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नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महाशक्ति बने भारत

पर्यावरण को सहेजन की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने 2015 में फैसला किया था कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर ली जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 100 गीगावॉट, पवन ऊर्जा का 60 गीगावॉट, बायोमास का 10 गीगावॉट और पन बिजली का 5 गीगावॉट होगा। नवीकरणीय ऊर्जा का उच्च क्षमता लक्ष्य बड़े स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा, बेहतर ऊर्जा उपलब्धता और रोजगार के बढ़ते अवसर सुनिश्चित करेगा। ये लक्ष्य हासिल करने के साथ ही भारत कई विकासशील देशों को पछाड़ते हुए हरित ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
मोदी सरकार की एक और बड़ी उपलब्धि, तय समय से 9 साल पहले गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परियोजनाओं की व्यक्तिगत रूप से निगरानी के साथ ही अधिकारियों को कार्यों को तेजी से निपटाने के लिए नए तौर-तरीके अपनाने पर जोर देते हैं, ताकि कार्यों और परियोजनाओं को तय समय पर पूरा किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी की इस चुस्त-दुरुस्त कार्यशैली का असर भी दिखाई दे रहा है। आज मोदी सरकार में जहां शिलान्यास के बाद तय समय पर उद्घाटन हो रहे हैं, वहीं लक्ष्यों को समय से पहले हासिल किया जा रहा है। इसका एक और प्रमाण गुरुवार (02 दिसंबर, 2021) को मिला, जब नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से आधिकारिक तौर पर बताया गया कि भारत ने बिजली की स्थापित कुल उत्पादन क्षमता में सौर और पवन ऊर्जा समेत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य नौ साल पहले नवंबर 2021 में हासिल कर लिया है।
आज देश की स्थापित ऊर्जा क्षमता 391410 मेगावॉट है, जिसमें स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 1,50,005 मेगावॉट है। वहीं परमाणु ऊर्जा आधारित स्थापित बिजली क्षमता 6,780 मेगावॉट है।गौर तलब है कि 2015 में जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते (सीओपी-21) में भारत ने 2030 तक अपनी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई थी। इस प्रतिबद्धता को पूरा होते देख प्रधानमंत्री मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन को संबोधित करते हुए पांच नए लक्ष्य तय किए।