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दीपोत्सव: धनतेरस से पंचदिनी दीप पर्व का आरंभ, राशि के अनुसार करें खरीदारी, धन-धान्य बढ़ेगा

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आज धनतेरस से पंचदिनी दीप पर्व का आरंभ हो गया। दो साल बाद बाजार गुलजार हैं और व्यापारियों के चेहरे खिले हुए हैं। इन पांच दिनों के दौरान 500 करोड़ रुपये से भी अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। बर्तनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, सराफा से लेकर ऑटोमोबाइल तक, सभी बाजार खिल उठे हैं। धनतेरस से शुरू होकर पांच दिन तक चलने वाला दीपोत्सव नरक चतुर्दशी, मुख्य पर्व दीपावली, गोवर्धन पूजा से होते हुए भाई दूज पर समाप्त होगा। लोगों ने इस बार खुल कर उत्सव का लुत्फ उठाने की तैयारी कर ली है।

पहला दिन: धनतेरस
दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है। इसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा का महत्व है।

दूसरा दिन: रूप चौदस
इसे नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और काली चौदस भी कहते हैं। इसी दिन नरकासुर का वध कर श्रीकृष्ण ने 16,100 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कराया था। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन एवं स्नान करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं।

तीसरा दिन: दिवाली
इस दिन दिवाली मनाते हैं। विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा होती है। कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। इस दिन भगवान रामचन्द्रजी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर लौटे थे। श्रीराम के स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने घर-घर दीप जलाए गए थे।

चौथा दिन: गोवर्धन पूजा
इस दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव मनाना जाता है। इसे पड़वा या प्रतिपदा भी कहते हैं। घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है।

पांचवां दिन : भाई दूज
इस दिन भाई दूज और यम द्वितीया मनाई जाती है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को अपने घर बुलाता है जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक कर भोजन कराती है।