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Saharanpur News: तबलीगी जमात पर सऊदी के बैन से देवबंद को ऐतराज, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया समर्थन

सहारनपुर
सऊदी अरब की ओर से सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात पर बैन लगाने की विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने निंदा की है। सऊदी अरब ने तबलीगी जमात को ‘आतंक का द्वार’ बताते हुए संगठन पर बैन लगा दिया है। देवबंद के मोहतमिम नोमानी ने कहा कि तबलीगी जमात को आतंक से जोड़ना गलत है। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कदम का समर्थन किया है।

सऊदी अरब को इस फैसले पर फिर विचार करना चाहिए। इससे पूरी दुनिया के मुसलमानों में गलत संदेश जाएगा। तबलीगी जमात अपनी स्थापना के पहले दिन से ही मुसलमानों को मस्जिदों से जोड़ने का काम कर रही है। जमात से जुड़े लोगों पर दहशतगर्दी का इल्जाम बिल्कुल बेबुनियाद है।

देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासमी नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम के वरिष्ठ उस्ताद रह चुके मौलाना महमूद हसन के शिष्य रहे मुहम्मद इलियास ने पश्चिमोत्तर भारत के मेवात क्षेत्र (अब हरियाणा का हिस्सा) में इस्लाम के उपदेश देने के साथ इसकी शुरुआत की, लेकिन वास्तविकता में इसकी नींव निजामुद्दीन में रखी गई। तबलीगी जमात की शुरुआत भारत की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से 1926 में हुई। जमात का उद्देश्य मुस्लिमों को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के अनुसार चलने और इसके नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। इसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है।

मशहूर लेखक मौलाना नदीम अल वाजिदी ने कहा कि सउदी अरब सरकार से इस गैर जिम्मेदाराना रवैये की उम्मीद नही थी । सऊदी सरकार को तबलीगी जमात के संबंध में यह फैसला लेने से पहले भारत समेत अन्य देशों के इसलामिक विद्वानों से राय-मशविरा करना चाहिए था।

‘तबलीगी जमात पर बैन का फैसला सही’
लखनऊ में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डॉ मुईन अहमद खान ने कहा कि सऊदी सरकार द्वारा तबलीगी जमात पर बैन लगाने का निर्णय एकदम सही है। बयान जारी कर डॉ मुईन ने कहा कि भारत में भी इस पर प्रतिबंध लगाने का तुरंत फैसला करना चाहिए। साथ ही इस विचारधारा के नियंत्रण और प्रबंधन में चली गईं इबादतगाहों, कब्रिस्तानों और दरगाहों को राज्यों के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के माध्यम से मुफ्त करवाने के लिए केंद्र सरकार को वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिए पहल करनी चाहिए।