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2018 में कांग्रेस ने वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की मांग की थी, अब कर रही संसद में विरोध

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कांग्रेस लगातार सियासत के नाम पर पाखंड कर रही है। ताजा मामला वोटर आईडी को आधार से जोड़ने वाले बिल का है। कांग्रेस संसद में इसका विरोध कर रही है। उसका कहना है कि इससे सरकार लोगों के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा कर लेगी और उनकी निजता का हनन होगा, लेकिन इसी कांग्रेस ने साल 2018 में खुद चुनाव आयोग से मांग की थी कि फर्जी वोटिंग वगैर रोकने के लिए वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ा जाए। कांग्रेस के इस पाखंडी बर्ताव का पूरा सच आपको हम बताते हैं।

मामला मध्यप्रदेश का है। 10 अप्रैल 2018 को कांग्रेस का एक दल राज्य चुनाव आयोग पहुंचा था। तब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे थे। राज्य चुनाव आयोग को कांग्रेस ने एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें कई मांगें थीं। इन मांगों में से एक वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का भी था। यहां तक कि 27 अगस्त 2018 को दिल्ली में सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस और इस वक्त बिल का विरोध कर रही सभी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ा जाए, ताकि फर्जी वोटिंग न हो सके।

प्रदेश कांग्रेस के उस वक्त प्रवक्ता रहे रवि सक्सेना ने चुनाव आयोग को मांग पत्र देने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था कि 7 लाख फर्जी वोटर पकड़े गए हैं। उन्होंने तब कहा था कि हर विधानसभा सीट पर 70 से 80 हजार फर्जी वोटर हैं। उन्होंने इन फर्जी वोटरों को हटाने के लिए वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की मांग की थी। भोपाल की नरेला सीट का उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि 2013 के पिछले विधानसभा में वहां 2 लाख वोटर थे, जबकि, अब वोटर 3 लाख हो गए हैं। रवि सक्सेना ने सवाल उठाया था कि आखिर 5 साल में इतने वोटर बढ़ कैसे गए ?

कांग्रेस अब पाखंडी बर्ताव करते हुए संसद में कानून न बनने देने के लिए कमर कस चुकी है। उसका कहना है कि सरकार वोटर आईडी को आधार से जोड़कर लोगों की निजता का हनन करेगी। वहीं, सरकार का कहना है कि कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों का ये आरोप बेबुनियाद है। क्योंकि आधार और वोटर आईडी को जोड़ने का नियम ऐच्छिक है। लोग चाहें, तो अपने आईडी को जुड़वाएं और न चाहें तो मत जुड़वाएं।