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छठ पूजा: खरना पर महिलाओं ने रखा निर्जल व्रत, पूजन सामग्री तैयार करने के साथ ही चला गीतों का दौर

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छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना (छोटी छठ) का पूजन किया। षष्ठी के लिए घरों के सदस्यों ने पूजन सामग्री तैयार की। मंगलवार को पूरे दिन घरों में छठ मैया के गीत गाए गए। ‘सांझे बेरा देवो अरघिया मोरे मांगब अशीष..’, ‘पहिले पहल हम कईनी छठी मैया बरत तोहार, करिहा क्षमा हे छठी मैया, भूल-चूक-गलती हमार..’ और ‘गोड़े -मूड़े तनबो चदरिया, फल मंडी जइबो जरूर, केला किनबो जरूर..’ से पूरे दिन घर गुंजायमान होते रहे। निर्जल व्रत रख श्रद्धालुओं ने शाम को मिट्टी और ईंट से बने चूल्हे पर रोटी और खीर बनाई। केले के पत्ते पर अर्ध चंद्र की आकृति मन मोहती रही। चंद्र आकृति पर सिंदूर लगाकर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। पति और संतान के लिए अग्रासन निकाला गया। छठ मैया और चंद्रमा की की पूजा के बाद व्रत खोला गया।

घाटों पर होगी श्रद्धालुओं की भीड़
छठ पर्व पर बुधवार को षष्ठी पर अस्ताचलगामी (डूबते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाएगा। बल्केश्वर घाट, कैलाश घाट, दशहरा घाट, हाथी घाट आदि पर शाम से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचना शुरू हो जाएगी। इस बार काफी श्रद्धालु ऐसे हैं जो घरों में ही कुंड बनाकर पूजन करने की तैयारी कर चुके हैं। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि मिट्टी की वेदी बनाकर कलश स्थापित किए जाएंगे। ईख को मंडप बनाया जाएगा। ठेकुआ, फल आदि चढ़ाए जाएंगे। शाम को अर्ध्य दिया जाएगा। 10 नवंबर को प्रात: चार बजे से शुरू  होने वाली पूजा सूर्योदय के साथ संपन्न होगी।

पदाधिकारी संभालेंगे जिम्मेदारी: शंभूनाथ
पूर्वांचल सांस्कृतिक सेवा समिति के पदाधिकारी घाटों पर जिम्मेदारी संभालेंगे। समिति के अध्यक्ष शंभूनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि इसके लिए हरेक घाट पर टीमों का गठन किया गया है। हरेक टीम में सात से दस सदस्य हैं। समिति के सदस्यों को जिम्मेदारी दी गई है कि किसी भी तरह की परेशानी श्रद्धालुओं को नहीं हो।
15 साल से रख रही व्रत
मेरे लिए छठ पर्व काफी महत्वपूर्ण है। मैं पंद्रह साल से लगातार व्रत रख रही हूं। यह मेरी सभी मनोकामना पूरी करता है। – सुजाता पाठक, लोहामंडी
पर्व के गीत देते हैं ऊर्जा
छठ पर्व के गीत नई ऊर्जा देते हैं। परिवार के सभी सदस्य मिलकर छठ पूजन करते हैं। हर बार घाटों पर जाना होता है। – मीना गुप्ता, राधिका विहार
आत्मिक शांति मिलती है
संतान की सुख स्मृद्धि के लिए हर साल छठ महापर्व पर व्रत रखती हूं। इससे मुझे आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। – माया सिंह, ट्रांस यमुना कालोनी
पूरे साल रहता है इंतजार
छठ मैया का व्रत कठिन है। इसके बाद भी इसका पूरी साल इंतजार रहता है। मन को काफी शांति मिलती है। -सुचित्रा सिंह, रामबाग

छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतियों ने खरना (छोटी छठ) का पूजन किया। षष्ठी के लिए घरों के सदस्यों ने पूजन सामग्री तैयार की। मंगलवार को पूरे दिन घरों में छठ मैया के गीत गाए गए। ‘सांझे बेरा देवो अरघिया मोरे मांगब अशीष..’, ‘पहिले पहल हम कईनी छठी मैया बरत तोहार, करिहा क्षमा हे छठी मैया, भूल-चूक-गलती हमार..’ और ‘गोड़े -मूड़े तनबो चदरिया, फल मंडी जइबो जरूर, केला किनबो जरूर..’ से पूरे दिन घर गुंजायमान होते रहे। निर्जल व्रत रख श्रद्धालुओं ने शाम को मिट्टी और ईंट से बने चूल्हे पर रोटी और खीर बनाई। केले के पत्ते पर अर्ध चंद्र की आकृति मन मोहती रही। चंद्र आकृति पर सिंदूर लगाकर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। पति और संतान के लिए अग्रासन निकाला गया। छठ मैया और चंद्रमा की की पूजा के बाद व्रत खोला गया।

घाटों पर होगी श्रद्धालुओं की भीड़

छठ पर्व पर बुधवार को षष्ठी पर अस्ताचलगामी (डूबते सूर्य) को अर्घ्य दिया जाएगा। बल्केश्वर घाट, कैलाश घाट, दशहरा घाट, हाथी घाट आदि पर शाम से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचना शुरू हो जाएगी। इस बार काफी श्रद्धालु ऐसे हैं जो घरों में ही कुंड बनाकर पूजन करने की तैयारी कर चुके हैं। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय ने बताया कि मिट्टी की वेदी बनाकर कलश स्थापित किए जाएंगे। ईख को मंडप बनाया जाएगा। ठेकुआ, फल आदि चढ़ाए जाएंगे। शाम को अर्ध्य दिया जाएगा। 10 नवंबर को प्रात: चार बजे से शुरू  होने वाली पूजा सूर्योदय के साथ संपन्न होगी।