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गर्व के आसमान में ‘पृथ्वी’: बचपन से जंगी जहाज उड़ाने का था जुनून, पढ़ें आगरा के जांबाज पायलट की कहानी

हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए आगरा के जांबाज पृथ्वी सिंह चौहान गौरव के आसमान पर छा गए। परिवार और आगरावासियों को गर्व है कि जांबाज पृथ्वी ताजनगरी की मिट्टी से पैदा हुए तो वहीं गम भी है कि इतनी जल्दी चले गए। हादसे की खबर जिसने भी सुनी उनके घर की ओर दौड़ गया। मां-बाप के ऊपर पहाड़ सा दुख है तो बहनों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। सरन नगर की हर आंख नम है, पूरे शहर में मातम पसरा है।

आगरा के सरन नगर निवासी विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की सादगी और जज्बे का हर कोई कायल था। वह जब भी घर आते थे तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों से जरूर मिलते थे। उनके करीबी रिश्तेदारी पुष्पेंद्र जादौन ने बताया कि वह बचपन से ही साहसी थे। बिजनेस फैमली से ताल्लुक रखते थे लेकिन सपना फौजी बनने का था। यही कारण रहा कि उन्होंने साल 1990 में आर्मी स्कूल ज्वॉइन कर लिया था।

पृथ्वी अपनी बहनों से कहते थे कि वह एक दिन परिवार का नाम रोशन करेंगे। वह एक कुशल पायलट होने के साथ ही उत्साही व्यक्ति भी थे, जो दूसरे लोगों को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे। सरन नगर निवासी राजेश सिंह ने बताया कि पृथ्वी छुट्टी पर आते थे तो मुलाकात होती थी। हमेशा ही वे फौजियों की जांबाजी की चर्चा करते थे। तमाम किस्से सुनाते थे। उनके पिता सुरेंद्र सिंह बेटे के गम में गुमसुम हो गए हैं। मां सुशीला बार-बार पृथ्वी को याद कर रही थीं। उनकी बातों को याद कर रही थीं।

पृथ्वी सिंह का जन्म एक कारोबारी परिवार में हुआ था लेकिन उनका जुनून तो जंगी जहाज उड़ाना था। हवा से बातें करना उन्हें पसंद था। बचपन से ही देशप्रेमी थे। आईएएफ (इंडियन एयरफोर्स) में जाना चाहते थे। यही कारण था कि उन्होंने आर्मी स्कूल में दाखिला लिया और फिर आगे की पढ़ाई करते हुए वायु सेना का रुख कर लिया। पृथ्वी एक उत्साही और निर्भीक योद्धा थे। एयरफोर्स के कई अभियानों में उन्होंने खुद को साबित किया था।

पृथ्वी सिंह चौहान के रिश्तेदार और पड़ोसी शुक्रवार दोपहर उनके किस्से याद करते हुए भावुक हो गए। उनके करीबी रिश्तेदार पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी सिंह को बचपन से ही आर्मी की यूनिफॉर्म अच्छी लगती थी। कहते थे कि डिफेंस की यूनिफॉर्म की बात ही कुछ और है। देशसेवा का जज्बा उनमें शुरू से था। जंगी जहाज उनकी पसंद थे। हमेशा कहते थे कि फाइटर प्लेन की बात ही कुछ अलग है।

उनके पिता ने रीवा के सैनिक स्कूल में उनका कक्षा छह में दाखिला करा दिया। आर्मी स्कूल में एडमीशन पाने से पृथ्वी बेहद उत्साहित थे। यहीं से वे नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में चुन लिए गए और साल 2000 में भारतीय वायुसेना में उनकी ज्वॉइनिंग हुई।

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