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UP Elections 2022: लड़कियों को फ्री स्मार्टफोन और स्कूटी…दक्षिण की तरह पॉपुलर प्रॉमिस उत्तर भारत में काम क्यों नहीं करता है?

हाइलाइट्सयूपी में विधानसभा 2022 को लेकर पार्टियां कर रही ऐलानकांग्रेस की प्रियंका गांधी ने कहा चुनाव जीतने पर छात्राओं को मोबाइल और स्कूटी देंगीयूपी में चुनावी वादों के फांस में नहीं फंसते हैं उत्तर भारतीय वोटरलखनऊ
प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव में इंटर पास लड़कियों को स्मार्टफोन और स्नातक पास लड़कियों को इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी का वादा किया है। उन्होंने कहा कि छात्राओं को पढ़ने व सुरक्षा के लिए स्मार्टफोन की जरूरत है। प्रियंका गांधी के इस ऐलान को बड़ा चुनावी दांव माना जा रहा है। हालांकि अब तक का यूपी में हुए चुनाव का फ्री चीजें बांटने का दांव काम नहीं आया है। वहीं साउथ और अन्य राज्यों में पार्टियों को इस तरह के ऐलान से फायदा मिला है।

प्रियंका गांधी ने गुरुवार को कहा कि मुझे खुशी है कि घोषणा समिति की सहमति से आज UP कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि सरकार बनने पर इंटर पास लड़कियों को स्मार्टफोन और स्नातक लड़कियों को इलेक्ट्रानिक स्कूटी दी जाएगी।

‘एक ग्रामीण भी राजनीति में रखता है दिलचस्पी’
राजनीतिक विश्लेषक अशोक पांडेय ने कहा कि हिंदी भाषी बेल्ट दक्षिण भारत से अलग है। यहां पर दो कारण हैं जिस वजह से इन आर्थिक लोकलुभावन वादों का असर नहीं पड़ता है। उत्तर भारत का मतदाता बुद्धिजीवी है, जागरूक है। एक गांव में रहने वाला ग्रामीण भी स्थानीय राजनीति से लेकर मोदी और बाइडन की बात करते हैं क्योंकि भले ही वह ज्यादा पढ़े-लिखे न हों लेकिन राजनीति तौर पर परिपक्व होते हैं।

अशोक पांडेय ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई हो या मुगलों के खिलाफ लड़ाई….यूपी से ही इसकी शुरुआत हुई। 700 साल तक हम यमनों के साथ लड़े। हथियार नहीं थे, हम बुद्धि से लड़े। अंग्रेजों से लड़ाई के लिए हथियार नहीं थे हम बुद्धि से लड़े। हर लड़ाई की शुरुआत उत्तर प्रदेश ही रही। क्रांतिकारी यहीं से हुए।

‘यूपी आज भी मजदूत, लालचों में नहीं फंसता वोटर’
वैचारिक लड़ाई, पत्रकारिता, लेखन में भी आज यूपी ही मजबूत है। इसलिए यहां का वोटर इन लालचों औ लोकलुभावन में नहीं पड़ता है। इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई तो यूपी की सारी 85 सीटें हार गईं। जब वीपी सिंह और कुछ नेता आगे आए तो 18 महीने के अंदर फिर सारी सीटें जिता दीं।

‘जातिगत संरचन का असर’
यूपी का वोटर बिकना नहीं चाहते। इस तरह के ऐलान यूथ को अच्छे लगते हैं लेकिन जो परिपक्व मतदाता होता है वह इस तरह के चुनावी वादों में नहीं फंसता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की संरचना एक जाति चक्रव्यूह की है। इसका असर भी चुनाव पर पड़ता है।

दक्षिण भारत में आया काम
2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने सरकार बनने पर महिलाओं को सरकारी परिवहन बसों में मुफ्त यात्रा का वादा किया। यहां पर डीएमके चुनाव जीती और सरकार बनने पर सब्सिडी के लिए 1200 करोड़ रुपये दिए।

2016 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके चीफ जयललिता के वादे- सभी राशन कार्ड धारकों को मुफ्त सेलफोन, 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को इंटरनेट सुविधा के साथ फ्री लैपटॉप, हर घर को 10 यूनिट बिजली मुफ्त, मातृत्व अवकाश में 18 हजार रुपये की मदद, लड़कियों की शादी पर 8 ग्राम सोना देने का ऐलान किया और एआईडीएमके चुनाव जीती।

उत्तर भारत में नहीं आता काम
बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने बेरोजगार युवाओं को 10 लाख नौकरी का वादा किया, 1500 रुपये बेरोजगारी भत्ता, सरकारी नौकरियों का फॉर्म भरने के लिए युवाओं से कोई आवेदन शुल्क नहीं का वादा किया लेकिन यह काम नहीं आया।

यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश के वादे- गरीबों को मुफ्त गेहूं, गरीब महिलाओं को प्रेशर कुकर, मेधावी छात्रों को स्मार्टफोन, महिलाओं को रोडवेज में आधा किराया, 1 करोड़ लोगों को मासिक पेंशन का वादा किया लेकिन वह चुनाव हार गए।

प्रियंका गांधी