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बटेश्वर पशु मेला: कोविड से आई मंदी का दिखा असर, व्यापारियों को पड़े भाड़े के लाले, बिना मवेशी बेचे लौटे

बटेश्वर में ऊंट और गधा-खच्चर का मेला मंगलवार को संपन्न हो गया। ऊंट लेकर लौटे राजस्थान, मध्य प्रदेश के व्यापारियों का कहना है कि कोविड से उपजी मंदी का प्रभाव यहां भी दिखा। गधा-खच्चर लेकर लौटे व्यापारियों को भाड़े की समस्या से जूझना पड़ा। मेले में अभी घोड़ों का बाजार लगा है। कोरोना काल के बाद लगा बटेश्वर मेला पशु व्यापारियों के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। गंगापुर सिटी के श्यामलाल, करौली के नाथू सिंह, पोरसा के देवेंद्र सिंह ने बताया कि उनके ऊंट नहीं बिके। गधा-खच्चर मेला भी मंदी की भेंट चढ़ गया। कन्नौज के अब्दुल, दाऊजी के राम खिलाड़ी, गढ़मुक्तेश्वर के कलियान ने बताया कि मन माफिक दाम में मवेशी की बिक्री न होने से भाडे़ के लिए रुपये मंगवाने पडे़। हालांकि मेले में अभी भी घोडे़-घोड़ी मौजूद हैं। खरीद बिक्री भी हो रही है।

मेले में मंगलवार को सहारनपुर के छर्रा के अशोक यादव की 12 लाख कीमत की नकुली घोड़ी काजल बीमार हो गई। मेले में पशु पालन शिविर में डॉक्टर नहीं मिले तो बाहर से बुुलाना पड़ा। अशोक ने बताया कि वह मेले में 10 घोड़े-घोड़ी लेकर आए थे, जिसमें से 5 बेच दिए हैं। उनके मुताबिक डॉक्टर ने घोड़ी में पैरालिसिस की दिक्कत बताई है।

खुले आकाश के नीचे पका रहे खाना

बटेश्वर मेले में मवेशी न बिकने की वजह से व्यापारियों को खुले आसमान के नीचे खाना पकाना पड़ रहा है। मंसुखपुरा के रमेश चंद्र, नगला गुलाल के सुंदर सिंह, सलेमपुर के रामानंद ने बताया कि मवेशी न बिकने से जेब खाली तो ढाबे पर भोजन कर पाना मुमकिन नहीं है। ऐसे में मैदान में ही दाल रोटी पकाकर खानी पड़ रही है। व्यापारियों के रुख से ढाबे भी सूने हैं।

बटेश्वर पशु मेले में घुड़दौड़ का आयोजन भी हुआ। घोड़े बादल ने सलामी से वाहवाही लूटी। सरपट दौड़ में हीरो विजेता बना। इस दौरान घोड़े-घोड़ियों के करतब देखकर दर्शक स्तब्ध रह गए। बता दें कि एक से एक महंगे घोड़े आए हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री अरिदमन सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया, पूर्व विधायक डॉ. राजेंद्र सिंह ने किया। एटा के विक्रम सिंह के घोडे़ बादल ने अतिथियों को सलामी दी। लालजीत, बेनीराम, मुन्ना सिंह भदौरिया, करू, मेघश्याम के घोडे़- घोड़ी खूब नाचे।

रासलीला में राधा कृष्ण के मयूर नृत्य संग झूमे दर्शक
राधा-कृष्ण की स्तुति में ‘राधे, राधे, गोविंदा..’ और ‘चल वृंदावन हम सबके प्राण सुनंदन.., वृंदावन की कुसुम कली राधा…, प्रीत की रीत निभाओ राधा…’ की धुन पर हुए मयूर नृत्य पर मंगलवार को बटेश्वर में रासलीला मंचन के दौरान दर्शक झूम उठे।

ब्रजराज राजेश्वरी लीला संस्थान वृंदावन के कलाकारों ने रासलीला मंचन किया। इस दौरान दिखाया गया कि गोपियों ने यह विचार किया कि आज दही दूध बेचने मथुरा चलती हैं। बीच मार्ग में उन्हें ठाकुर जी मिल जाते हैं और गोपियों से कहते हैं कि यह माखन मिश्री राजा कंस के दूतों को न खिलाकर यह हमें खिलाइए।

बटेश्वर पशु मेला: सलामी से ‘बादल’ ने लूटी वाहवाही, घुड़दौड़ में 11 लाख का घोड़ा हीरो बना विजेता