसे किसान पशुओं से फसल को चट होने से बचाने के लिए शिफ्टों में खेतों पर चौकीदारी करने को मजबूर हैं।

1.29 लाख पशु हैं गोशालाओं में
बुंदेलखंड के सातों जिलों महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर और जालौन में सरकारी गणना के मुताबिक, 23 लाख 50 हजार पशु हैं। जिनमें सबसे ज्यादा बदहाल स्थिति गायों की है। गाय जब तक दूध देती है, तब तक पशुपालक उसे अपने घर में रखता है। उसके बाद उसे घर के खूंटे या गोशाला में बांधने के बजाय छुट्टा छोड़ देता है। पशुपालक को दूध न देने वाली गाय को घर पर रखना और उसके लिए चारा का इंतजाम करना भारी पड़ता है।

ऐसे आवारा पशु खेतों में खड़ी फसल को उजाड़ देते हैं। अन्ना पशुओं की समस्या लम्बे अरसे से बुंदेलखंड में अभिशाप बनी हुई है। चित्रकूट मंडल में सरकारी स्तर पर 129,385 गोशालाओं में पशु संरक्षित हैं, जबकि दो लाख 16 हजार से ज्यादा पशुओं को गोशाला में रखने का लक्ष्य था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 90 हजार पशु अभी भी छुट्टा घूम रहे हैं।

सबसे बेकदरी गाय की है
भले गाय को लोग माता कहते न थकते हों, लेकिन बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा बेकदरी गाय की है, जबकि भैंस , बकरी, गधा, खच्चर और सुअर को लेकर इतने बुरे हाल नहीं हैं। ये आज भी इनको पालने वालों की कैश प्रापर्टी कहलाते हैं।

अन्ना पशुओं से परेशान किसानों के लिए है यह बड़ा चुनावी मुद्दा
रातभर जागकर अन्ना पशुओं से फसल बचाने के लिए खेतों में रखवाली कर रहे किसान इन आवारा पशुओं से आजिज आ चुके हैं। महेवा के किसान उत्तम सिंह के अनुसार, अन्ना पशुओं पर सरकार प्रभावी अंकुश नहीं लगा पाई है। इस बार के चुनावों में किसान इस मुद्दे को ध्यान में रखकर वोट डालेगा।

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बुधौरा के किसान हरीसिंह के अनुसार, प्राकृतिक आपदाओं से किसान को जूझना पड़ता है। अन्ना पशु मानव जनित आपदा है। जिस पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। सरकार के चलताऊ रवैए से इस समस्या से निजात नहीं मिल सकती है। उनके अनुसार बुंदेलखंड में अन्ना पशु बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा, क्योंकि किसान अन्ना पशुओं से बुरी तरह हलकान है। बम्हौरी के किसान देवपाल के अनुसार, अब किसानों को वादों का लॉलीपॉप देकर नहीं बहलाया जा सकता है।

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अन्ना पशु पर लगे लगाम तो बदल सकती है किसानों की सूरत
बुंदेलखंड का किसान मेहनतकश है। यहां की मिट्टी भी उपजाऊ है। यदि अन्ना पशुओं पर लगाम लग जाए तो किसान को बहुत सारी समस्याओं से निजात मिल सकती है। साथ ही खेती भी लाभकारी सौदा साबित हो सकती है। इस बार के चुनावों में अन्ना पशुओं को लेकर मुद्दा फिर गर्म रहने की संभावना है।