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मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना; शादीशुदा जोड़ों की दोबारा करा दी शादी, सांसद सत्यपाल ने भी दे दिया आशीर्वाद

हाइलाइट्ससामूहिक विवाह समारोह में आठ जोड़े सामने आए हैं, जिनकी पहले शादी हो चुकी है बागपत में 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 116 जोड़ों की शादी कराई गई थीएक परिवार को शादी कराए बिना ही सरकार की तरफ से मिल वाला सामान दे दिया गयाशादाब रिजवी, बागपत
गरीब परिवारों के बच्चों की शादी कराने के लिए सरकार की खास पहल के तहत चलाई गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में भी अफसर खेल कर रहे हैं। फर्जी शादी (Shaadi) कराकर अनुदान दिला रहे हैं। वेस्ट यूपी (West UP) के फिरोजाबाद (Firozabad) में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद अब बागपत (Baghpat) में हुए सामूहिक विवाह समारोह में आठ जोड़े सामने आए हैं, जिनकी पहले शादी हो चुकी है और उन्हें सामूहिक विवाह कार्यक्रम में दोबारा शादी कराकर योजना का लाभ दे दिला दिया हैं। यहीं नहीं मुख्य अतिथि क्षेत्रीय सांसद से आशीर्वाद भी दिला दिया गया।

116 जोड़ों की शादी कराई गई थी
बागपत के जिन आठ जोड़ों के फर्जी शादी कराने का मामला सामने आया है, वे जिले के पिलाना, बिनौली और बड़ौत ब्लॉक के गांवों के निवासी हैं। इस खेल का खुलासा शादी के बाद सत्यापन के दौरान हुआ। दरअसल, बागपत में 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 116 जोड़ों की शादी कराई गई थी। इस काम को समाज कल्याण विभाग ने बीडीओ और नगर पालिका के ईओ से जरिए कराया था। योजना के तहत ऐसे परिवारों के बेटे-बेटी की शादी करानी थी, जो शादी कराने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। चयन के लिए अफसरों की एक कमेटी बनी होती है।

जोड़ों की जांच करने की जिम्मेदारी बीडीओ और ईओ को सौंपी गई थी
गड़बड़ी की शिकायत पर हुई पड़ताल में अभी तक आठ शादीशुदा जोड़ों की दोबारा शादी कराने का मामला सामने आ चुका है। समारोह में शामिल सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह (MP Satyapal Singh) से आशीर्वाद भी दिलाया था। दूसरी शादी करने वालों में एक जोड़े की शादी एक माह पहले ही शादी हो चुकी हैं। तीन जोड़ों की शादी दो महीने पहले हो चुकी थी। एक परिवार को शादी कराए बिना ही सरकार की तरफ से मिल वाला सामान दे दिया गया। बागपत के जिला समाज कल्याण अधिकारी विमल ढाका के मुताबिक, शादी के लिए जोड़ों की जांच करने की जिम्मेदारी बीडीओ और ईओ को सौंपी गई थी। उन्होंने नामों की सूची बनवा कर भेजी थी। जांच के बाद ही असलियत सामने आ सकती हैं।