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माली और युगांडा के कलाकारों ने दुर्लभ वाद्य यंत्रों और अद्भुत नृत्य कला से दर्शकों को किया सम्मोहित

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राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के तीसरे दिन आज माली और युगांडा देश के कलाकारों ने दुर्लभ वाद्य यंत्रों और पारम्परिक वेशभूषा में अद्भुत नृत्य कला का प्रदर्शन कर दर्शकों को सम्मोहित किया। माली के कलाकारों ने मंच पर आते ही दोनों हाथ उठाकर दर्शकों का अभिवादन किया और अपनी भाषा में छत्तीसगढ़ के प्रति प्यार, स्नेह और खुशी का इजहार किया। उन्होंने सुर-ताल के बेहतर संगम से छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के अभिवादन के साथ रोमांचक नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे दर्शक भी उनके साथ झूमने पर अपने आप को रोक नहीं सके।
महोत्सव में युगांडा के कलाकारों ने अपनी कला, अभिनय और भाव-भंगिमाओं का बेहतर प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोहा। उन्होंने पारम्परिक जनजातीय संस्कृति का अभिनय, गीत, नृत्य और वाद्य यंत्रों के साथ मनमोहक प्रस्तुति दी। इसी तरह तमिलनाडु के कलाकारों ने इरूला नृत्य का प्रदर्शन किया। इसमें पुरूष कलाकारों ने बंडी, पगड़ी और धोती की वेशभूषा में तथा महिलाएं रंग-बिरंगी, पारम्परिक पहनावे में सुर-ताल के साथ आकर्षक प्रस्तुति दी। मिजोरम और मणिपुर के पुरूष-महिला कलाकारों के दल ने आकर्षक साज-सज्जे के साथ अपनी बोली-भाषा और नृत्य शैली से दर्शकों को बेहतर रोमांचित किया।