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हिनौत विस्फोट कांड: जेल में बंद 17 आरोपियों को चंदौली कोर्ट ने किया बरी, 2004 में 15 जवान हुए थे शहीद

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यूपी के चंदौली जिले की सबसे बड़े नक्सली घटना हिनौत घाट लैंडमाइंस विस्फोट कांड के 17 वर्ष बाद न्यायालय ने जेल में बंद 17 आरोपियों को बरी कर दिया है। किसी आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जगदीश प्रसाद की अदालत ने फैसला सुनाया।

20 नवंबर 2004 की सुबह नक्सलियों ने नौगढ़ के हिनौत घाट के समीप पीएसी के ट्रक को विस्फोटक से उड़ा दिया था। इसमें पीएसी और  पुलिस के 15 जवान शहीद हुए थे। इस मामले में 50 लोगों को जेल भेजा गया। इसमें 45 अभियुक्तों पर अपर सत्र न्यायालय प्रथम में अलग-अलग ट्रायल चला।

इस दौरान साक्ष्य और गवाहों के परीक्षण व अवलोकन के बाद कोर्ट ने पाया कि जो साक्ष्य व गवाह अभियोजन पक्ष की ओर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं, वे आरोपी बनाए गए लोगों को दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अभियोजन की ओर से कुल 19 गवाह प्रस्तुत किए गए, जिनके परीक्षण के बाद कोर्ट ने आरोपियों को बेगुनाह पाते हुए दोषमुक्त करार दिया।

न्यायालय की ओर से अपराध अंतर्गत धारा-307, 396, 412 आईपीसी के अतिरिक्त 3/4 लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के साथ-साथ धारा-3 व 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के आरोप से मुक्त करार दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में जेल में निरुद्ध चल रहे 17 आरोपियों को तत्काल रिहा किए जाने का आदेश दिया।

साथ ही जो लोग जमानत पर रिहा चल रहे थे, उनके बंध-पत्र को निरस्त करते हुए जमानतदारों को उन्मोचित करने का आदेश दिया। इस दौरान बचाव पक्ष की ओर से राकेशरत्न तिवारी, अजीत कुमार सिंह, विपुल सिंह, शफीक खान ने न्यायालय में तर्क एवं साक्ष्य प्रस्तुत किए। अधिवक्ता राकेशरत्न तिवारी ने बताया कि आरोपियों को अब जेल से रिहा किया जाएगा।
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यूपी के चंदौली जिले की सबसे बड़े नक्सली घटना हिनौत घाट लैंडमाइंस विस्फोट कांड के 17 वर्ष बाद न्यायालय ने जेल में बंद 17 आरोपियों को बरी कर दिया है। किसी आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जगदीश प्रसाद की अदालत ने फैसला सुनाया।

20 नवंबर 2004 की सुबह नक्सलियों ने नौगढ़ के हिनौत घाट के समीप पीएसी के ट्रक को विस्फोटक से उड़ा दिया था। इसमें पीएसी और  पुलिस के 15 जवान शहीद हुए थे। इस मामले में 50 लोगों को जेल भेजा गया। इसमें 45 अभियुक्तों पर अपर सत्र न्यायालय प्रथम में अलग-अलग ट्रायल चला।

इस दौरान साक्ष्य और गवाहों के परीक्षण व अवलोकन के बाद कोर्ट ने पाया कि जो साक्ष्य व गवाह अभियोजन पक्ष की ओर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए हैं, वे आरोपी बनाए गए लोगों को दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अभियोजन की ओर से कुल 19 गवाह प्रस्तुत किए गए, जिनके परीक्षण के बाद कोर्ट ने आरोपियों को बेगुनाह पाते हुए दोषमुक्त करार दिया।