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UP Election: अनुप्रिया पटेल के खिलाफ मां कृष्णा के तेवर सख्त, क्या कुर्मी वोट बंटेगा?

हाइलाइट्सयूपी में होने वाले चुनावों से पहले अपना दल की अंदरूनी कलह तेज संपत्ति को लेकर कृष्‍णा पटेल का बेटी अनुप्रिया पटेल से चल रहा विवाद कृष्‍णा पटेल ने दामाद आशीष पटेल से जान का खतरा जताया है लखनऊ
उत्तर प्रदेश में अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल के घर में संपत्ति को लेकर विवाद एक बार फिर सामने आ गया है। पार्टी पहले ही दो हिस्‍से में बंट चुकी है। एक अपना दल सोनेलाल के नाम से यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी गठबंधन में शामिल है, जिसकी अगुवाई अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल और उनकी बहन पल्‍लवी हैं। दरअसल एक दिन पहले अनुप्रिया की छोटी बहन अमन पटेल ने यूपी के डीजीपी को पत्र लिखकर अपनी बड़ी बहन पल्लवी पटेल और उनके पति पर गंभीर आरोप लगा द‍िए।

अमन ने अपनी मां कृष्णा पटेल की जान को खतरा बताते हुए डीजीपी से सुरक्षा देने की गुहार लगाई है। वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को मां कृष्णा पटेल ने अपनी जान को खतरा बताते हुए अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पर आरोप लगा दिया है। यूपी में विधानसभा चुनाव करीब हैं और लखनऊ के सत्‍ता के गलियारे में पटेल परिवार में मचे घमासान के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या पटेल परिवार की इस रार से कुर्मी वोट बंटेगा?

दरअसल कुर्मी वोट बैंक की राजनीति करने वाले सोनेलाल पटेल ने बसपा से अलग होकर अपना दल का गठन किया था। 2009 में उनकी मृत्यु के बाद मां कृष्णा पटेल अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गईं। वहीं, अलग होकर अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (एस) का निर्माण कर लिया। अब परिवार में संपत्ति विवाद के कारण मां और बेटियों में तलवारें खिंची हुई हैं।

पूरी कहानी समझने के लिए चलिए आपको कुछ दशक पीछे ले चलते हैं-

सोनेलाल पटेल का जन्म कन्नौज जिले में बगुलिहाल गांव में हुआ था. उन्होंने राजनीति की शुरुआत चौधरी चरण सिंह के साथ की थी. इसके साथ उन्‍होंने कांशीराम के साथ लंबे समय तक काम किया और बहुजन समाज पार्टी की स्‍थापना की। 1995 में वह बसपा से अलग हो गए और उन्‍होंने अपना दल पार्टी का गठन किया। सोनेलाल पटेल की अगुवाई में अपना दल ने अपना जनाधार विंध्‍याचल क्षेत्र में काफी बढ़ाया। 2009 में उनकी कार दुर्घटना में मौत पार्टी की कमान उनकी पत्नी कृष्णा पटेल के हाथ में आई. 2012 में वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से बेटी अनुप्रिया पटेल पहली बार विधायक बनीं।

इसके बाद बीजेपी ने 2014 में उत्‍तर प्रदेश में बड़े स्‍तर पर रणनीति बनाई और अपना दल से गठबंधन किया। इस चुनाव में अपना दल को प्रतापगढ़ और मिर्जापुर की लोकसभा सीटें मिलीं और दोनों पर ही पार्टी ने जीत दर्ज की। लोकसभा चुनाव में पार्टी की ये पहली जीत थी। इस जीत के साथ अनुप्रिया पटेल पहली बार सांसद बनीं और केंद्र में मंत्री भी बनाई गईं।

लेकिन इसके साथ ही अनुप्रिया के सामने पारिवारिक मोर्चा खड़ा हो गया। पार्टी में अनुप्रिया और उनके पति आाशीष कद बढ़ने पर मां कृष्णा पटेल ने अपनी छोटी बेटी पल्लवी पटेल को अपना दल का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद अनुप्रिया मां मां कृष्णा पटेल के बीच तकरार इतनी बढ़ी क‍ि पार्टी पर दावेदारी की जंग शुरू हो गई। आखिरकार अनुप्रिया ने 2016 में अपना दल (सोनेलाल) नाम से अलग पार्टी बनाई। विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन की बात करें तो अपना दल सोनेलाल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 9 सीटों पर जीत हासिल की थी और 7 सीटें जीत सकी कांग्रेस से आगे निकल गई।

2019 में बीजेपी ने अपना दल (सोनेलाल) के साथ गठबंधन किया और इस बार भी अपना दल ने मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज में जीत दर्ज की। इसमें अनुप्रिया पटेल वर्तमान में मिर्जापुर से सांसद हैं। जनाधार की बात करें तो अपना दल का पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के प्रतापगढ़, वाराणसी, से लेकर मिर्जापुर, रॉबट़र्सगंज में अच्‍छा प्रभाव है। सोनेलाल कुर्मी समुदाय के बड़े नेता माने जाते रहे और अब अनुप्रिया पटेल भी उन्‍हीं की तरह बड़ी नेता बन चुकी हैं।

यूपी में यादवों के बाद कुर्मी आबादी सबसे ज्‍यादा मानी जाती है। अपना दल की इस जाति में दखल की ही देन है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में जब अपना दल सोनेलाल को बीजेपी गठबंधन से मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज सीटें मिली थीं, वहीं दूसरी तरफ कृष्णा पटेल की अपना दल को कांग्रेस गठबंधन में पीलीभीत और गोंडा की दो सीटें मिलीं। हालांकि कृष्णा पटेल की अपना दल अभी तक चुनावों में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है।

इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव- 2022 की बात करें तो अनुप्रिया पटेल की अपना दल बीजेपी के साथ खड़ी दिख रही है, उन्‍हें फिर से केंद्र में मंत्री बनाया गया है, वहीं दूसरी तरफ कृष्णा पटेल की अपना दल अखिलेश यादव के समाजवादी खेमे में खड़ी नजर आ रही है। अब परिवार में रार फिर सामने आ गई है। दरअसल 27 अक्टूबर को डीजीपी को भेजे पत्र में अमन पटेल ने अपनी बड़ी बहन पल्लवी पटेल व उनके पति पर पिता की प्रॉपर्टी हड़पने का आरोप लगाया।

अमन ने लिखा कि 17 अक्टूबर 2009 को पिता डॉ. सोनेलाल पटेल की मृत्यु होने के बाद मां और बहनों ने पल्लवी पटेल को कानपुर के प्रॉपर्टी की देखरेख की जिम्मेदारी दी थी। हमें जानकारी मिली है कि बीते वर्षों में हमारी जानकारी के बैगर पिता के कारोबार में अनैतिक कार्य किया गया। पिता की सभी प्रॉपर्टी पर हम बहनों व मां कृष्णा पटेल का विधिक अधिकार है। लेकिन, वर्ष 2015 में में बड़ी बहन पल्लवी ने संपत्ति अपने नाम से करा ली, जिसकी जानकारी हमें पिछले दिनों मिली है।

अमन ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2017 में पल्लवी के पति पंकज निरंजन को पिता के ट्रस्ट में सदस्य भी बना दिया गया है। इसकी जानकारी हम लोगों को नहीं दी गई। अमन ने अपनी मां की जान को भी खतरा बताया है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि बहन पल्लवी व उनके पति मां कृष्णा पटेल पर दबाव बनाकर कार्य करा रहे हैं। इसको देखते हुए मां को सुरक्षा प्रदान की जाए। इस बारे में जब एनबीटी ऑनलाइन ने पल्लवी पटेल से फोन पर सम्पर्क किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

इसके बाद अब मां कृष्णा पटेल ने आरोप लगाया है कि वह लंबे समय से सुरक्षा मांग रही हैं,लेकिन सुरक्षा नहीं दी जा रही है। मेरे परिवार के साथ साथ मेरे पार्टी के कार्यकर्ता असुरक्षित हैं। मेरे और मेरे पति के बनाए हुए प्रॉपर्टी पर आशीष की नजर है। इसी प्रॉपर्टी के चलते मेरी जान को खतरा है। कृष्णा पटेल ने साफ किया कि उन्‍हें अपनी बेटी अनुप्रिया पटेल से नहीं बल्कि दामाद आशीष पटेल से खतरा है।

वहीं अपने ऊपर लगे आरोप के बारे में अनुप्रिया पटेल के पति एमएलसी आशीष पटेल ने एनबीटी ऑनलाइन से बात करते हुए कहा, “मुझे दुख इस बात का है कि माताजी अपने मन की बात नहीं कह रहीं, उनके मुंह से पल्लवी और उनके पति पंकज निरंजन के डाले हुए शब्द निकल रहे हैं। यहां सवाल राजनीति का नहीं, बल्कि एक सम्मानित परिवार के अविवाहित पुत्री (अमन पटेल) के अधिकार का है।”

आशीष ने कहा कि पल्लवी और पंकज निरंजन माताजी पर दबाव बनाकर मेरे खिलाफ और भी कई तरह के आरोप लगवा सकते हैं। मगर सवाल एक अविवाहित पुत्री के अधिकार का है। मुझे उम्मीद है कि इस राजनीतिक लड़ाई में एक अविवाहित पुत्री के अधिकार नहीं कुचले जाएंगे। एक सम्मानित परिवार में एक अविवाहित पुत्री के अधिकारों की रक्षा होगी। मुझे उम्मीद है कि पल्लवी और पंकज निरंजन के तमाम दबाव के बावजूद एक दिन मां का दिल जागेगा। वह सच्चाई स्वीकार करेंगी। अपनी ही पुत्री के संपत्ति और प्यार हासिल करने के अधिकार का रक्षा का अपना सामाजिक और मातृत्व का दायित्व निभाएंगी।

सवाल ये है कि क्‍या परिवार में रार का असर पार्टी के वोटबैंक पर पड़ेगा?
इस संबंध में राजनीतिक विश्‍लेषक और वरिष्‍ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी कहते हैं कि सोनेलाल पटेल के देहांत के बाद से ही पटेल परिवार में रार सामने आई। एक तरफ मां कृष्णा पटेल और बेटी पल्‍लवरी पटेल हैं, वहीं दूसरी तरफ अनुप्रिया पटेल और उनके पति हैं। हर विधानसभा चुनाव में ये रार खुलकर सामने आ जाती है। वह कहते हैं क‍ि सोनेलाल पटेल के दौर में अपना दल को वोट कटवा पार्टी कहा जाता था क्‍योंकि इस पार्टी का वाराणसी, मिर्जापुर से लेकर विंध्‍य क्षेत्र और कानपुर तक कुर्मी वोट में अच्‍छी पकड़ थी। लेकिन सोनेलाल के बाद पार्टी बंटी और चूंकि अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया तो पार्टी का वोट बैंक करीब-करीब पूरी तरह से उनकी तरफ शिफ्ट हो गया।

यही कारण था क‍ि एक तरफ अनुप्रिया पटेल की अपना दल सोनेलाल ने 2012 के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीतें दर्ज की, वहीं कृष्णा पटेल की अपना दल कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी। अनुप्रिया पटेल अब दूसरी बार केंद्र में मंत्री बन चुकी हैं, उनके पति भी एमएलसी हैं। ऐसे में यूपी विधानसभा चुनाव में कुर्मी वोट बैंक बंटने की उम्‍मीद कम है।

वैसे उत्तर प्रदेश में गैर यादव ओबीसी वोटबैंक की बात करें, तो दूसरे नंबर पर पटेल और कुर्मी वोट बैंक आता है। करीब 7 फीसदी वोट बैंक इसी जाति का है। यूपी के सोलह जिलों में कुर्मी और पटेल वोटबैंक छह से 12 फीसदी तक हैं। इनमें मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, इलाहाबाद, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं।