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Jan Vishwas Yatra: वाराणसी में जन विश्वास यात्रा में भिड़े BJP कार्यकर्ता, एक-दूसरे को देख लेने की दी धमकी

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अभिषेक कुमार झा, वाराणसी
बीजेपी की जन विश्वास यात्रा (Jan Vishwas Yatra) बुधवार को पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंची। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह (Swatantra Dev Singh) और कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल नंदी (Nand Gopal Nandi) के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं का जोश देखते ही बन रहा था। करीब 20 किमी लंबे रूट पर जगह जगह कार्यकर्ताओ की जबरदस्त भीड़ थी।

सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के मंडुआडीह इलाके में बना स्वागत द्वार रहा। इतना ही नहीं जोशोले कार्यकर्ता अपने अध्यक्ष के साथ एक सेल्फी लेने के लिए आपस मे ही भीड़ गए।

सेल्फी के चक्कर में भीड़ गए कार्यकर्ता
शाम करीब 6 बजे काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सिंह द्वार के पास जन विश्वास यात्रा पहुंची। काफिले के साथ उत्साही कार्यकर्ता नारे लगाते हुए चल रहे थे। सिंह द्वार पर मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाने उतरे स्वतंत्रदेव से मिलने और सेल्फी लेने के लिए कार्यकर्ता करीब जाने लगे इसी बीच वे लोग आपस में ही उलझ गए। एक कार्यकर्ता ने तो दूसरे को थप्पड़ तक रसीद कर दिया और एक-दूसरे को देख लेने की धमकी देने लगे। अचानक इस मारपीट के माहौल को भांपते हुए वहां मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने किसी तरह बीच-बचाव किया।

सब्ज़ियों से बना दिया स्वागत द्वार
जन विश्वास यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह स्वागत के लिए तैयारियां कर रखी थीं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा मंडुआडीह के पास बना स्वागत द्वार रहा। बेतहासा महंगाई के इस दौर में स्वागत द्वार पर सजावट के लिए मूली, वैगन, शलजम, गाजर जैसे सब्ज़ियों का इस्तेमाल किया गया था। रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में बने इस द्वार को जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि कुमार सिद्धार्थ ने लगवाया था।

विपक्षियों पर स्वतंत्रदेव सिंह ने साधा निशाना
यात्रा में कार्यकर्ताओं के जोश को देख प्रदेश अध्यक्ष गदगद दिखे। मीडिया से बात करते हुए स्वतंत्रदेव ने कहा कि पूरे कोरोना काल में कांग्रेस या सपा के नेता क्षेत्र में नहीं थे। यहां तक कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) हों या प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi), ये लोग अपने संसदीय क्षेत्र में भी नहीं गए। बीजेपी के कार्यकर्ता सेवाभाव से जनता के बीच थे। पूरे 5 साल विपक्ष नदारद था न किसी आंदोलन में न किसी मुद्दे पर सड़क पर दिखा। अब चुनाव है तो जनता को भरमाने के लिए झूठा संघर्ष का दिखावा कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) की तैयारी शुरू हो चुकी है। 403 सीटों वाली 18वीं विधानसभा के लिए ये चुनाव फरवरी से अप्रैल के बीच हो सकते हैं। 17वीं विधानसभा का कार्यकाल (UP Assembly ) 15 मई तक है. 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे। इनमें लगभग 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें 63 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं थीं, जबकि पुरुषों का प्रतिशत करीब 60 फीसदी रहा। चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा (Uttar Pradesh Vidhansabha) में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया।

वहीं, अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की अगुवाई में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन 54 सीटें जीत सका। इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती (Mayawati) की बीएसपी (Bahujan Samaj Party ) 19 सीटों पर सिमट गई। इस बार सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भाजपा (Bhartiya Janata Party) के बीच है। भाजपा योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ रही है।