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सम्मान: आगरा की साहित्यकार डॉ. उषा यादव को आज मिलेगा पद्मश्री, सौ से अधिक पुस्तकें लिखीं

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ताज नगरी की शिक्षाविद् और हिंदी साहित्यकार डॉ. उषा यादव को मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। वह लंबे समय से हिंदी साहित्य की सेवा में लगी हुई हैं।
नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी की रहने वाली डॉ. उषा यादव ने ब्रज संस्कृति के संरक्षण के लिए काम किया है। उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुुके हैं। कहानी संग्रह टुकड़े टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, उपन्यास आंखों का का आकाश, प्रकाश की ओर समेत 100 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं। बाल साहित्य में उनका कोई जवाब नहीं है। बच्चों की कविताओं की कई किताबें भी उन्होंने लिखी हैं।
बचपन से कविताएं लिखने का शौक
डॉ. उषा यादव बताती हैं कि वह बचपन से ही कविताएं लिखती थीं। उनकी पहली कविता स्कूल की पुस्तक में प्रकाशित हुई थी। उनके पिता डॉ. चंद्रपाल सिंह मयंक भी बाल साहित्यकार थे। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में वह अपने पति डॉ. आरके सिंह और लेखिका बेटी डॉ. कामना सिंह के साथ पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि पद्मश्री सम्मान उनकी बरसों की साधना का प्रतिफल है।
कई पुरस्कार मिल चुके हैं
डॉ. उषा यादव के उपन्यास धूप के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी लेखन पुरस्कार दिया। बाल साहित्य भारती पुरस्कार, मीरा स्मृति सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी की ओर से भी पुरस्कृत किया जा चुका है।

ताज नगरी की शिक्षाविद् और हिंदी साहित्यकार डॉ. उषा यादव को मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। वह लंबे समय से हिंदी साहित्य की सेवा में लगी हुई हैं।

नॉर्थ ईदगाह कॉलोनी की रहने वाली डॉ. उषा यादव ने ब्रज संस्कृति के संरक्षण के लिए काम किया है। उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुुके हैं। कहानी संग्रह टुकड़े टुकड़े सुख, सपनों का इंद्रधनुष, उपन्यास आंखों का का आकाश, प्रकाश की ओर समेत 100 से अधिक किताबें लिख चुकी हैं। बाल साहित्य में उनका कोई जवाब नहीं है। बच्चों की कविताओं की कई किताबें भी उन्होंने लिखी हैं।

बचपन से कविताएं लिखने का शौक

डॉ. उषा यादव बताती हैं कि वह बचपन से ही कविताएं लिखती थीं। उनकी पहली कविता स्कूल की पुस्तक में प्रकाशित हुई थी। उनके पिता डॉ. चंद्रपाल सिंह मयंक भी बाल साहित्यकार थे। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में वह अपने पति डॉ. आरके सिंह और लेखिका बेटी डॉ. कामना सिंह के साथ पहुंची हैं। उन्होंने कहा कि पद्मश्री सम्मान उनकी बरसों की साधना का प्रतिफल है।

कई पुरस्कार मिल चुके हैं

डॉ. उषा यादव के उपन्यास धूप के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने महात्मा गांधी द्विवार्षिक हिंदी लेखन पुरस्कार दिया। बाल साहित्य भारती पुरस्कार, मीरा स्मृति सम्मान, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी की ओर से भी पुरस्कृत किया जा चुका है।