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UP Chunav: अखिलेश की मौजूदगी में हरिशंकर तिवारी फैमिली ने थामा सपा का दामन, BJP पर क्या पड़ेगा असर?

लखनऊ
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले विधायक विनय शंकर समेत हरिशंकर तिवारी का परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया। इसी के साथ सपा की पूर्वांचल में बड़े ब्राह्मण चेहरे की तलाश भी पूरी हो गई। विनय शंकर के साथ उनके रिश्तेदार और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय व पूर्व सांसद कुशल तिवारी भी सपा में आ गए।

हरिशंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से बसपा को तो झटका लगना तय है। लेकिन, ये नेता भाजपा की भी चिंता बढ़ा सकते हैं। ब्राह्मण चेहरे के सपा के साथ जाने से इस क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण बदलने के आसार हैं। हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी अभी चिल्लूपार विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक हैं। भले ही हरिशंकर तिवारी पॉलिटिकली एक्टिव नहीं हैं, लेकिन उनकी बात को कोई इस इलाके में काटता नहीं है।

अदावत जगजाहिर
पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी ऐसा नाम है, जिसे पूर्वांचल का पहला बाहुबली नेता कहा जाता है। कहते हैं कि हरिशंकर तिवारी के नक्शे कदम पर चलकर ही मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह जैसे बाहुबलियों ने राजनीति में कदम रखा। हरिशंकर तिवारी के नाम से एक समय पूरा पूर्वांचल थर्राता था। पूर्वांचल में वीरेन्द्र प्रताप शाही और हरिशंकर तिवारी की अदावत जगजाहिर है।

2017 में बसपा की टिकट पर बने विधायक
1980 का दशक ऐसा था, जब शाही और तिवारी के बीच गैंगवार की गूंज देश भर में गूंजी। यहीं से दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई ने ठाकुर बनाम ब्राह्मण का रंग लिया। 1985 में हरिशंकर तिवारी जेल में रहते हुए चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। तिवारी 1997 से लेकर 2007 तक लगातार यूपी में किसी भी पार्टी की सरकार बनी हो, वो मंत्री रहे। चिल्लूपार से अजेय बन चुके हरिशंकर तिवारी को वर्ष 2007 और 2012 में पराजय मिली। 2017 में बसपा के टिकट उनके छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी विधायक बने। हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर से दो सासंद रह चुके हैं।

अब वह 88 साल के हैं और राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय बीएसपी की 2007 की सरकार में विधान परिषद के सभापति बने। बेटे विनय शंकर तिवारी पिता की चिल्लूपार सीट से बीएसपी के टिकट पर विधायक बने थे। बड़े बेटे कुशल तिवारी भी सांसद चुके हैं।

ब्राह्मण के साथ युवा चेहरा भी
विनय शंकर, कुशल तिवारी और गणेश शंकर को कुछ दिन पहले बीएसपी से निष्कासित कर दिया गया था। उनकी पहले ही सपा में शामिल होने की बात अखिलेश यादव से हो गई थी। इसी वजह से बीएसपी ने यह कार्रवाई की थी।

सपा के पास पूर्व मंत्री ब्रह्म शंकर त्रिपाठी ही ब्राह्मण चेहरा हैं। हरिशंकर के परिवार के सपा में शामिल होने से पूर्वांचल में ब्राह्मण वोटों को साधने में मदद मिलेगी। वहीं विनय शंकर एक युवा चेहरा भी हैं। भीष्म शंकर दो बार के सांसद रह चुके हैं। विनय शंकर चिल्लूपार से विधायक हैं। भांजे गणेश शंकर पूर्व एमएलसी हैं।

ठेठ देसी अंदाज, परिवार अकूत संपत्ति का मालिक
हरिशंकर तिवारी अब बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं। सादा धोती-कुर्ता, सदरी और सिर पर ऊनी टोपी पहनने वाले हरिशंकर तिवारी को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता है कि पुलिस रेकॉर्ड में हिस्ट्रीशीटर रहे तिवारी पर कई संगीन आरोप दर्ज हैं। छात्र राजनीति के बाद रेलवे, सिविल और साइकल स्टैंड की ठेकेदारी से सफर शुरू करने वाले हरिशंकर तिवारी का परिवार आज अकूत संपत्ति का मालिक है।

परिवार की अगली पीढ़ी सियासत में जमी
हरिशंकर तिवारी पर उम्र का असर हावी हो गया है लेकिन परिवार की अगली पीढ़ी राजनीति में जम चुकी है। बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर से सांसद रह चुके हैं। दूसरे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से विधायक हैं। वहीं हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय यूपी विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके हैं।