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इलाहाबाद हाईकोर्ट : पांच हजार के घोटाले के मामले में निष्पक्ष जांच करने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच हजार घोटाले के मामले में राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही याची पर स्थानीय पुलिस द्वारा समझौते के लिए दबाव बनाए जाने पर रोक लगा दी है और कहा है कि याची को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए और और मूल अधिकारी के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत उसकी स्वतंत्रता में किसी तरह का दखल न देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश बाबा बेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की दो जजों की पीठ कर रही है।

हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को कहा है कि याची को सुनवाई का मौका देते हुए उसे पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने याची को डीजीपी के समक्ष फिर से अभिवेदन करने का निर्देश दिया। साथ ही डीजीपी को भी अभिवेदन को स्वीकार कर सुनवाई का मौका देने का आदेश दिया है। कहा है कि चार हफ्ते में डीजीपी मामले में तिथि, समय और स्थान तय कर याची को व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई का मौका दें।

राज्य सरकार के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची जांच अधिकारी के सम्मुख अपना बयान देने के लिए प्रस्तुत नहीं हो रही है। इस पर याची के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि याची की जान को खतरा है और पुलिस द्वारा उस पर मामले का समझौता कराने का दबाव बनाया जा रहा है। कोर्ट ने मामले में हैरानी जताते हुए पूछा कि मामले को आर्थिक अपराध शाखा या फिर प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा जांच के लिए क्यों नहीं सौंपा गया। कोर्ट ने कहा कि मामला पैसे के लेन-देन का है इसलिए स्थानीय एजेंसी सही तरीकेसे जांच करने में सक्षम नहीं है।

कोर्ट ने मामले को राष्ट्रीय हित से जुड़ा बताते हुए केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया है और एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को संबंधित विभाग के सचिव का जवाब दाखिल करने को कहा है। मामला जौनपुर जिले के जाफराबाद पुलिस स्टेशन के अंतर्गत है। मामले में याची बाबा बेबी ने पांच हजार करोड़ रुपये के घोटाले का उजागर किया था। मामला में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है लेकिन याची का आरोप है कि पुलिस जांच के नाम पर उसे परेशान कर रही है। उस पर शिकायत वापस लेने और आरोपी घोटालेबाज के साथ समझौते का दबाव बना रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच हजार घोटाले के मामले में राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही याची पर स्थानीय पुलिस द्वारा समझौते के लिए दबाव बनाए जाने पर रोक लगा दी है और कहा है कि याची को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए और और मूल अधिकारी के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत उसकी स्वतंत्रता में किसी तरह का दखल न देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश बाबा बेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की दो जजों की पीठ कर रही है।

हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को कहा है कि याची को सुनवाई का मौका देते हुए उसे पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने याची को डीजीपी के समक्ष फिर से अभिवेदन करने का निर्देश दिया। साथ ही डीजीपी को भी अभिवेदन को स्वीकार कर सुनवाई का मौका देने का आदेश दिया है। कहा है कि चार हफ्ते में डीजीपी मामले में तिथि, समय और स्थान तय कर याची को व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई का मौका दें।

राज्य सरकार के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची जांच अधिकारी के सम्मुख अपना बयान देने के लिए प्रस्तुत नहीं हो रही है। इस पर याची के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि याची की जान को खतरा है और पुलिस द्वारा उस पर मामले का समझौता कराने का दबाव बनाया जा रहा है। कोर्ट ने मामले में हैरानी जताते हुए पूछा कि मामले को आर्थिक अपराध शाखा या फिर प्रवर्तन निदेशालय को सौंपा जांच के लिए क्यों नहीं सौंपा गया। कोर्ट ने कहा कि मामला पैसे के लेन-देन का है इसलिए स्थानीय एजेंसी सही तरीकेसे जांच करने में सक्षम नहीं है।

कोर्ट ने मामले को राष्ट्रीय हित से जुड़ा बताते हुए केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाया है और एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को संबंधित विभाग के सचिव का जवाब दाखिल करने को कहा है। मामला जौनपुर जिले के जाफराबाद पुलिस स्टेशन के अंतर्गत है। मामले में याची बाबा बेबी ने पांच हजार करोड़ रुपये के घोटाले का उजागर किया था। मामला में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है लेकिन याची का आरोप है कि पुलिस जांच के नाम पर उसे परेशान कर रही है। उस पर शिकायत वापस लेने और आरोपी घोटालेबाज के साथ समझौते का दबाव बना रही है।