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पीयूष जैन एंड कंपनी का बचना नामुमकिन: बरगद की शाखाओं की तरह फैला है काले धन का नेटवर्क, हर एजेंसी करेगी जांच

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इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से मिली 181 करोड़ रुपये की नकदी सिर्फ टैक्स चोरी भर नहीं है। जांच एजेंसियों के लिए यह बरगद की शाखाओं की तरह फैले काले धन के नेटवर्क के हाथ लगने जैसा साबित होगा। कारोबारी, टैक्स विशेषज्ञ और जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि यह व्यवसाय से कमाई गई रकम नहीं हो सकती। कारोबारी पीयूष जैन के घर पर जमा रकम कई स्रोतों से जुटाकर एक स्थान पर रखी गई मालूम पड़ती है। हालांकि, जांच टैक्स चोरी के बिंदु से शुरू हुई है, इसलिए इसी पर आगे बढ़ेगी और हर एजेंसी इसकी जांच करेगी। परत दर परत चीजें सामने आएंगी। इस जांच का मकसद अघोषित रकम को ठिकाने लगाने वालों की जड़ें तलाशना अधिक होगा। सभी के मन में सवाल ये होगा कि इस प्रकरण में आगे क्या होगा और क्या हो सकता है। आइए समझते हैं।

यह रकम टैक्स चोरी की हो या न हो, लेकिन इस प्रकरण में पीयूष जैन एंड कंपनी का बचना मुश्किल है। जीएसटी चोरी पकड़ने के लिए डीजीजीआई सबसे सख्त और सबसे बड़ी जांच एजेंसी है। यह महीनों की रेकी और सघन छानबीन के बाद ही किसी पर हाथ डालती है। डीजीजीआई के अफसरों को यदि लगता है कि पीयूष जैन और उसके सहयोगी जांच में बाधा बन सकते हैं तो उनकी गिरफ्तारी किसी भी समय हो सकती है।
गिरफ्तारी होने पर कम से कम छह माह तक जमानत संभव नहीं है। कारोबारी सहयोग करते हैं तो छापा खत्म होने के बाद इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। बरामद रकम का स्रोत और टैक्स की स्थिति देखी जाएगी। कारोबारी अपना पक्ष रखने के लिए पहले एडिशनल कमिश्नर (अपील) फिर ट्रिब्यूनल, इसके बाद हाईकोर्ट जा सकेंगे। टैक्स चोरी साबित होने पर गिरफ्तारी और पांच से सात वर्ष की कैद हो सकती है। टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी बड़ी रकम और उसे छिपाने के तरीके ने ही यह साफ कर दिया है कि यह बड़ी टैक्स चोरी का मामला है।

कारोबारी के घर से मिली रकम जांच पूरी होने तक सरकार जमा रखेगी। जांच में कारोबारी ने जितनी रकम का हिसाब दे दिया, वह रकम टैक्स काटने के बाद लौटा दी जाएगी। बाकी रकम बेनामी मान ली जाएगी। इसके बाद बेनामी अधिनियम के तहत केस चलेगा।

टैक्स विशेषज्ञ बताते हैं कि पीयूष जैन के बचने के सारे रास्ते बंद हैं। वह दूसरे की रकम बताकर और साक्ष्य देकर भी इस केस से छुटकारा नहीं पा सकता। रकम जिसकी भी बताई जाएगी, उसकी जांच शुरू हो जाएगी पर गैरकानूनी तरीके से रकम रखने के मामले में पीयूष भी फंसा रहेगा। निश्चित रूप से एजेंसियां यह जानना चाहेंगी कि यह पैसा कहां से आया।