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अयोध्या: श्रीराम की नगरी में लोग बोले- त्योहार हुए ‘समझौतावादी’ और ‘रस्मी’, विकास से पेट की भूख न मिटती

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बर्तन विक्रेता किशोर ने बताया कि धनतेरस के दिन उनकी दुकान पर भारी संख्या में लोग आए और बर्तनों की खरीदारी भी की। लेकिन यह खरीदारी कोरोना वायरस के समय के पूर्व के स्तर पर नहीं पहुंची। लोगों ने खरीदारी के दौरान भी ‘समझौतावादी’ रुख अपनाया और थोड़ा कम खरीददारी कर किसी तरह से त्योहार मनाने तक की ‘रस्म’ ही निभाई…

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पूरी ताकत के साथ अयोध्या का विकास करने में जुटी है। इसके लिए धार्मिक स्थलों, होटलों, पर्यटन केंद्रों, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे का विकास किया जा रहा है। आध्यात्मिक ध्यान केंद्र और आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। सरकार का अनुमान है कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या का विकास करने से पूरे उत्तर प्रदेश और विशेषकर पूर्वांचल के मतदाताओं से उसका भावनात्मक संबंध जुड़ेगा और वह चुनाव के समय भाजपा को वोट देगा। इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि यह मुद्दा धर्मपरायण हिंदू बहुल लोगों को सरकार की ओर प्रेरित करने का काम कर सकता है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि महंगाई का मुद्दा अयोध्या में उतना ही प्रबल है जितना कि देश के किसी अन्य हिस्से में।

त्योहार पर महंगाई की मार
महंगाई के मुद्दे पर अयोध्यावासियों की राय क्या है, यह जानने के लिए धनतेरस का दिन सबसे बेहतर क्षण हो सकता था जब पूरे देश के लोग अपने लिए कुछ न कुछ खरीदारी करने के लिए बाहर निकलते हैं। अयोध्यावासी भी पूरे देश की तरह धनतेरस की शाम भारी संख्या में बाजारों में निकले अपने लिए खरीदारी की और त्योहर मनाया। लेकिन इस त्योहार पर भी महंगाई की मार साफ दिखाई पड़ी। अपने लिए सामान खरीदने आई एक महिला सरोज पांडे ने  बताया कि पिछले दो साल में बेहद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा है। यही कारण है कि वह इस साल भी ज्यादा खरीदारी नहीं कर पा रही है, लेकिन बच्चों और परिवार के लोगों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए वह प्रतीकात्मक तौर पर खरीदारी कर त्योहार मनाना चाहती हैं।

बर्तन विक्रेता किशोर ने बताया कि धनतेरस के दिन उनकी दुकान पर भारी संख्या में लोग आए और बर्तनों की खरीदारी भी की। लेकिन यह खरीदारी कोरोना वायरस के समय के पूर्व के स्तर पर नहीं पहुंची। ज्यादातर ग्राहक उनसे बार-बार मोलभाव कर कुछ छूट पाने की कोशिश करते रहे। लोगों ने खरीदारी के दौरान भी ‘समझौतावादी’ रुख अपनाया और थोड़ा कम खरीददारी कर किसी तरह से त्योहार मनाने तक की ‘रस्म’ ही निभाई।

विकास के नाम पर उजड़ रहीं दुकानें
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव होता है तो अयोध्यावासी अयोध्या के ‘विकास’ के कारण सरकार को वोट देंगे या महंगाई के कारण ‘बदलाव’ के लिए वोट करेंगे? इस सवाल पर एक अन्य बर्तन विक्रेता ने कहा कि सरकार ने अयोध्या का विकास किया है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। पूरे अयोध्या में विकास साफ दिखाई पड़ रहा है। लेकिन इस विकास में उनके जैसे 20,000 से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी भी खत्म हो रही है। विकास के नाम पर उनकी दुकानें ‘उजाड़ी’ जा रही हैं। इससे आने वाले समय में उनके सामने रोजी-रोटी का भयंकर संकट खड़ा हो जाएगा। दुकानदार ने कहा कि ऐसा विकास किस काम का जो किसी गरीब के पेट की भूख न मिटा सके। उन्होंने कहा कि चुनाव में महंगाई एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है और लाखों लोग इस मुद्दे पर वोट करेंगे।

राम की पैड़ी से अयोध्या रेलवे स्टेशन जाने के मार्ग पर साकेत शर्मा एक दुकान चलाते हैं। आमतौर पर रोज उनकी कमाई 1500 से 2000 रुपये के बीच हो जाती थी। लेकिन अयोध्या के विकास के तमाम दावों के बीच अब भी उनकी कमाई कोरोना से पूर्व स्तर तक नहीं पहुंच सकी है।  पूछने पर साकेत ने बताया कि ज्यादातर ग्राहक उनके जैसे स्थानीय निवासी ही होते हैं जिनके पास आय का कोई साधन नहीं बचा हुआ है। यही कारण है कि लोग खर्च करने से बच रहे हैं क्योंकि उनके पास जेब में पैसे नहीं हैं।

बचत घटी, खर्च बढ़ा
राम की पैड़ी घाट पर एक मध्यम आकार का ढाबा चलाने वाले चंद्रभूषण ने बताया कि पहले राम की पैड़ी दर्शन करने आने वालों की संख्या बहुत कम होती थी, लेकिन जब से सरकार ने 2017 में अयोध्या का विकास करना शुरू किया है तब से यहां आने वाले भक्तों की संख्या 10 गुना ज्यादा बढ़ गई है। इससे उनके ग्राहकों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन इसके बाद भी उनकी बचत बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पाई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है की सभी आवश्यक सामानों के मूल्य बहुत ज्यादा बढ़ चुके हैं। कच्चे सामान की खरीद में ही भारी पैसा खर्च होता है। मजदूरों को रखने, किराए, बिजली और अन्य खर्चों को काटने के बाद उनकी बहुत कम बचत हो पाती है। ऐसे में भक्तों की संख्या बढ़ने के बाद भी उनकी बचत में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है।

एक धार्मिक स्थल के पुजारी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या का जबरदस्त विकास किया है, इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। लेकिन इसके बाद भी एक बहुत बड़ा वर्ग उनके साथ नहीं है क्योंकि अयोध्या के विकास में सामान्य लोगों के हितों की उपेक्षा की जा रही है। इस महंगाई में लोगों को घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है, लेकिन इस महंगाई में भी सरकार हजारों लोगों को उजाड़ने का काम कर रही है जिससे वे हमेशा-हमेशा के लिए परेशानी के संकट में घिर जाएंगे। सरकार ने उन्हें कोई विकल्प उपलब्ध नहीं कराया है। सरकार को चुनाव में लोगों की इस नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

आध्यात्मिक संतुष्टि से पेट नहीं भरता

क्या चुनाव में महंगाई ज्यादा बड़ा मुद्दा बनेगा, इस सवाल पर साकेत डिग्री कॉलेज की एक छात्रा अंजली यादव ने कहा धार्मिक भावनाएं अपनी जगह पर होती हैं। यह लोगों की आध्यात्मिक संतुष्टि का बड़ा माध्यम होती हैं। इसका अपना एक विशेष महत्व है, लेकिन आध्यात्मिक संतुष्टि की जरूरत आदमी को तभी पड़ती है जब उसका पेट भरा हुआ होता है। जिस व्यक्ति का पेट भरा हुआ नहीं है उसके लिए धार्मिक भावनाओं का कोई महत्व नहीं होता। सरकार को इस बात को समझना चाहिए उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता को उनकी पढ़ाई की फीस देने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। महंगाई ने परिवार की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ा दी है। ऐसे दौर में उन्हें लगता है कि इस चुनाव में महंगाई एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पूरी ताकत के साथ अयोध्या का विकास करने में जुटी है। इसके लिए धार्मिक स्थलों, होटलों, पर्यटन केंद्रों, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे का विकास किया जा रहा है। आध्यात्मिक ध्यान केंद्र और आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। सरकार का अनुमान है कि भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या का विकास करने से पूरे उत्तर प्रदेश और विशेषकर पूर्वांचल के मतदाताओं से उसका भावनात्मक संबंध जुड़ेगा और वह चुनाव के समय भाजपा को वोट देगा। इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि यह मुद्दा धर्मपरायण हिंदू बहुल लोगों को सरकार की ओर प्रेरित करने का काम कर सकता है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि महंगाई का मुद्दा अयोध्या में उतना ही प्रबल है जितना कि देश के किसी अन्य हिस्से में।

त्योहार पर महंगाई की मार

महंगाई के मुद्दे पर अयोध्यावासियों की राय क्या है, यह जानने के लिए धनतेरस का दिन सबसे बेहतर क्षण हो सकता था जब पूरे देश के लोग अपने लिए कुछ न कुछ खरीदारी करने के लिए बाहर निकलते हैं। अयोध्यावासी भी पूरे देश की तरह धनतेरस की शाम भारी संख्या में बाजारों में निकले अपने लिए खरीदारी की और त्योहर मनाया। लेकिन इस त्योहार पर भी महंगाई की मार साफ दिखाई पड़ी। अपने लिए सामान खरीदने आई एक महिला सरोज पांडे नेबताया कि पिछले दो साल में बेहद आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा है। यही कारण है कि वह इस साल भी ज्यादा खरीदारी नहीं कर पा रही है, लेकिन बच्चों और परिवार के लोगों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए वह प्रतीकात्मक तौर पर खरीदारी कर त्योहार मनाना चाहती हैं।

बर्तन विक्रेता किशोर ने बताया कि धनतेरस के दिन उनकी दुकान पर भारी संख्या में लोग आए और बर्तनों की खरीदारी भी की। लेकिन यह खरीदारी कोरोना वायरस के समय के पूर्व के स्तर पर नहीं पहुंची। ज्यादातर ग्राहक उनसे बार-बार मोलभाव कर कुछ छूट पाने की कोशिश करते रहे। लोगों ने खरीदारी के दौरान भी ‘समझौतावादी’ रुख अपनाया और थोड़ा कम खरीददारी कर किसी तरह से त्योहार मनाने तक की ‘रस्म’ ही निभाई।

विकास के नाम पर उजड़ रहीं दुकानें
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव होता है तो अयोध्यावासी अयोध्या के ‘विकास’ के कारण सरकार को वोट देंगे या महंगाई के कारण ‘बदलाव’ के लिए वोट करेंगे?  इस सवाल पर एक अन्य बर्तन विक्रेता ने कहा कि सरकार ने अयोध्या का विकास किया है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। पूरे अयोध्या में विकास साफ दिखाई पड़ रहा है। लेकिन इस विकास में उनके जैसे 20,000 से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी भी खत्म हो रही है। विकास के नाम पर उनकी दुकानें ‘उजाड़ी’ जा रही हैं। इससे आने वाले समय में उनके सामने रोजी-रोटी का भयंकर संकट खड़ा हो जाएगा। दुकानदार ने कहा कि ऐसा विकास किस काम का जो किसी गरीब के पेट की भूख न मिटा सके। उन्होंने कहा कि चुनाव में महंगाई एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है और लाखों लोग इस मुद्दे पर वोट करेंगे।

राम की पैड़ी से अयोध्या रेलवे स्टेशन जाने के मार्ग पर साकेत शर्मा एक दुकान चलाते हैं। आमतौर पर रोज उनकी कमाई 1500 से 2000 रुपये के बीच हो जाती थी। लेकिन अयोध्या के विकास के तमाम दावों के बीच अब भी उनकी कमाई कोरोना से पूर्व स्तर तक नहीं पहुंच सकी है। पूछने पर साकेत ने बताया कि ज्यादातर ग्राहक उनके जैसे स्थानीय निवासी ही होते हैं जिनके पास आय का कोई साधन नहीं बचा हुआ है। यही कारण है कि लोग खर्च करने से बच रहे हैं क्योंकि उनके पास जेब में पैसे नहीं हैं।

बचत घटी, खर्च बढ़ा

राम की पैड़ी घाट पर एक मध्यम आकार का ढाबा चलाने वाले चंद्रभूषण ने बताया कि पहले राम की पैड़ी दर्शन करने आने वालों की संख्या बहुत कम होती थी, लेकिन जब से सरकार ने 2017 में अयोध्या का विकास करना शुरू किया है तब से यहां आने वाले भक्तों की संख्या 10 गुना ज्यादा बढ़ गई है। इससे उनके ग्राहकों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन इसके बाद भी उनकी बचत बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पाई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है की सभी आवश्यक सामानों के मूल्य बहुत ज्यादा बढ़ चुके हैं। कच्चे सामान की खरीद में ही भारी पैसा खर्च होता है। मजदूरों को रखने, किराए, बिजली और अन्य खर्चों को काटने के बाद उनकी बहुत कम बचत हो पाती है। ऐसे में भक्तों की संख्या बढ़ने के बाद भी उनकी बचत में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है।

एक धार्मिक स्थल के पुजारी ने  कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या का जबरदस्त विकास किया है, इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। लेकिन इसके बाद भी एक बहुत बड़ा वर्ग उनके साथ नहीं है क्योंकि अयोध्या के विकास में सामान्य लोगों के हितों की उपेक्षा की जा रही है। इस महंगाई में लोगों को घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है, लेकिन इस महंगाई में भी सरकार हजारों लोगों को उजाड़ने का काम कर रही है जिससे वे हमेशा-हमेशा के लिए परेशानी के संकट में घिर जाएंगे। सरकार ने उन्हें कोई विकल्प उपलब्ध नहीं कराया है। सरकार को चुनाव में लोगों की इस नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

आध्यात्मिक संतुष्टि से पेट नहीं भरता

क्या चुनाव में महंगाई ज्यादा बड़ा मुद्दा बनेगा, इस सवाल पर साकेत डिग्री कॉलेज की एक छात्रा अंजली यादव ने कहा धार्मिक भावनाएं अपनी जगह पर होती हैं। यह लोगों की आध्यात्मिक संतुष्टि का बड़ा माध्यम होती हैं। इसका अपना एक विशेष महत्व है, लेकिन आध्यात्मिक संतुष्टि की जरूरत आदमी को तभी पड़ती है जब उसका पेट भरा हुआ होता है। जिस व्यक्ति का पेट भरा हुआ नहीं है उसके लिए धार्मिक भावनाओं का कोई महत्व नहीं होता। सरकार को इस बात को समझना चाहिए उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता को उनकी पढ़ाई की फीस देने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। महंगाई ने परिवार की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ा दी है। ऐसे दौर में उन्हें लगता है कि इस चुनाव में महंगाई एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है।