आगरा में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी सारी संपत्ति डीएम के नाम कर दी है। उन्होंने अपनी वसीयत बनाकर उसकी प्रति भी आगरा सिटी मजिस्ट्रेट को सुपुर्द कर दी है। बुजुर्ग का कहना है कि वह अपने बेटों से परेशान हैं। बेटे उनकी सही से देखभाल नहीं करते हैं तो वह भी अपनी संपत्ति उन्हें देना नहीं चाहते हैं। उनकी संपत्ति की अनुमानित कीमत दो करोड़ रुपये है।
थाना छत्ता के पीपल मंडी निरालाबाद निवासी गणेश शंकर पांडेय अपने भाइयों के साथ रहते हैं। उन्होंने अपने भाई नरेश शंकर पांडे, रघुनाथ और अजय शंकर के साथ मिलकर 1983 में जमीन खरीद कर घर बनवाया था। कुछ समय के बाद संपत्ति का बंटवारा हो गया। गणेश शंकर चौथाई मकान के मालिक हैं, जिसकी कीमत लगभग तीन करोड़ रुपए बताई जा रही है।
‘अपनों’ से परेशान होकर लिया यह फैसला
गणेश शंकर पांडेय के अनुसार उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। कोई भी उनका सही से ख्याल नहीं रखता है। एक बार तो उन्हें घर से निकालने का प्रयास भी किया गया। इसमें उनकी पत्नी ने भी साथ दिया। फिलहाल वह अपने भाइयों के साथ रह रहे हैं। बेटों परेशान होकर वह अपने हिस्से की संपत्ति को आगरा के डीएम के नाम करने का फैसला लिया है।
गणेश शंकर ने अपनी वसीयत में लिखा है कि जब तक मैं जिंदा हूं। अपनी चल और अचल संपत्तियों का मालिक व स्वामी रहूंगा। मरने के बाद मेरे हिस्से की जमीन डीएम आगरा के नाम हो जाएगी। मैं पूरी तरह से फिलहाल स्वस्थ हूं। मानसिक रोग से पीड़ित नहीं हूं।
आगरा में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी सारी संपत्ति डीएम के नाम कर दी है। उन्होंने अपनी वसीयत बनाकर उसकी प्रति भी आगरा सिटी मजिस्ट्रेट को सुपुर्द कर दी है। बुजुर्ग का कहना है कि वह अपने बेटों से परेशान हैं। बेटे उनकी सही से देखभाल नहीं करते हैं तो वह भी अपनी संपत्ति उन्हें देना नहीं चाहते हैं। उनकी संपत्ति की अनुमानित कीमत दो करोड़ रुपये है।
थाना छत्ता के पीपल मंडी निरालाबाद निवासी गणेश शंकर पांडेय अपने भाइयों के साथ रहते हैं। उन्होंने अपने भाई नरेश शंकर पांडे, रघुनाथ और अजय शंकर के साथ मिलकर 1983 में जमीन खरीद कर घर बनवाया था। कुछ समय के बाद संपत्ति का बंटवारा हो गया। गणेश शंकर चौथाई मकान के मालिक हैं, जिसकी कीमत लगभग तीन करोड़ रुपए बताई जा रही है।
‘अपनों’ से परेशान होकर लिया यह फैसला
गणेश शंकर पांडेय के अनुसार उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। कोई भी उनका सही से ख्याल नहीं रखता है। एक बार तो उन्हें घर से निकालने का प्रयास भी किया गया। इसमें उनकी पत्नी ने भी साथ दिया। फिलहाल वह अपने भाइयों के साथ रह रहे हैं। बेटों परेशान होकर वह अपने हिस्से की संपत्ति को आगरा के डीएम के नाम करने का फैसला लिया है।
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