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Om Prakash Rajbhar news: ‘सम्मान है तो छोड़ दें गठबंधन’…तो क्या अब भी ओम प्रकाश राजभर पर डोरे डाल रही बीजेपी?

लखनऊ
कभी यूपी में सरकार के सहयोगी और कैबिनेट मंत्री रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश के साथ गठबंधन किया है। राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है। इस मोर्चे का कई छोटे दल हिस्सा हैं। राजभर बीजेपी पर हमलावर हैं लेकिन बीजेपी ओपी राजभर के किसी भी बयान पर न तो प्रतिक्रिया दे रही है न ही उनके खिलाप पलटवार कर रही है। अब बीजेपी के मंत्री अनिल राजभर ने कहा है कि ओपी राजभर को गठबंधन छोड़ देना चाहिए। उनके इस बयान को ओपी राजभर पर डोरे डालने के तौर पर देखा जा रहा है।

मंत्री अनिल राजभर पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण ने कहा कि अखिलेश यादव केशव देव मौर्य को बाहर नहीं करते तो राजभर समाज को यकीन हो जाएगा कि उनके इशारे पर ही राजभर समाज का अपमान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ओम प्रकाश राजभर भी राजभर समाज के सम्मान की चिंता करें, ऐसे लोगों के साथ ना रहे जो समाज का अपमान करते हैं।

‘राजभर सम्मान की करें चिंता’
केशव देव ने ओम प्रकाश राजभर को राजनीतिक जोकर और अपने को जंगल का शेर बताया था। अनिल राजभर ने कहा कि ओम प्रकाश राजभर से हम कहना चाहते हैं कि जरा भी जमीर और आत्मसमान अगर जिंदा हो तो एक बार विचार करना चाहिए। आप ही के गठबंधन के लोग कह रहे हैं कि ओम प्रकाश राजभर सिर्फ राजनीतिक जोकर हैं इसके अलावा कुछ नहीं। आपको अपने सम्मान की चिंता अगर नहीं है तो राजभर सम्मान की तो चिंता करें।

कहा जा रहा है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथी रहे ओमप्रकाश राजभर को दोबारा गठबंधन को लेकर भाजपा अभी नफा-नुकसान को तौल रही है।

पूर्वांचल में राजभर वोट
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के पूर्वांचल के कुछ नेता राजभर की वापसी में फायदा देख रहे हैं। कुछ जिलों में उन्हें फायदा होने की उम्मीद है। दरअसल अकेले बलिया जिले में ही राज्यसभा सांसद सकलदीप राजभर, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, मंत्री आनंद शुक्ला, उपेंद्र तिवारी और प्रभारी मंत्री अनिल राजभर की मौजूदगी के बावजूद पंचायत चुनाव में सुभासपा और सपा ज्यादा फायदे में रही।

‘राजनीति में कोई स्थाई दुश्मन नहीं होता’
इससे पहले ओम प्रकाश राजभर भी बीजेपी में वापस जाने के सवालों पर कई बार गोलमोल जवाब दे चुके हैं। कुछ दिनों पहले यह पूछे जाने पर कि भाजपा ने तो उन्हें सरकार से बाहर कर दिया था, क्या अब दोस्ती संभव है? राजभर ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता।