बाबा गोरखनाथ की नगरी गोरखपुर ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से काफी समृद्ध है। यहां बाबा गोरखनाथ मंदिर, विष्णु मंदिर, गीता वाटिका, गीता प्रेस जैसे कई धार्मिक स्थल हैं। ये जिला हिंदुओं के आस्था का केंद्र तो है ही इसका इतिहास भगवान बुद्ध और 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर से भी जुड़ा हुआ है। आजादी के आंदोलन में भी गोरखपुर की अपनी एक अलग पहचान है।
राजनीतिक रूप से भी गोरखपुर आज वैश्विक पटल पर छाया हुआ है। कारण हम सभी जानते हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर ही है। योगी आदित्यनाथ यहां गोरखधाम के पीठाधीश्वर भी हैं। वह यहां से पांच बार सांसद रहे हैं।
आठ सीटों पर भाजपा, एक पर बसपा का कब्जा
गोरखपुर में नौ विधानसभा सीटें हैं। इनमें आठ पर भारतीय जनता पार्टी, जबकि एक पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कब्जा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी माहौल गर्म होने लगा है। ऐसे में योगी सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में यहां कितना विकास हुआ? क्या आम लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं? युवा महिलाएं और आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वह किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ गुरुवार को गोरखपुर में होगा।
आप भी ‘ इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दों को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप मतदान करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
अब तक 23 जिलों में हो चुका है कार्यक्रम
अब तक पश्चिमी यूपी, ब्रज और अवध के 24 जिलों में ‘सत्ता का संग्राम’ आयोजित हो चुका है। 11 नवंबर को गाजियाबाद से चला रथ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा,
बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए एक दिसंबर को बुलंदशहर पहुंचा था।
इन जिलों में महिलाओं, युवाओं, कामगारों, नेताओं, व्यापारियों समेत हर वर्ग के लोगों को अपने मन की बात बोलने का मौका दिया गया। लोगों ने खुलकर अपनी समस्याओं और उम्मीदों के बारे में बताया। दूसरे चरण का आगाज सात दिसंबर को यूपी की राजधानी लखनऊ से हुआ। इसके बाद ये चुनावी रथ ‘अयोध्या’ पहुंचा। अब अगला चरण गोरखपुर है।
‘सत्ता का संग्राम’ में क्या होगा खास?
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं से संवाद होगा। राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
विशेष प्रोत्साहन की व्यवस्था
बाबा गोरखनाथ की नगरी गोरखपुर ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से काफी समृद्ध है। यहां बाबा गोरखनाथ मंदिर, विष्णु मंदिर, गीता वाटिका, गीता प्रेस जैसे कई धार्मिक स्थल हैं। ये जिला हिंदुओं के आस्था का केंद्र तो है ही इसका इतिहास भगवान बुद्ध और 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर से भी जुड़ा हुआ है। आजादी के आंदोलन में भी गोरखपुर की अपनी एक अलग पहचान है।
राजनीतिक रूप से भी गोरखपुर आज वैश्विक पटल पर छाया हुआ है। कारण हम सभी जानते हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर ही है। योगी आदित्यनाथ यहां गोरखधाम के पीठाधीश्वर भी हैं। वह यहां से पांच बार सांसद रहे हैं।
गोरखपुर में नौ विधानसभा सीटें हैं। इनमें आठ पर भारतीय जनता पार्टी, जबकि एक पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कब्जा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यहां का सियासी माहौल गर्म होने लगा है। ऐसे में योगी सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में यहां कितना विकास हुआ? क्या आम लोग सरकार के कामकाज से खुश हैं? युवा महिलाएं और आम जनता मौजूदा सरकार के बारे में क्या सोचती है? राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या मानना है? वह किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे? ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ‘ चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ गुरुवार को गोरखपुर में होगा।
आप भी ‘ इस मंच से जुड़ सकते हैं। इसके जरिए आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश के हर मुद्दों को उठा पाएंगे। आप बता पाएंगे कि आने वाले चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों से आपको क्या उम्मीदें हैं? किन मसलों को लेकर आप मतदान करेंगे और नेताओं से आप क्या चाहते हैं?
अब तक पश्चिमी यूपी, ब्रज और अवध के 24 जिलों में ‘सत्ता का संग्राम’ आयोजित हो चुका है। 11 नवंबर को गाजियाबाद से चला रथ मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा,
बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, हाथरस, अलीगढ़ होते हुए एक दिसंबर को बुलंदशहर पहुंचा था।
इन जिलों में महिलाओं, युवाओं, कामगारों, नेताओं, व्यापारियों समेत हर वर्ग के लोगों को अपने मन की बात बोलने का मौका दिया गया। लोगों ने खुलकर अपनी समस्याओं और उम्मीदों के बारे में बताया। दूसरे चरण का आगाज सात दिसंबर को यूपी की राजधानी लखनऊ से हुआ। इसके बाद ये चुनावी रथ ‘अयोध्या’ पहुंचा। अब अगला चरण गोरखपुर है।
चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ के तहत हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। चाय पर चर्चा के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं से संवाद होगा। राजनीतिक हस्तियों से सीधे सवाल पूछे जाएंगे। आपको एक मंच दे रहा है, जहां आप बातों को रख सकेंगे, ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दे भी याद रहें।
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