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Kasganj Police Custody Death: मौत के बाद मुल्जिम बना अल्ताफ! डेढ़ किमी दूर अस्पताल पहुंचने में लगा डेढ़ घंटा

अमित तिवारी, कासगंज
कासगंज पुलिस स्टेशन के लॉकअप में हुई अल्ताफ की संदिग्ध मौत के मामले में रोजाना चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। अल्ताफ की मौत कब हुई, कैसे हुई, क्या उसकी मौत के बाद उसे एक मुकदमे में मुल्जिम बनाया गया, वहीं अगर उसने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की तो पुलिस स्टेशन से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित अस्पताल तक पहुंचने में डेढ़ घंटे का वक्त कैसे लग गया? ऐसे ही कुछ उभरते सवालों का जवाब खोजते हुए कई ऐसे तथ्य सामने आये हैं, जिन्हें देखने सुनने और समझने के बाद अल्ताफ को लेकर पुलिस की ओर से पेश की गई पूरी की पूरी टाइमिंग थ्योरी कठघरे में खड़ी दिखाई दे रही है।

मृतक अल्ताफ के पिता चांद मियां का कहना है कि एक लापता लड़की के संबंध में पूछताछ के सिलसिले में पुलिस उनके बेटे को 8 नवंबर को शाम 8 बजे ले गई थी। वहीं 9 नवंबर दोपहर बाद 5:20 बजे उन्हें उनके गांव के ही पूर्व प्रधान से सूचना प्राप्त हुई कि उनके बेटे की मौत हो गई है। कासगंज एसपी रोहन पी बोत्रे ने कहा कि थाना कासगंज पर पंजीकृत मुकदमा संख्या 622/2021 में नामजद अल्ताफ से पूछताछ के लिए पुलिस उसे 9 नवंबर को सुबह के समय लेकर आई। उसी दौरान अल्ताफ ने लॉकअप के टॉयलेट में जाकर फांसी लगा ली, जिसे उपचार के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां कुछ देर उपचार होने के बाद उसकी मौत हो गई।

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एडीजीपी आगरा का बयान आया कि 9 नवंबर को दोपहर 2:30 बजे अल्ताफ ने पुलिस लॉकअप में फांसी लगाई। पुलिस दैनिक अपराध रेकॉर्ड के अनुसार अल्ताफ पर 9 नवंबर को दोपहर 4 बजे दर्ज मुकदमा संख्या 622/2021 में नामजद किया गया। कासगंज सीएमओ ने बताया कि अल्ताफ को दोपहर 9 नवंबर को 4:10 बजे कासगंज के ही अशोक नगर स्थित सरकारी अस्पताल पर मृत अवस्था में लाया गया था।

शाम 6:06 पर अल्ताफ के शव को अस्पताल से 3 किलोमीटर दूर स्थित पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा गया, जहां वह 10 मिनट बाद ही 6:16 पर पहुंच गया। मृतक के पिता, कासगंज एसपी, एडीजीपी आगरा, दैनिक अपराध रिकॉर्ड और कासगंज सीएमओ की ओर से पेश किये गए तथ्यों से अल्ताफ की मौत कहीं न कहीं पुलिस की टाइमिंग थ्योरी को कठघरे में खड़ा जरुर करती है।

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कठघरे में पुलिस की टाइमिंग थ्योरी
जब 8 नवंबर को ही पुलिस ने अल्ताफ को गिरफ्तार कर लिया था तो कासगंज एसपी ने उसकी गिरफ्तारी का समय 9 नवंबर को क्यों बताया। जब 2:30 बजे अल्ताफ ने खुद को फांसी लगाई, तो डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित अस्पताल तक पहुँचने में डेढ़ घंटे का वक्त कैसे लग गया। जब 2:30 बजे अल्ताफ ने फांसी लगा ली, तो उसके डेढ़ घंटे बाद 4:00 बजे उस पर मुक़दमा संख्या 622/2021 को दर्ज कर उसे मुल्जिम क्यों बनाया गया। क्या अल्ताफ की मौत के बाद उसे मुल्जिम बनाया गया।

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कासगंज सीएमओ की मानें तो अल्ताफ उनके अस्पताल में मृत अवस्था में 4:10 पर आया, फिर पुलिस अधिकारियों ने अपने बयानों में यह कैसे कह दिया कि अल्ताफ की मौत उपचार के दौरान हुई। सबसे बड़ा आखिरी सवाल, अगर अल्ताफ ने 2:30 बजे फांसी लगाई तो उसे डेढ़ घंटे तक अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया गया, क्यों अल्ताफ को 4:10 बजे अस्पताल पहुंचाया गया था।

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