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अनुदानित उर्वरकों की शत प्रतिशत बिक्री पी0ओ0एस0 मशीन के माध्यम से ही की जाए

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को गुणवत्ता रासायनिक उर्वरकों की समय से व्यवस्था किये जाने हेतु कालाबाजारी, तस्करी, टैगिंग एवं अनुदानित उपर्रकों का गैर कृषि कार्यों या औद्यानिक इकाईयों द्वारा उपयोग को रोके जाने तथा उर्वरकों की बिक्री शत प्रतिशत पी0ओ0एस0 के माध्यम से किये जाने हेतु समस्त मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिये हैं। जारी निर्देश में कहा गया है कि प्रदेश की विभिन्न औद्योगिक इकाईयों द्वारा अपने उत्पाद के निर्माण में नाइट्रोजिनस कम्पाउण्डस अथवा टेक्निकल ग्रेड यूरिया या फार्मेल्डिाहईड यूरिया के स्थान पर डायवर्जन कर रॉ-मेटेरियल के रूप में अनुदानित यूरिया के प्रयोग के सम्बन्ध में रॉ-मेटेरियल के प्राप्ति स्रोत की जांच करायी जाए।
अपर मुख्य सचिव कृषि, डॉ0 देवेश चतुर्वेदी की ओर से इस सम्बन्ध में जारी शासनादेश में कहा गया है कि टेक्निकल ग्रेड यूरिया घरेलू उत्पादन एवं विदेशों से आयात के माध्यम से उपलब्ध होता है। औद्योगिक इकाईयों में अपने उत्पाद हेतु उपयोग में होने वाले टेक्निकल ग्रेड यूरिया की मात्रा घरेलू उत्पादन और आयात से प्राप्त होने वाली मात्रा से अधिक है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि प्रत्येक जनपद में महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र औद्योगिक इकाईयों, जिनके द्वारा अपने उत्पादों के निर्माण में टेक्निकल ग्रेड यूरिया या फार्मेल्डिहाइड यूरिया का प्रयोग किया जाता है, की सूची तैयार करें। इसके अतिरिक्त महाप्रबंधक, जिला उद्योग केन्द्र तथा जिला कृषि अधिकारी की संयुक्त टीम द्वारा इन औद्योगिक इकाईयों में टेक्निकल ग्रेड यूरिया या फार्मेल्डिहाइड यूरिया के प्राप्ति स्रोतों की गहनता से जांच कराये जाने के भी निर्देश दिये गये हैं।

डॉ0 चतुर्वेदी ने निर्देश दिये हैं कि किसी भी औद्योगिक इकाई द्वारा अपने उत्पाद के निर्माण में अनुदानित यूरिया का उपयोग किया जाना पाया जाता है, तो उसके विरूद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धाराओं एवं अन्य सुसंगत नियमों के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। इस हेतु औद्योगिक इकाईयों द्वारा अनुदानित यूरिया के दुरूपयोग पर रोक लगाने हेतु शासन स्तर से समय-समय पर पड़ने वाले उर्वरक छापों के दौरान उर्वरक बिक्री केन्द्रों के साथ-साथ इन औद्योगिक इकाईयों का भी गठित टीम द्वारा सघन निरीक्षण किया जाये। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अनुदानित उर्वरकों की बिक्री शत प्रतिशत पी0ओ0एस0 के माध्यम से ही की जाए।