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शाइन सिटी घोटाला : रडार पर आसिफ व जसीम के मददगार, तलाश शुरू कौन कर रहा था फंडिग

शाइन सिटी के एमडी आसिफ नसीम और डिप्टी डायरेक्टर मोहम्मद जसीम खान को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस इनके मददगारों की तलाश में जुटी हुई है। उनके तलाश में कई संभावित स्थानों पर छापेमारी की जा रही है। कुछ लोगों के नाम भी सामने आए हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जुटी है।

60 हजार करोड़ की ठगी करने वाली कंपनी के एमडी आसिफ नसीम और डिप्टी डायरेक्टर मो. जसीम की गिरफ्तारी के बाद अब उनके मददगारों की तलाश शुरू हो गई है। आर्थिक अपराध शाखा( ईओडब्ल्यू) अब  उन लोगों का पता लगाने में जुट गई है जिन्होंने फरारी के दौरान दोनों की मदद की। उन्हें फंड मुहैया कराया और अलग-अलग जगहों पर ठिकाना बनाने में भी उसका सहयोग किया।

आसिफ व जसीम दो दिन पहले ही गिरफ्तार किए गए थे। दोनों से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि वह काफी दिन प्रयागराज में रहे और अलग-अलग शहरों में भी फरारी काटी। इस दौरान न सिर्फ वह ऐशोआराम की जिंदगी बिताते रहे बल्कि बाहर के शहरों में रहने के दौरान बेरोकटोक शहर में भी आते-जाते रहे। अपने घरवालों के भी संपर्क में रहे।

सूत्रों का कहना है कि दोनों से पूछताछ में यह भी बात सामने आई है कि फरारी के दौरान कई लोगों ने उनकी मदद की। उन्हें आर्थिक मदद तो दी ही, अन्य तरह से भी मदद पहुंचाई। इसमें अलग-अलग शहरों में उनके रहने के इंतजाम से लेकर अन्य व्यवस्थाएं शामिल रहीं। ऐसे में अब कंपनी से जुड़े मुकदमों की जांच में जुटी ईओडब्ल्यू की टीम उन मददगारों का भी सुराग हासिल करने में जुट गई है।

सूत्रों का कहना है कि  दोनों आरोपियों के उन नंबरों का डिटेल खंगाला जा रहा है जिनका उपयोग उन्होंने फरारी के दौरान किया। इन नंबरों की सीडीआर निकलवाई जा रही है। इसके बाद उन नंबरों के जरिए उन लोगों तक पहुंचा जाएगा जो लगातार दोनों के संपर्क में थे।

संपत्तियों की भी जुटाई जा रही है जानकारी
ईओडब्ल्यू की टीम ने करेली के जीटीबी नगर निवासी आसिफ व नैनी के शाहजी का पूरा गांव निवासी जसीम की संपत्तियों का भी पता लगाना शुरू कर दिया है। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि 2013 के बाद से दोनों ने क्या क्या संपत्तियां बनाईं। 2013 से पहले उनकी क्या स्थिति थी और इसके बाद उनकी आर्थिक हालत क्या रही। जो संपत्तियां बनाई गईं, उनमें लगी रकम का स्रोत क्या था।

60 हजार करोड़ की ठगी करने वाली कंपनी के एमडी आसिफ नसीम और डिप्टी डायरेक्टर मो. जसीम की गिरफ्तारी के बाद अब उनके मददगारों की तलाश शुरू हो गई है। आर्थिक अपराध शाखा( ईओडब्ल्यू) अब  उन लोगों का पता लगाने में जुट गई है जिन्होंने फरारी के दौरान दोनों की मदद की। उन्हें फंड मुहैया कराया और अलग-अलग जगहों पर ठिकाना बनाने में भी उसका सहयोग किया।

आसिफ व जसीम दो दिन पहले ही गिरफ्तार किए गए थे। दोनों से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि वह काफी दिन प्रयागराज में रहे और अलग-अलग शहरों में भी फरारी काटी। इस दौरान न सिर्फ वह ऐशोआराम की जिंदगी बिताते रहे बल्कि बाहर के शहरों में रहने के दौरान बेरोकटोक शहर में भी आते-जाते रहे। अपने घरवालों के भी संपर्क में रहे।

सूत्रों का कहना है कि दोनों से पूछताछ में यह भी बात सामने आई है कि फरारी के दौरान कई लोगों ने उनकी मदद की। उन्हें आर्थिक मदद तो दी ही, अन्य तरह से भी मदद पहुंचाई। इसमें अलग-अलग शहरों में उनके रहने के इंतजाम से लेकर अन्य व्यवस्थाएं शामिल रहीं। ऐसे में अब कंपनी से जुड़े मुकदमों की जांच में जुटी ईओडब्ल्यू की टीम उन मददगारों का भी सुराग हासिल करने में जुट गई है।

सूत्रों का कहना है कि  दोनों आरोपियों के उन नंबरों का डिटेल खंगाला जा रहा है जिनका उपयोग उन्होंने फरारी के दौरान किया। इन नंबरों की सीडीआर निकलवाई जा रही है। इसके बाद उन नंबरों के जरिए उन लोगों तक पहुंचा जाएगा जो लगातार दोनों के संपर्क में थे।

संपत्तियों की भी जुटाई जा रही है जानकारी

ईओडब्ल्यू की टीम ने करेली के जीटीबी नगर निवासी आसिफ व नैनी के शाहजी का पूरा गांव निवासी जसीम की संपत्तियों का भी पता लगाना शुरू कर दिया है। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि 2013 के बाद से दोनों ने क्या क्या संपत्तियां बनाईं। 2013 से पहले उनकी क्या स्थिति थी और इसके बाद उनकी आर्थिक हालत क्या रही। जो संपत्तियां बनाई गईं, उनमें लगी रकम का स्रोत क्या था।