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Lucknow: स्वरूप बदलने से अब कम खतरनाक है कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट, विशेषज्ञों का दावा- टीकाकरण से हो रहा फायदा

हाइलाइट्सएक महीने में 127 संक्रमितों की जीनोम सीक्वेंसिंगकिसी में नहीं हुई ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टिवैक्सीन के असर से गंभीर नहीं हो रहे संक्रमितलखनऊ
राजधानी में फिर लगातार कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। नए संक्रमितों की जीनोम सीक्वेसिंग भी करवाई जा रही है। फिलहाल किसी में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की पुष्टि नहीं हुई है। सभी संक्रमितों में कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट ही मिला है। कोरोना की दूसरी लहर में इस वैरिएंट ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया था, हालांकि अब स्वरूप बदलने से यह इतना नुकसानदेह नहीं है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक, यह पहले की तरह फेफड़ों समेत दूसरे अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा रहा। इसके साथ नए संक्रमितों में वायरल लोड भी बेहद कम मिल रहा है। विशेषज्ञ टीकाकरण को इसकी बड़ी वजह बता रहे हैं।

केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी के मुतािक, नये संक्रमितों में डेल्टा वैरिएंट का वायरल लोड बेहद कम है। कई लोग तो लोग पांच से सात दिन बाद ही संक्रमणमुक्त हो गए हैं। इसके साथ कोरोना संक्रमण के कारण लोगों को निमोनिया भी नहीं हो रहा। कोरोना वायरस संक्रमितों के फेफड़ों, हार्ट या दूसरे अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पा रहा। यह सिर्फ सामान्य बुखार की तरह शरीर को कमजोर कर रहा है। कोरोना टीकाकरण इसकी बड़ी वजह है। बड़ी संख्या में लोगों ने कोविड की डोज लगवाई है, हालांकि वायरस कभी भी अपना स्वरूप बदल सकता है। ऐसे में अब भी सतर्क रहने की जरूरत है।
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एक महीने में 127 लोगों की जीनोम सीक्वेंसिंग
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के बीच फिलहाल नए संक्रमितों में डेल्टा वैरिएंट की ही पुष्टि हो रही है। स्वास्थ्य विभाग ने ओमिक्रॉन की आशंका में 20 नवंबर से 20 दिसंबर तक 127 संक्रमितों की जीनोम सिक्वेंसिंग करवाई। डिप्टी सीएमओ डॉ. मिलिंद वर्धन ने बताया कि जांच के लिए भेजे गए सभी नमूनों में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है। इसके साथ नए संक्रमितों के सैंपल लगातार जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जा रहे हैं।

लोकबंधु अस्पताल के डॉ. रूपेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर में 80 फीसदी संक्रमित फेफड़ो में इंफेक्शन के साथ मानसिक तनाव से भी जूझ रहे थे। लगभग हर दूसरे संक्रमित को निमोनिया हो रहा था, हालांकि अब ऐसे मरीज नहीं आ रहे। पोस्ट कोविड ओपीडी में भी संक्रमणमुक्त हो चुके लोगों में ऐसी दिक्कत नहीं मिल रही।

57 लाख को लगी वैक्सीन
राजधानी में टीकाकरण का आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है। सीएमओ दफ्तर के प्रवक्ता डॉ. योगेश रघुवंशी के मुताबिक, शहर में अब तक 57,77,717 वैक्सीन की डोज लग चुकी है। इसमें 35,28,213 लोगों को पहली डोज लगी है, जबकि 22,49,404 लोग दोनों डोज लगवा चुके हैं।

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47 सक्रिय मरीज, 4 भर्ती
सीएमओ ऑफिस के प्रवक्ता योगेश रघुवंशी ने बताया कि शहर में फिलहाल कुल 47 सक्रिय संक्रमित हैं। इनमें महज चार मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। तीन मरीज केजीएमयू तो एक संक्रमित कमांड हॉस्पिटल में भर्ती है।

अब एक हफ्ते में मिल रही जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट
केजीएमयू में पहले के मुकाबले अब आधे समय में जीनोम सीक्वेंसिंग हो रही है। पहले इसकी रिपोर्ट 10 से 15 दिन में मिलती थी, जबकि अब महज पांच से सात दिनों में रिपोर्ट मिल रही है। माइक्रोबायॉलजी विभाग की डॉ. सुरुचि शुक्ला ने बताया कि पहले एमओयू के तहत बेंगलुरु की संस्था को सैंपल भेजे जाते थे। इस कारण रिपोर्ट मिलने में कम से कम दस दिन लगते थे। ओमिक्रॉन का खतरा देखते हुए अब एनबीआरआई और दिल्ली स्थित आईजीआईबी में सैंपल भेजे जा रहे हैं। इस कारण पांच से सात दिन में रिपोर्ट मिलने लगी है। दोनों जगह जांच के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ रहा।

टीकाकरण, फाइल फोटो।