काली कमाई के कुबेर पीयूष जैन के ठिकानों पर छापे के बाद चर्चा में आए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खजांची के रूप में पहचान रखने वाले एमएलसी पंपी जैन (पुष्पराज जैन) आखिरकार घेरे में आ ही गए। कहा जा रहा है कि पंपी को निशाने पर लेकर भाजपा सरकार सपा को काली कमाई वाली पार्टी साबित करने की रणनीति पर काम कर रही है।
इस कार्रवाई से विधानसभा चुनाव में विपक्ष का गणित गड़बड़ा सकता है। शुक्रवार को आयकर की टीम एक तरफ कन्नौज में पुष्पराज जैन के ठिकानों पर जांच पड़ताल कर रही थी तो दूसरी तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी पूर्व नियोजित प्रेसवार्ता में योगी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे थे।
कहा जा रहा है कि पंपी जैन के यहां छापों से सपा को बड़ा झटका लगा है। पंपी का कारोबार कानपुर-कन्नौज से लेकर दिल्ली, मुंबई सहित विदेश में भी फैला है। सूत्रों के अनुसार, अखिलेश सरकार में पंपी अपने कारोबार को ऊंचाइयों पर ले गए। इसीलिए सपा प्रमुख इस कार्रवाई के खिलाफ योगी सरकार पर हमलावर हैं।
चर्चा यह भी है कि छापे की इस कार्रवाई से भाजपा कन्नौज सदर विधानसभा सीट को भी सपा से छीनना चाहती है। 28 दिसंबर को शहर में जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीयूष जैन को सपा से जुड़ा बताकर अखिलेश यादव की जमकर खिंचाई की थी।
पीयूष से पहले पंपी पर होनी थी कार्रवाई
पिछले दिनों इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर हुई बड़ी कार्रवाई दरअसल पंपी जैन के यहां होने वाली थी। हालांकि, डीजीजीआई के हाथ पीयूष के रूप में बड़ी मछली हाथ लग गई। सरकारी मशीनरी पीयूष की काली कमाई में इस तरह उलझी की पंपी के बार-बार इस कार्रवाई पर सवाल उठाने के बाद भी उधर ध्यान नहीं दे पाई। टीम आखिरी समय तक पीयूष जैन से पंपी जैन का कनेक्शन साबित करना चाहती थी, जो अभी तक नहीं कर पाई। यही वजह है कि अब सीधे पंपी की घेरेबंदी करदी गई।
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