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UP Election 2022 : एक ऐसा MLA जिसने तत्कालीन CM रहे चौधरी चरण सिंह के दामाद से लिया था पंगा, जानिए फिर क्या हुआ

पंकज मिश्रा, हमीरपुर
बुन्देलखंड के हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे में जन्मे पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई ने राष्ट्रीय आन्दोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने सत्याग्रही समाचार पत्र से जुड़कर अंग्रेजों के खिलाफ हल्ला बोला था। जिस पर उन्हें वर्ष 1930 में गिरफ्तार कर छह माह की सजा दी गई थी। जेल से रिहा होने के बाद ये दोबारा अंग्रेजों के खिलाफ सड़क पर उतरे तो उन्हें फिर से गिरफ्तार कर एक साल की सजा दी गई।

जब सीएम के दामाद पर भड़के पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई
पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई के पौत्र अशोक कुमार बाजपेई ने रविवार को बताया कि बाबा यहां के एमएलए थे। तब दैवीय आपदा में सुमेरपुर क्षेत्र में तमाम घर गिर गए थे। बताया कि उस जमाने में नमक, टीनशेड व अन्य चीजें कोटे से डीएम के निर्देश पर पीड़ितों को मिलती थी। एमएलए पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई ने दयाराम गुप्ता को डीएम डीपी वरुण के पास अर्जी लेकर भिजवाया था और कहा था बताना कि हमने भेजा है। डीएम ने एमएलए का नाम लेकर अर्जी देने वाले को यह कहकर भगा दिया था कि ऐसे तमाम एमएलए हैं। हम प्रदेश के सीएम चौधरी चरण सिंह के दामाद हैं। डीएम के इस बर्ताव से पंडित सुरेन्द्र दत्त भड़क गए

पीएम से दबाव पडने पर चरण सिंह ने दामाद को लगाई थी फटकार
पौत्र अशोक बाजपेई ने बताया कि दयाराम गुप्ता के मामले में बाबा, पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई ने पीएम लालबहादुर शास्त्री को पत्र लिखा था। सीएम को भी पत्र भेजकर डीएम को हटाने की जिद पर वह अड़ गए थे। बताया कि उस जमाने में महोबा भी हमीरपुर में शामिल था तब पांचों क्षेत्रों के एमएलए व जिला पंचायत अध्यक्ष डीएम के खिलाफ लामबंद हो गए थे। सभी ने यह लिखकर दिया था कि सीएम के दामाद को दोबारा किसी भी जिले का चार्ज न दिया जाए। सीएम चौधरी चरण सिंह ने अपने दामाद को फटकारते कहा था कि दामाद बनना है तो घर बैठो और यदि नौकरी करनी है तो जनप्रतिनिधियों का सम्मान करो।

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सत्याग्रह आन्दोलन करने पर आगरा जेल में रहे नजरबंद
स्वाधीनता आन्दोलन के समय पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई ने सत्याग्रह आन्दोलन चलाया जिसमें इन्हें गिरफ्तार कर आगरा जेल में नजरबंद किया गया था। वर्ष 1938 में हमीरपुर जिले के जराखर गांव में आयोजित बुन्देलखंड के पहले विशाल कांग्रेस सम्मेलन इनकी मेहनत के कारण सफल हुआ था। सम्मेलन में यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू, परमानंद, दीवान शत्रुघ्न सिंह व श्रीपत सहाय के अलावा राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने भाग लिया था। सम्मेलन के बाद पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के यहां रूम में रहे। इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सीएम गोविन्द बल्लभ पंत के निजी सचिव भी रहे।

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लगातार डेढ़ दशक तक विधानसभा चुनाव में बांधा था जीत का सेहरा
आजादी के बाद वर्ष 1952 में हमीरपुर विधानसभा के चुनाव में पंडित सुरेन्द्र दत्त बाजपेई ने कांग्रेस के टिकट से चुनावी महासमर में कदम रखा था और पहली बार में ही वह निर्वाचित हो गए थे। वर्ष 1957 में भी इन्होंने यहां की सीट से जीत दर्ज कराई थी जबकि वर्ष 1962 के विधानसभा चुनाव में भी ये तीसरी बार एमएलए बने थे। लगातार 15 सालों तक यहां की सीट पर उनका कब्जा रहा। इसके बाद वर्ष 1967 में जनसंघ पार्टी के प्रत्याशी से ये पराजित हो गए थे। बाद में किसी बात को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेता से इनके मतभेद हुए तो इन्होंने इन्दिरा गांधी की एक नहीं सुनी और बाद में दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली थी।

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