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UP Chunav 2022: 10 ब्राह्मण मंत्री, 46 ब्राह्मण विधायक… फिर BJP को यूपी में क्यों बनानी पड़ी ब्राह्मण कमिटी?

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लखनऊ
बात पिछले हफ्ते की है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री और यूपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के घर पर यूपी के ब्राह्मण नेताओं की एक बड़ी बैठक हुई। बैठक में ब्राह्मणों की नाराजगी को लेकर मंथन हुआ। बैठक के आखिर में तय हुआ कि ब्राह्मणों को मनाया जाए और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला की अगुवाई में एक कमिटी बना दी गई। कमिटी को उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है। अब यह कमिटी हर विधानसभा में टीम बनाकर ब्राह्मणों के घर-घर जाकर उन्हें मनाएगी। कमिटी बनते ही सवाल खड़ा हुआ कि क्या बीजेपी लीडरशिप ने भी मान लिया है कि यूपी में ब्राह्मण उससे नाराज हैं? लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ कि योगी सरकार में 10 ब्राह्मण मंत्री और विधानसभा में पार्टी के 46 ब्राह्मण विधायक होने के बावजूद बीजेपी को अलग से ब्राह्मण कमिटी क्यों बनानी पड़ी?

ब्राह्मण चेहरे बेअसर?
कांग्रेस से बीजेपी में आए जितिन प्रसाद को भी पिछले विस्तार में मंत्री बनाया गया। इससे पहले ब्राह्मणों का चेहरा बनाकर डॉ. दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम, बृजेश पाठक, श्रीकांत शर्मा, राम नरेश अग्निहोत्री को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। वहीं सतीश चंद्र द्विवेदी और नीलकंठ तिवारी स्वतंत्र प्रभार मंत्री और अनिल शर्मा, आनंद स्वरूप शुक्ला और चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को राज्यमंत्री बनाया गया। इस तरह योगी सरकार में दस ब्राह्मण मंत्री हैं।

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बताया जाता है कि धर्मेंद्र प्रधान के यहां हुई बैठक में एक सांसद ने तो साफ कह दिया कि -‘जिन्हें ब्राह्मणों का चेहरा बनाकर सरकार में लाया गया था, वह किसी काम के नहीं निकले। वह न तो ब्राह्मणों की सुनते हैं और न ही उन्होंने कभी उनका भला किया। इस तरह के चेहरों से पार्टी का भला नहीं हो सकता।’ शायद यही वह वजह है कि पार्टी को सरकार के चेहरों से हटकर नई ब्राह्मण कमिटी बनानी पड़ी। कुछ और नेताओं ने भी कहा कि ब्राह्मणों को जितनी उम्मीद थी, उतना उन्हें नहीं दिया गया। बैठक में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी का मुद्दा भी उठा।

ब्राह्मण रूठा तो मुश्किल तय
बीएचयू के सोशल साइंस विभाग के डीन कौशल किशोर मिश्रा इसके पीछे तर्क देते हैं कि दरअसल सभी राजनीतिक दल ब्राह्मणों की ताकत को समझते हैं। ब्राह्मण वोकल होता है और अपने आसपास के दस वोटरों को प्रभावित कर सकता है। भले ही ब्राह्मणों की संख्या यूपी में 11-12 प्रतिशत हो, पर दमदारी से अपनी बात रखने की वजह से वह जहां भी रहे हैं, प्रभावशाली रहते हैं।

यही वजह है कि आजादी के बाद से 1989 तक यूपी को छह ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिले। पहले की सियासत ही ब्राह्मण-मुस्लिम और दलित फैक्टर पर केंद्रित थी। पर मंडल आंदोलन से पिछड़ों का उभार हुआ और नारायण दत्त तिवारी के बाद कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को नहीं मिला। पर राम मंदिर आंदोलन के बाद से ब्राह्मण फिर से महत्वपूर्ण भूमिका में आ गए, वह जिसके साथ रहे, सत्ता उनके साथ रही।

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सोशल इंजिनियरिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा
2007 में बीएसपी पूर्ण बहुमत में ब्राह्मण दलित गठजोड़ से ही सत्ता में आ पाई थी। उस वक्त बीएसपी प्रमुख मायावती ने ब्राह्मण और दलित की सोशल इंजिनियरिंग का फॉर्म्युला बनाया और यह यूपी के सियासी इतिहास का सफलतम फॉर्म्युला साबित हुआ। पहली बार मायावती की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी।

कहा जाता है कि 80 से 90 फीसदी तक ब्राह्मण बीएसपी के साथ जुड़ गए। दलितों की पार्टी कही जाने वाली बीएसपी में सतीश चंद्र मिश्रा को दूसरे नंबर का दर्जा दे दिया गया। आरोप लगते हैं कि 2009 में बीएसपी सरकार में तमाम लोगों पर एससी-एसटी के मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें ब्राह्मण नाराज हो गए और वह 2012 के विधानसभा चुनावों में एसपी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ आ गए। 2017 में उन्होंने बीजेपी का साथ दिया और उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में मदद की। विधानसभा में बीजेपी के 46 ब्राह्मण विधायक जीतकर पहुंचे।

‘ब्राह्मण प्रभावशाली वर्ग है, वह जिसका साथ देता है, उसकी चुनावों में बेहतर स्थिति होती है। यही वजह है कि सभी उसका साथ पाना चाहते हैं।’

प्रो. एस.के. द्विवेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख

विपक्ष फिर ब्राह्मणों के द्वार
विपक्ष लगातार बीजेपी सरकार में ब्राह्मणों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हुए उन्हें रिझाने की कोशिश में जुटा हुआ है। एसपी सरकार में मंत्री रहे पवन पांडेय आरोप लगाते हैं कि बीजेपी सरकार में ब्राह्मणों का सबसे ज्यादा उत्पीड़न हुआ है। कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद खुशी दुबे को जबरन जेल में बंद रखा गया है। उसका क्या दोष है? बीजेपी ने सरकार आते ही परशुराम जयंती की छुट्टी रद्द कर दी।

समाजवादी पार्टी ने भगवान परशुराम की मूर्ति स्थापित की तो एसपी प्रमुख अखिलेश यादव भी उसके दर्शन के लिए गए। बीएसपी से एसपी में आए विधायक विनय शंकर तिवारी टीम बनाकर एसपी के पक्ष में प्रचार में जुट गए हैं। वहीं बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा लगातार ब्राह्मणों के सम्मेलन कर रहे हैं और बीजेपी को ब्राह्मण विरोधी बताते हुए उन्हें अपने पाले में लाने के लिए मना रहे हैं। हालांकि यूपी सरकार में मंत्री बृजेश पाठक इन सारे आरोपों को खारिज करते हैं। वह कहते हैं कि सरकार से ब्राह्मणों की कोई नाराजगी नहीं है। संकट में सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी रही है।

विधानसभा में कुल 58 ब्राह्मण विधायक

बीजेपी- 46
बीएसपी- 3
निर्दल- 2
एसपी- 3
अपना दल- 1
कांग्रेस- 1

(2017 की दलीय स्थिति के हिसाब से)

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