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संस्कृति संसद: फिल्म अभिनेता गजेंद्र चौहान बोले- हिंदू संस्कृति पर प्रहार करने वाली फिल्मों का करें बहिष्कार

फिल्म अभिनेता गजेंद्र चौहान ने कहा कि हिंदू धर्म एवं संस्कृति को हानि पहुंचाने के लिए बनाई जा रही फिल्में एक योजना का भाग हैं। इन फिल्मों का बहिष्कार करके हमें अपना विरोध जताना होगा तथा फिल्मों पर आर्थिक चोट पहुंचानी होगी।
वाराणसी में आयोजित संस्कृति संसद के अंतिम दिन रविवार को कला संस्कृति के आवरण में परोसी जा रही विकृति विषयक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म जगत में जो हिंदू धर्म पर प्रहार कर रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए हमें उनकी ऐसी फिल्मों को नकारना होगा। जो पैसे हम हिंदू संस्कृति विरोधी फिल्मों को देखने में बर्बाद कर रहे हैं, उस पैसे से हम किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जैसे फिल्मों में ब्राह्मण  तथा राजपूतों को गलत स्वरूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह भारतीय संस्कृति को विकृत करने का प्रयास है।  ठुमरी गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि फिल्म जगत जिस अश्लीलता का उपयोग कर रहा है, वह केवल पैसा कमाने का माध्यम है। पुराने फिल्मी गीतों में ऐसी विकृति नहीं थी। आज की फिल्मों में आइटम सांग यानी उत्पाद के रूप में गानों को प्रस्तुत किया जा रहा है, जो कि हमारी संस्कृति के लिए ठीक नहीं है।

सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि हिंदू धर्म से हमने भाषा सीखी है और उसका सदुपयोग भी। हमारी भाषा और धर्म-संस्कृति पर प्रहार करने वाली फिल्मों का हमें खुलकर विरोध करना चाहिए। फिल्म निर्देशक दिलीप सूद ने कहा कि यदि हमें अश्लील एवं हिंदू संस्कृति विरोधी फिल्मों का विरोध करना है तो सबसे पहले हमें युवाओं को शिक्षित करना होगा। संचालन अशोक श्रीवास्तव ने किया।
पढ़ेंः केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बोले- जिन्ना के दादा मुसलमान नहीं थे, भारत की पहचान ऋषि-मुनियों से

केरल के पद्मनाभ मंदिर के अध्यक्ष महाराज आदित्य वर्मा ने कहा कि मंदिरों द्वारा कई धर्म कार्य करने वाले ट्रस्टों में दान किए जाते हैं। मंदिरों से समाज के कमजोर वर्ग को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सुदृढ़ बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व कुलपति प्रो. आरके पांडे ने कहा कि भारत की संस्कृति जहां तक फैली हुई है भारत वहां तक है। महाराज रविंद्रपुरी ने कहा कि भारत की आत्मा मंदिरों में बसती है।

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पहले की सरकार में मंदिरों से केवल तीन प्रतिशत का हिस्सा ही लिया जाता था परंतु तत्काल में यह 18 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। प्रो. रामचंद्र पांडेय ने कहा कि नई पीढ़ी मंदिरों से जुड़े, यह सुखद है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि किसी भी मंदिर में हिंदू जब दान देता है तो वह यह सोच कर देता है कि वह किसी अच्छे कार्य में उपयोग किया जाता है।

आचार्य विनय झा ने कहा कि भारतीय वेदों के बारे में कई पुस्तकें लिखी गई परंतु किसी भी पुस्तक में वेद की मूल अर्थों में चर्चा नहीं की गई। विदेशियों द्वारा अपने हिसाब से इतिहास लिखा गया। वेदों के मंत्र के अर्थ कुछ और हैं, लेकिन हमें बताया कुछ और ही जाता है। शिक्षाविद डॉ. मनु वोरा ने कहा कि बच्चों के प्रश्नों को कभी दबाना नहीं चाहिए, उनको प्रश्न करने की पूरी छूट देनी चाहिए।
नीरा मिश्रा ने कहा कि भारत के पुनर्जागरण के लिए अतीत की गौरवशाली परंपरा का बोध आवश्यक है। इंद्रप्रस्थ के अंदर श्रीकृष्ण की एक भव्य मूर्ति स्थापित की जाए और सेंट्रल विस्टा का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ राजपथ किया जाना चाहिए।

प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण हेतु गुलामी के दिनों में विकृत किए गए स्थानों एवं तीर्थों का प्राचीन नामकरण आवश्यक है। प्रो. विनय कुमार पांडेय ने कहा कि भौतिक सत्यापन करते हुए दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ हो जाना चाहिए।
सांसद प्रताप चंद्र षड़ंगी ने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत एवं संस्कृति से है। भारतीय शिक्षा पद्धति में 2020 में हुए बदलाव को राष्ट्र के लिए उपयोगी है। सरदार इकबाल सिंह ने कहा कि राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए हर भारतीय को गुरु गोविंद सिंह बनना होगा।
दार्शनिक कोनराड एल्स्ट ने कहा कि वर्तमान समय में वैदिक इतिहास एवं आर्यों के मूल स्थान पर तरह-तरह की चर्चाएं होती हैं परंतु जिस देश में वेदों की उपासना होती है, वहीं देश आर्यों का था। आर्यों की पहचान भाषा से है न कि उनके पहनावे से। जगद्गुरु राम राजेश्वराचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति के विचार हमें जोड़ते हैं।

फिल्म अभिनेता गजेंद्र चौहान ने कहा कि हिंदू धर्म एवं संस्कृति को हानि पहुंचाने के लिए बनाई जा रही फिल्में एक योजना का भाग हैं। इन फिल्मों का बहिष्कार करके हमें अपना विरोध जताना होगा तथा फिल्मों पर आर्थिक चोट पहुंचानी होगी।

वाराणसी में आयोजित संस्कृति संसद के अंतिम दिन रविवार को कला संस्कृति के आवरण में परोसी जा रही विकृति विषयक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म जगत में जो हिंदू धर्म पर प्रहार कर रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए हमें उनकी ऐसी फिल्मों को नकारना होगा। जो पैसे हम हिंदू संस्कृति विरोधी फिल्मों को देखने में बर्बाद कर रहे हैं, उस पैसे से हम किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि जैसे फिल्मों में ब्राह्मण  तथा राजपूतों को गलत स्वरूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह भारतीय संस्कृति को विकृत करने का प्रयास है।  ठुमरी गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि फिल्म जगत जिस अश्लीलता का उपयोग कर रहा है, वह केवल पैसा कमाने का माध्यम है। पुराने फिल्मी गीतों में ऐसी विकृति नहीं थी। आज की फिल्मों में आइटम सांग यानी उत्पाद के रूप में गानों को प्रस्तुत किया जा रहा है, जो कि हमारी संस्कृति के लिए ठीक नहीं है।

सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि हिंदू धर्म से हमने भाषा सीखी है और उसका सदुपयोग भी। हमारी भाषा और धर्म-संस्कृति पर प्रहार करने वाली फिल्मों का हमें खुलकर विरोध करना चाहिए। फिल्म निर्देशक दिलीप सूद ने कहा कि यदि हमें अश्लील एवं हिंदू संस्कृति विरोधी फिल्मों का विरोध करना है तो सबसे पहले हमें युवाओं को शिक्षित करना होगा। संचालन अशोक श्रीवास्तव ने किया।