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इंक्काबी और दाबका नृत्य ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध (2) छत्तीसगढ़ फिर बना देशी-विदेशी जनजाति कला-संस्कृतियों का संगम

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर आज राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में नाइजीरिया के इंक्काबी नृत्य और फिलिस्तीन के दाबका नृत्य की लय, ताल और धुन की अद्भुत और जीवंत प्रस्तुति ने दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं बस्तर के माड़िया जनजाति द्वारा फसल काटने के बाद किए जाने वाला गौर नृत्य तथा झारखण्ड के कड़सा नृत्य ने आदिवासी कला संस्कृति की विश्व पटल पर अद्भुत छटा बिखेरा।

महोत्सव में झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, मंत्रीमण्डल के सदस्यों, विधायकों की उपस्थिति में नाइजीरिया की कला दलों ने अनेकता में एकता पर आधारित इंक्काबी नृत्य प्रस्तुत किया। यह नाइजीरिया की इडेम और इनाया नदी की जलदेवी को समर्पित किए  जाने वाला नृत्य है। इंक्काबी नृत्य की अद्भृत शैली ने दर्शकों के बीच एक अलग पहचान छोड़ते हुए मन मे उमंग और उत्साह का संचार कर दिया। मंच में फिलिस्तीन के कलाकारों ने पारंपरिक दाबका नृत्य प्रस्तुत किया। मनमोहक लय, धुन और ताल से ताल मिलाकर की जाने वाली इस नृत्य ने पूरी तरह फिलिस्तिन की संस्कृति में दर्शकों को डुबकी लगाने पर मजबूर कर दिया।

तीन दिवसीय इस आदिवासी महोत्सव में आज पहले दिन एक के बाद एक छत्तीसगढ़ की प्राचीन कला, संस्कृति एवं पंरपराओं पर आधारित नृत्य कला के साथ-साथ देश के विभिन्न प्रांतों तथा विदेशी कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मानो विश्व पटल पर पारंपरिक कला-संस्कृति की अद्भुत छटा बिखेर रही थी।

आदिवासी नृत्य महोत्सव में झारखण्ड के कलाकारों ने कड़सा नृत्य प्रस्तुत कर दर्शको को भाव विभोर कर दिया। छत्तीसगढ़ के बस्तर के माड़िया जनजातीय कलाकरों ने गौर नृत्य की प्रस्तुति दी। फसल कटाई के बाद की जाने वाले इस विश्व प्रसिद्ध नृत्य से हमे बस्तर की संस्कृति को टटोलने पर मजबूर कर दिया। आज के इस प्रदर्शन सांस्कृति कार्यक्रमों में त्रिपुरा के कलाकारों ने होजागिरी महोत्सव पर आधारित सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तुति दी।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की आदिवासी कला संस्कृति को सहेजने, उनके संवर्धन तथा देश के विभिन्न प्रांतों तथा विदेशों के आदिम कला-संस्कृति और परम्परा को विश्व पटल पर एक साथ जोड़ने के उद्देश्य से 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में देश के 27 राज्य, 06 केन्द्र शासित प्रदेश सहित सात अन्य देशों के कलाकार हिस्सा ले रहे है।  
क्रमांक-4332/ओम/रीनू/खेलू
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समाचार
छत्तीसगढ़ फिर बना देशी-विदेशी जनजाति कला-संस्कृतियों का संगम
निकोबारी, कोया, टोडा, घूमरा, छाऊ के साथ
 इकोंबी, दबका, बाटा नृत्य की थाप से गूंजी राजधानी
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह में दिखा ऊर्जा,
उत्साह और उमंग का सैलाब

मांदर, ढोल, नंगाड़ों के ताल पर रंग बिरंगे परिधानों से सजे
कलाकारों ने दिखायी अनेकता में एकता की झलक

रायपुर, 28 अक्टूबर 2021/छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दूसरी बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश-विदेश की जनजाति कला-संस्कृतियों का अनूठा संगम दिखाई दिया। भारत के निकोबारी, कोया, टोडा, घूमरा, छाऊ के साथ विदेशी इकोंबी, दबका, बाटा नृत्य की थाप से एक बार फिर राजधानी गूंज उठी। अलग-अलग भाषा-बोली, वेषभूषा, गीत-नृत्य शैली के बाद भी सुर-ताल के एक रंग में देशी-विदेशी कलाकार रंगे नजर आए और अनेकता में एकता का अनुपम उदाहरण पेश किया। कार्यक्रम की शुरूआत देशी-विदेशी कला दलों की झांकी से हुई जिसमें सभी कलाकारों ने अपनी विशिष्ट नृत्य शैली की झलक दिखाई। इससे दो साल पहले वर्ष 2019 में हुए आदिवासी नृत्य समारोह में ऊर्जा, उत्साह और उमंग का नजारा राजधानी में दिखाई दिया था। यह उत्सव एक बार फिर अलग-अलग संस्कृतियों को मंच देकर उनके कला-परंपराओं के आदान-प्रदान के अवसर के साथ सौहार्द्र और आपसी स्नेह-भाईचारा को बढ़ाने का एक अवसर लेकर आया है।
नृत्य महोत्सव में भारत के 27 राज्य, 6 केन्द्र शासित प्रदेश सहित 7 देशों के 59 दल भाग ले रहे हैं। ये कलाकार आगामी तीन दिनों तक विवाह संस्कार, पारंपरिक त्यौहार-अनुष्ठान और फसल कटने पर उत्साह से विभिन्न जनजाति संस्कृतियों द्वारा किये जाने वाले नृत्य कला का प्रदर्शन करेंगे। झांकी की शुरूआत नाइजीरिया, फिलीस्तीन, श्रीलंका, युगांडा, उज्बेकिस्तान के मेहमान कलाकारों की ऊर्जा और उत्साह से भरी झलकियों से हुई इसके बाद केन्द्र शासित प्रदेश और विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने प्रदर्शन किया।
झांकी में राजस्थान से आए कलाकारों ने पारंपरिक कालबेलिया नृत्य के साथ तलवार लहराते हुए महिलाओं ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया। वहीं सिक्किम के दल ने पारंपरिक वेशभूषा में आकर्षक प्रस्तुति दी। धोती-कुर्ता पहने तमिलनाडु के दल ने वहां की टोड़ा जनजाति के पारंपरिक नृत्य की झलक दिखायी।  तेलंगाना के आदिवासी समुदाय ने कोया की नृत्य कला का प्रदर्शन किया। त्रिपुरा के दल ने होजागिरी नृत्य के माध्यम से ईश्वर की आराधना करते हुए सधे हाथों में थाल घुमाते हुए अद्भुत संतुलन का प्रदर्शन किया। उत्तराखंड के कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से पहाड़ी संस्कृति सा माहौल छत्तीसगढ़ में बना दिया। इनके साथ उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कला दलों ने भी झांकी में प्रस्तुति दी। सबसे अंत में आए मेजबान छत्तीसगढ़ के बस्तर के जनजाति कलाकारों ने माड़िया समुदाय के गौर सींग नृत्य के माध्यम से प्रकृति की महक को जीवंत कर दिया।  गेड़ी नृत्य का प्रदर्शन भी छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने किया। मंच के सामने से गुजरते इन कलाकारों की प्रस्तुति पर दर्शक भी ताली बजाकर उत्साह बढ़ाते रहे।
क्रमांक-4334/रीनू/ओम/बंजारे
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समाचार
महिला सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई महिला बाल विकास 
मंत्री श्रीमती अनिला भेड़ियारायपुर, 28 अक्टूबर 2021/ महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भंेड़िया बुधवार को राजनांदगांव जिले के घुमका में आयोजित महिला सम्मान समारोह में शामिल हुई। समारोह में उन्होंने कोरोना वारियर्स, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, महिला समूह,मितानिनों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुसूचित जाति प्राधिकरण के अध्यक्ष और डोंगरगढ़ विधायक श्री भुनेश्वर बघेल ने की।
श्रीमती भेंड़िया ने इस अवसर पर शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने महिला कोष से संबंधित महिला समूहों का लगभग 13 करोड़ रूपए का कर्ज माफ कर दिया है। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम, विधायक सारंगढ़ एवम् उपाध्यक्ष अनूसूचित जाति प्राधिकरण श्रीमती उत्तरी जांगडे, विधायक सिहावा डॉ. लक्ष्मी धु्रव, विधायक खुज्जी श्रीमती छन्नी साहू, विधायक पंडरिया श्रीमती ममता चंद्राकर , विधायक धरसीवा श्रीमती अनिता शर्मा, विधायक संजारी बालोद श्रीमती संगीता सिन्हा सहित जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।