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गिरी गाज : दुष्कर्म पीड़िता पर दर्ज मामले में लापरवाही, तीन अन्य सस्पेंड

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जार्जटाउन के पूर्व इंस्पेक्टर, दो दरोगाओं पर कार्रवाई, इससे पहले सर्विलांस प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मियों पर हो चुकी है कार्रवाई। इस मामले में विवेचना के दौरान अन्य धाराएं तो निकाल दी गईं लेकिन लोकसेवक को क्षति करने की धमकी देने समेत दो धाराओं में पीड़िता व उसके दोनों साथियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी।

दुष्कर्म पीड़िता से संबंधित मुकदमे में लीपापोती पर सोमवार को तीन अन्य पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए। इनमें जार्जटाउन थाने के पूर्व इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा, एसआई बलवंत यादव व महेश चंद्र शामिल हैं। आरोप है कि फरवरी में दुष्कर्म पीड़िता पर दर्ज मामले की विवेचना व पर्यवेक्षण के दौरान तीनों ने लापरवाही बरती। साथ ही गलत तरीके से चार्जशीट भी दाखिल कर दी।

इससे पहले सर्विलांस प्रभारी संजय सिंह यादव, हंडिया इंस्पेक्टर बृजेश सिंह समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने दुष्कर्म पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए उसके केस के गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजवा दिया। सूत्रों का कहना है कि जार्जटाउन थाने में इसी साल फरवरी में पीड़िता व उसके दो गवाहों के खिलाफ बलवा, मारपीट, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, धमकी देने समेत अन्य आरोप में केस दर्ज किया गया था।

इस मामले में विवेचना के दौरान अन्य धाराएं तो निकाल दी गईं लेकिन लोकसेवक को क्षति करने की धमकी देने समेत दो धाराओं में पीड़िता व उसके दोनों साथियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी। पीड़िता का आरोप है कि वह सिर्फ अपनी शिकायत लेकर गई थी जिस पर उसके खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया गया।

उधर, गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजे जाने के मामले का खुलासा होने के बाद इस प्रकरण की भी जांच की गई, जिसमें पाया गया कि विवेचना त्रुटिपूर्ण ढंग से की गई। इस दौरान गवाहों के बयान दर्ज करने से लेकर साक्ष्य एकत्रित करने तक में लापरवाही बरती गई और आननफानन में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। इस खुलासे के बाद दो विवेचकों एसआई महेश चंद व बलवंत यादव और उचित पर्यवेक्षण न करने के आरोप में जार्जटाउन थाने के पूर्व इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया।

आरोपी की तहरीर पर लिखा केस, पीड़िता की नहीं सुनी शिकायत
इस मामले में जार्जटाउन पुलिस ने भी जमकर खेल किया। सीएमपी डिग्री कॉलेज में घटना दो फरवरी की है। लेकिन इसके संबंध में दुष्कर्म के आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर मदन यादव की तहरीर पर 10 दिन बाद यानी 12 फरवरी को पीड़िता व उसके दो साथियों पर एफआईआर दर्ज की गई। इस दौरान पीड़िता की ओर से भी तहरीर दी गई लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई। 17 अगस्त को पीड़िता व उसके दो साथियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।

एसपी सिटी को सौंपी गई थी जांच

गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजे जाने के मामले के खुलासे के बाद इस पूरे प्रकरण की जांच दो अफसरों को सौंपी गई थी।
गंगापार क्षेत्र के हंडिया व फूलपुर थाने में दर्ज केस की जांच एसपी गंगापार को दी गई थी, जिसमें जांच रिपोर्ट के आधार पर दो इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया।
शहर क्षेत्र के कर्नलगंज व जार्जटाउन थाने में दर्ज चार मामलों की जांच एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने की।
सूत्रों का कहना है कि इनमें से कर्नलगंज में दर्ज मामले में आरोपी मदन यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।
जार्जटाउन में मदन के खिलाफ पीड़िता की ओर से दर्ज कराए गए दो मुकदमे विवेचनाधीन हैं।
जबकि मदन यादव की ओर से पीड़िता पर दर्ज कराए गए मामले में जार्जटाउन पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी।
जांच में इसी मामले की विवेचना त्रुटिपूर्ण पाई गई और इसी वजह से तीन अन्य पुलिसकर्मी निलंबित किए गए।

दुष्कर्म पीड़िता से संबंधित मुकदमे में लीपापोती पर सोमवार को तीन अन्य पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए। इनमें जार्जटाउन थाने के पूर्व इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा, एसआई बलवंत यादव व महेश चंद्र शामिल हैं। आरोप है कि फरवरी में दुष्कर्म पीड़िता पर दर्ज मामले की विवेचना व पर्यवेक्षण के दौरान तीनों ने लापरवाही बरती। साथ ही गलत तरीके से चार्जशीट भी दाखिल कर दी।

इससे पहले सर्विलांस प्रभारी संजय सिंह यादव, हंडिया इंस्पेक्टर बृजेश सिंह समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने दुष्कर्म पीड़िता पर दबाव बनाने के लिए उसके केस के गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजवा दिया। सूत्रों का कहना है कि जार्जटाउन थाने में इसी साल फरवरी में पीड़िता व उसके दो गवाहों के खिलाफ बलवा, मारपीट, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, धमकी देने समेत अन्य आरोप में केस दर्ज किया गया था।

इस मामले में विवेचना के दौरान अन्य धाराएं तो निकाल दी गईं लेकिन लोकसेवक को क्षति करने की धमकी देने समेत दो धाराओं में पीड़िता व उसके दोनों साथियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी। पीड़िता का आरोप है कि वह सिर्फ अपनी शिकायत लेकर गई थी जिस पर उसके खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया गया।

उधर, गवाह को फर्जी तरीके से जेल भेजे जाने के मामले का खुलासा होने के बाद इस प्रकरण की भी जांच की गई, जिसमें पाया गया कि विवेचना त्रुटिपूर्ण ढंग से की गई। इस दौरान गवाहों के बयान दर्ज करने से लेकर साक्ष्य एकत्रित करने तक में लापरवाही बरती गई और आननफानन में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। इस खुलासे के बाद दो विवेचकों एसआई महेश चंद व बलवंत यादव और उचित पर्यवेक्षण न करने के आरोप में जार्जटाउन थाने के पूर्व इंस्पेक्टर शिशुपाल शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया।