विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश जनसंख्या को लेकर चिंतित है। यह चिंता बढ़ती जनसंख्या को लेकर नहीं, बल्कि रुकी हुई जनसंख्या को लेकर है। पिछले कई दशक से आबादी को बढ़ने से रोकने के लिए नए-नए प्रयोग करने वाला यह कम्युनिस्ट देश अब अपने लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। सिर्फ प्रोत्साहित ही नहीं, बल्कि उन्हें 3 बच्चे पैदा करने पर प्रसव सब्सिडी भी दे रहा है।
दरअसल, चीन की आबादी का वृद्धि दर घट रहा है। इसका अर्थ यह हुआ कि अगले कुछ दशक में चीन की आबादी स्थिर हो जाएगी और फिर धीरे-धीरे ढ़लान की ओर अग्रसर होगी। अप्रैल 2021 में, FT ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चीन की आबादी पांच दशकों में पहला संकुचन यानी Contraction दर्ज कर सकती है। अनुमान यह भी है कि इस कम्युनिस्ट देश की जनसंख्या 45 वर्षों के भीतर आधा भी हो सकती है। चीन में जन्म दर गिरकर 1.3 पर पहुंच चुका है, जो जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए आवश्यक 2 के औसत से काफी कम है।
हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन अपनी आबादी को लेकर विश्व को अंधेरे में रखता है और बढ़ा-चढ़ा कर बताता है। वहां भ्रष्टाचार की स्थिति ऐसी है कि भ्रष्ट अधिकारी अधिक सब्सिडी और प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए जानबूझकर बढ़ी जनसंख्या बताते हैं। चीन की आधिकारिक जनसंख्या 1.4 अरब बताई जाती है, लेकिन 2066 तक चीन की आबादी 700 मिलियन तक कम हो जाएगी। यही कारण है कि CCP डरी हुई है।
अब तक अधिक आबादी के कारण CCP की स्थिति मजबूत थी और सस्ते मजदूर के बल पर चीन विश्व का मैन्युफैक्चरिंग हब बना हुआ था। पश्चिमी देश भी इस मानवाधिकार हनन पर कुछ नहीं बोलते, क्योंकि पश्चिमी देश सस्ते चीनी श्रम और चीन में निर्मित सस्ते सामानों पर निर्भर रहे हैं। हालांकि, अब धीरे-धीरे पश्चिमी देशों की कंपनियां भारत और वियतनाम का रुख कर रही हैं और ऐसे में चीन की कम होती जनसंख्या चीन के लिए दोहरा झटका है।
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