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प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण से वनांचल की बदल रही तस्वी

दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों के किसानों को खेती के लिए सामान्यतः वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। पर्याप्त वर्षा न होने की स्थिति में उन्हें खेती-किसानी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा विकास योजना से अब इन किसानों की परेशानी दूर होने लगी है। योजना के माध्यम से नालों में वर्षाकाल के पानी का संचय, जल संरचनाओं के निर्माण और प्राकृतिक नालों के संवर्धन और संरक्षण सेे भू-जलस्तर में सुधार हुआ है। जिसका लाभ स्थानीय किसानों को मिल रहा है। इससे वन एवं वन्यजीवों के साथ ग्रामीणों के निस्तार एवं कृषि कार्य हेतु पर्याप्त जल मिल रहा है। नालों में जल संचय हेतु विभिन्न संरचनाओं के निर्माण से मृदा क्षरण की रोकथाम के साथ जैवविविधता के संरक्षण में भी मदद मिल रही है।
आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले में वन विभाग द्वारा कैम्पा मद से वित्तीय वर्ष 2019-20 में बालूद नाला में नरवा विकास के तहत 31 संरचनाओं का निर्माण कराया गया। कुल 37 लाख 77 हजार 997 रूपये लागत से बनी इन संरचनाओं के माध्यम से 1.62 कि.मी. लम्बाई एवं 288 हेक्टेयर जल संग्रहण क्षेत्र में उपचार कार्य किया गया। नाला उपचार के तहत रिसाव टैंक, चेक डैम, गेबियन संरचना बनाने के कार्य किये जा रहे हैं। इनसे वर्षा जल को संचय कर उसका उपयोग सिंचाई एवं निस्तारी के लिए उपलब्ध हो रहा है।